तिलों के बारे में प्राचीन अंध-विश्वास है कि बच्चा पैदा होने से पहले, माता के किसी प्रकार डरने पर बच्चे के शरीर पर तिल उभर आता है। लेकिन इसे केवल अंधविश्वास ही कह सकते हैं, तिलों को जन्म चिन्ह समझा जाता है क्योंकि तिल जन्म के समय या उसके शीघ्र बाद ही शरीर पर उभर आते हैं।
ये आश्चर्य की बात है लगभग हर व्यक्ति के शरीर में एक तिल अवश्य पाया जाता है। कभी-कभी तो दस से पंद्रह तिल एक व्यक्ति के शरीर में पाए जाते हैं। तिल टिशु के बढ़ने से बनते हैं। ये टिशु कोई से भी हो सकते हैं। कभी ये खून की नालियों के टिशु होते हैं, तो कभी ये बालों के अणुओं के तथा कभी किसी और प्रकार के भी होते हैं।
तिल दो कारणों से अच्छे नहीं समझे जाते। एक तो कभी-कभी तिल बढ़कर cancer का रूप भी धारण कर लेता है, लेकिन ये बहुत ही कम होता है।
दूसरे तिल कभी-कभी ऐसे स्थान पर होते हैं जो देखने में बुरे लगते हैं जैसे चेहरे पर बड़ा सा तिल कभी-कभी बहुत भद्दा लगता है। तिल क्योंकि अधिकतर कोई हानी नहीं पहुँचाते इसलिए उन्हें ऐसे ही छोड़ देना चाहिए। लेकिन किसी मस्से या तिल को बढ़ते, रंग बदलते या फिर जलन अथवा खुजली होते देखें तो उसे अवश्य निकलवा देना चाहिए।