चार मूर्ख – Akbar Birbal Ki Kahani

Buddu logo ki kahani, Akbar birbal story.. एक दिन मनोरंजन के समय बादशाह के मन में यह बात आई – संसार में मूर्खों की संख्या तो असंख्य है, परन्तु मैं ऐसे चार मूर्ख देखना चाहता हूं, जिनकी जोड़ के दूसरे न हों। उसने बीरबल से कहा – बीरबल, चार मूर्ख इस ढंग के तलाश करो कि जिसको जोड़ के दूसरे न मिलें। 

यह बादशाह की आज्ञा मानकर नगर से बाहर निकला। ढूंढ़ते वालों को क्या नहीं मिल सकता, केवल सच्ची लगन होनी चाहिए। कुछ दूर जाकर बीरबल को एक आदमी दिखलाई पड़ा जो थाली में पान का एक जोड़ा बीड़ा और मिठाई लिये हुये बड़े उत्साह से नगर की तरफ जल्दी-जल्दी भागा जा रहा था।

बीरबल ने उस आदमी से पूछा – क्यों साहब, यह सब सामान कहां लिये जा रहे हो, जो आपका पैर खुशिहाली के कारण ज़मीन पर नहीं पड़ता, आपके मर्म को जानने की मुझे बड़ी इच्छा है, थोड़ा कष्ट कर बतलाते जाइये।

उस आदमी ने पहले तो इस ख्याल से कुछ हीला हवाली किया कि कहीं उचित समय पर पहुँचने में देर न हो जाए। परन्तु जब बीरबल ने उसे छेड़ कर कई बार पूछा तो वह मटक कर बोला – मुझे देर हो रहा है परन्तु आपके इतना आग्रह करने पर बतला देना भी ज़रुरी है। मेरी औरत ने एक दूसरा पति कर लिया है उससे उसे लड़का हुआ है, आज बरही है।

बीरबल ने उसे अपना नाम बतला कर रोक लिया और बोला – मुझे मेरे साथ बादशाह के पास चलना पड़ेगा, जब मैं छुट्टी दूँगा तब जाना। वह बीरबल का नाम सुनकर डर गया और लाचार होकर उसके साथ हो लिया। वह उसको साथ में लेकर आगे बढ़ा, देवयोग से रास्ते में एक घोड़ी सवार मिला। वह खुद तो घोड़ी पर सवार था परन्तु अपने सिर पर घास का बंडल ढो रहा था।

बीरबल ने उससे पूछा – क्यों भाई, यह क्या मामला है, आप अपने सिर का बोझ घोड़ी पर लादकर क्यों नहीं ले जाते ?

उसने कहा – इसका कारण यह है कि मेरी घोड़ी गर्भिणी है ऐसी दशा में उसपर इतना बोझ नहीं लादा जा सकता, मुझे ले जा रही है यही क्या कम गनीमत है।

बीरबल इस घोड़े स्वर को भी अपने साथ ले लिया और दोनों को लिये बादशाह के पास पहुंचा।

तब बीरबल बोला – चारो मूर्ख आपके सामने उपस्थित है।

बादशाह तो दो को ही देख रहा था और बोला – तीसरा मूर्ख कहां है ?

बीरबल ने कहा – तीसरा नंबर हजूर का ही है जो आपको ऐसे 2 मूर्खों के देखने की इच्छा होती है।

बादशाह को बीरबल के ऐसे उत्तर से बड़ी प्रसन्नता हुई और जब उन्हें उनकी मुर्खता का परिचय मिला तो खिलखिला कर हंस पड़े।

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