Period kya hota hai? Mc kya hai? Period kyu aata hai?
हेल्लो दोस्तों आज हम आप को माहवारी के बारे में बताने जा रहा हूँ, जिसे आम भाषा में महिना, मासिक, MC या फिर पीरियड भी कहते हैं। हर लड़की जब अपने किशोरावस्था में कदम रखती है तो उसके शरीर में कुछ परिवर्तन होते हैं, जिसे वे समझ नहीं पाती। आज हम इसी विषय में आपको पूरी जानकारी देने जा रहें है। जब लड़का या लड़की युवावस्था में प्रवेश करने वाले होते हैं तो उनके शरीर में कई तरह के हार्मोनल परिवर्तन भी होते हैं।
पुरुष के अंडकोष में वीर्य का निर्माण होता है तो वहीं, लड़कियों के प्रजनन अंग भी विकसित होते हैं और इस दौरान एक प्रक्रिया घटती है जिसे हमने पीरियड्स नाम दे दिया है। आइये जानते हैं कि आखिर मासिक धर्म क्या होता है और यह क्यों होता है?
ये किशोरावस्था क्या है?
10 से लेकर 19 वर्ष की आयु तक को किशोरावस्था कहते हैं। इस किशोरावस्था के दौरान लड़कियों के शरीर में कुछ परिवर्तन आते हैं।
कैसा परिवर्तन होते है?
लड़कियों के शरीर में 3 प्रकार के परिवर्तन होते हैं।
- शारीरिक परिवर्तन – जब लड़कियां बालवस्था को पार कर किशोरावस्था में कदम रखती है तो उनके सिने का बढ़ना, कांख के नीचे बाल आना और जननांग में बाल आना ये सभी शारीरिक परिवर्तन है।
- मानसिक परिवर्तन – जब लड़कियां किसी लड़के को देख उसके तरफ आकर्षित हो जाती हैं तो इस आकर्षण को मानसिक परिवर्तन कहते हैं।
- भावनात्मक परिवर्तन – जब किसी विपरीत लिंग के बारे में सोचते हैं, जब कोई लड़का छूता है तो शरीर में सनसनी और कपकपी पैदा होना भावनात्मक परिवर्तन कहलाता है।
इन तीनों परिवर्तन को ही हम किशोरावस्था कहते हैं। लड़कियों के शरीर में जो परिवर्तन होते हैं उससे भी बड़ा परिवर्तन उनके शरीर के अन्दर होती है, यानि की आतंरिक परिवर्तन, जिसे हम पीरियड यानि मासिक धर्म कहते हैं।
पीरियड क्या है?
जब लड़कियां किशोरावस्था में पहुँचती हैं तो उनके शरीर से योनी के द्वारा खून का बहाव होता है जिसे हम पीरियड कहते हैं। ये हर महीने में 4-5 दिनों के लिए होता है और इसके बाद ये रुक जाता है और फिर ये 25-32 दिनों के बाद फिर शुरु होती है, जिसे हम पीरियड साइकिल कहते हैं। पीरियड की शुरुवात 10-15 वर्ष की आयु में शुरू होती है और ये नियमित होती है। शुरू-शुरू में पीरियड अनियमित होती है फिर धीरे-धीरे ये नियमित हो जाती है।
पीरियड क्यों होते हैं?
जब कोई भी लड़की मेच्योर (mature) हो जाती है तब उसके अंडाशय में अंडे विकसित होने लगते हैं। इसके साथ लड़की के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होना शुरू हो जाते हैं और गर्भ ठहर सके इसलिए, ये हॉर्मोन गर्भाशय की परत को मोटा बनाते हैं। गर्भाशय की परत म्यूकस (Mucus) और रक्त से भरी होती है। अब ओवरी से अंडा रिलीज होकर महिला के फैलोपियन ट्यूब में 12 घंटे तक लटकने के बाद गर्भाशय तक पहुंचता है। इस टाइम को ओवुलेशन टाइम बोलते हैं।
अगर इस दौरान महिला के डिम्ब में पुरुष के वीर्य के शुक्राणु प्रवेश हो जाते हैं तो महिला गर्भवती हो जाती है। periods (mc) kya hota hai in hindi में अगर महिला संभोग नहीं करती है और अंडा फर्टिलाइज नहीं होता है तो अंडा ओवुलेशन टाइम के 14 से 16 दिन बाद गर्भाशय में जमी परत के साथ महिला के योनि मार्ग से बाहर निकलता है। जो अपने साथ जमे हुए म्यूकस और रक्त को लेकर आता है और महिला को रक्तस्त्राव होता है।
क्या पीरियड के दौरान खून निकलने से शरीर में कोई तकलीफ होती है?
नहीं ऐसी कोई बात नहीं है, इस खून के निकलने से शरीर में कोई कमी नहीं होती है और न ही कमजोरी होती है। लड़कियों के शरीर में अंडाशय होता है और उसी अंडाशय के चारों तरफ गर्भाशय होता है। उस गर्भाशय में खून की परत जमी हुई होती है जिस वजह से अंडाशय से निकलने वाला अंडा उस गर्भाशय से चिपक जाता है। और इसी अंडे के साथ जब पुरुष का शुक्राणु संपर्क में आता है तब गर्भ ठहरता है। जिसे हम बच्चा होना भी कहते हैं।
पर जब पुरुष का शुक्राणु इस अंडे के साथ नहीं मिलता है तो गर्भाशय में जो खून की परत होती है वो टूट जाती है और जब वो टूट कर नीची की और गिरती है और योनी मार्ग से बहार निकलती है तो उसे ही हम पीरियड कहते है।
पीरियड के दौरान होने वाली परेशानियाँ?
जब पीरियड शुरू होती है तो लड़कियों को थोड़ा दर्द का सामना करना पड़ता है जैसे – पेट के नीचे वाले हिस्से में दर्द होना, कमर में दर्द होना और जांघों में दर्द होना। पीरियड में दर्द होने सामान्य समझा जाता है पर अगर ये दर्द बर्दाश्त में बहार हो तो अपने डॉक्टर से परामर्श लेना सही होगा।
पीरियड के दौरान साफ-सफाई का भी रखे ध्यान
कई लड़कियां पीरियड के दौरान साफ-सफाई का ध्यान नहीं देती। पीरियड के दौरान साफ-सफाई का भी ध्यान देना बहुत ही जरूरी है।
जैसे – साफ-सुथरे कपड़े पहनना, ठीक से नहाना और अपने गुप्तांगों की अच्छी से सफाई करना।
आज कल बाजार में बहुत से sanitary napkin मौजूद हैं पर आज भी कई लड़कियां पीरियड के दौरान कपड़ों का इस्तेमाल करती है, कपड़ों का इस्तेमाल करना सही है पर अच्छे से साफ किया हुआ सूती का कपड़ा ही इस्तेमाल करे या फिर pads का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
कपड़ों के इस्तेमाल में थोड़ी दिक्कतें आती है जैसे अगर खून का बहाव अधिक हो तो कपड़ा खून के बहाव को ठीक से सोख नहीं पता, चलने-फिरने में असुविधा होती है। हो सके तो पीरियड के दौरान pads का इस्तेमाल करे, ये आपको सहज महसूस करायेगा और ज्यादा खून के बहाव को भी थामे रखेगा, जिसकी वजह से आपको आपके रोजमर्रा के काम करने में भी दिक्कत नहीं होगी।
पीरियड आने के पहले मानसिक तनाव और शारीरिक कष्ट क्यों होते है?
स्त्री में मासिक धर्म (period) आने से पहले होने वाले मानसिक तनाव और शारीरिक कष्टों को चिकित्सा विज्ञान की भाषा में ” premenstrual tension syndrome ” के नाम से जाना जाता है।
बहुत सी स्त्रियों को पीरियड शुरू होने से कुछ दिनों पहले से ही मानसिक और शारीरिक कष्ट होने लगता है और स्त्राव के शुरू होते ही धीरे-धीरे गायब हो जाते हैं। Period problem and solution in Hindi.
इसमें मुख्य रूप से चिडचिडापन, आलस्य, मूड में बदलाव का होना, गाली-गलौज करना, हिंसक व्यवहार पर उतर आना, आत्महत्या की कोशिश करना, क्रोध और मानसिक उत्तेजना, निराशा होना, चिंता करना, नींद न आना, भूल जाना, बच्चों और परिवार के प्रति उपेक्षा भाव, जी मचलना, चक्कर आना, दिल का ज्यादा धड़कना, सांस फुलाना, सर में दर्द, बीमार और सुस्त नजर आना, भारीपन, दर्द महसूस करना, वजन बढ़ना।
ये सारी तकलीफें स्त्री के जीवन की बाध्यता है। जरुरत है उसे अपने को चुस्त रखने की।
जो स्त्री पीरियड का महत्व न समझकर उसे दूषित शारीरिक प्रक्रीय मानती है , उस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और डर की वजह से वह तनाव ग्रस्त रहने लगती है।
ऐसी स्त्री रतिक्रिया से भी कतराती है।
Doctors का मानना है कि पीरियड के पहले तनाव और कष्टों का कारण सेक्स hormones से संबंधित होती है और मस्तिष्क में पर्याप्त मात्रा Pairidoxic नामक chemical उत्पन्न न होने से भी ये परेशानियाँ होती है।
इस अवसर पर स्त्री में progesterone hormone और endrofin नामक chemical तत्व की कमी भी हो जाती है, जिसके कारण भी उपरोक्त समस्याएं खड़ी होती है।
वैज्ञानिको का कहना है कि असंतुलित diet के सेवन से मस्तिष्क में serotonin नमक तत्व की कमी हो जाती है, जिससे भावनात्मक तनाव के लक्षण पैदा होते हैं।
इन सभी कष्टों में मनोचिकित्सा की जरुरत अधिक होती है, इसलिए ऐसी स्त्री के प्रति सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करके किसी कुचल स्त्रिरोगी-विशेषज्ञ से परामर्श कर उचित चिकित्सा करनी चाहिए।
पीरियड के दौरान क्या खाना चाहिए?
अगर आप लड़की हैं तो आपको हर महीने पीरियड और उससे जुड़ी समस्याओं का सामना तो करना ही होगा। लेकिन आप सही खान-पान के जरिए दर्द, मरोड़, बैचैनी आदि लक्षणों को बहुत हद तक कम कर सकती हैं। अच्छी पोषक युक्त खुराक ना सिर्फ आपको उन मुश्किल दिनों में आराम दिलवाएगी बल्कि आपकी सामान्य स्वास्थ्य भी अच्छी रखने में सहायता करेगी। नीचे कुछ food दिए गए हैं जिन्हें सेवन करने से आपको पीरियड में काफी फायदा होगा।
1. Iron युक्त भोज्य पदार्थ
हरी पत्तेदार सब्जियां यानि green vegitables जैसे पालक, सरसों, केले आदि में भरपूर मात्र में iron होता है और आप जानते हैं की iron blood बनाने के लिए कितना जरूरी होता है। पीरियड के दौरान कुछ लड़कियों और महिलाओं में ज्यादा bleeding होता है और किसी में कम। लेकिन ये जरूरी होता है कि आप bleeding होने के कारण आपकी शरीर में हुई blood की कमी को iron के श्रोत खाकर पूरा कर लें। Blood की कमी कमजोरी, थकावट आदि लक्षण पैदा कर सकती है और ज्यादा मात्रा में blood बहने से आपको anemia भी हो सकता है।
2. Magnesium खाइए
Magnesium आपको पीरियड के दौरान होने वाले सर दर्द और मरोड़ से बचाता है। सभी तरह की दालें खाए जिससे आपको magnesium, fiber और protein मिलेगा। Magnesium पेट फूलने और पेट में दर्द को कम करने में भी मदद करता है। मूंगफली, tofu, beans आदि भी magnesium के अच्छे श्रोत होते हैं। आपको 200 mg magnesium की daily जरूरत होती है, जिसे आप पालक, salmon, अखरोट आदि magnesium के श्रोत खा कर पूरा कर सकती हैं।
3. Omega-3 fatty acid
आपके शरीर में prostaglandin पाए हैं जो कि पीरियड के दौरान होने वाले मरोड़ और पेट दर्द के लिए responsible होते हैं। Omega-3 fatty acid इन protagglandin के effect को खत्म करके आपको दर्द और पेट के cramps से बचाता है। इन omega acid को आप अलसी, salmon, अखरोट, olive oil आदि खा कर हासिल कर सकती हैं।
4. Vitamin-B complex
Vitamin-B1 irregular bleeding को control करता है। Vitamin-B6 पेट में मरोड़ को कम करता है। Vitamin-B3 mood swings को ठीक करता है साथ ही ये आपको जी मचलना, थकावट, भूख की कमी और उल्टी से भी बचने में help करता है। Vitamin-B5 depression, mood खराब होना, mental stress आदि mental problems को सही करता है।
Note – Vitamin-B complex पाने के लिए आप अपने doctor से पूछ कर Vitamin-B complex की गोली या capsule भी ले सकती हैं।
वैसे तो पीरियड के दौरान मिर्च मसालों से दूर रहना ही अच्छा होता है लेकिन हलकी लाल मिर्च का सेवन पीरियड के दौरान अच्छा माना जाता है। लाल मिर्च आपकी blood vessel को फैलने में मदद करती है जिससे आपका खून का दौरा सही बना सकता है।
5. Calcium
Calcium लड़कियों और महिलाओं के लिए एक बहुत ही जरूरी mineral होता है। यह PMS की समस्या को दूर करता है। आप दही, दूध का सेवन करके इसे पा सकती हैं। इसके अलावा केले, broccoli आदि में calcium अच्छी मात्रा में होता है। कुछ doctor calcium की chewable tablets खाने की भी सलाह देते हैं।
6. खूब पानी पीजिये
पानी पिने के फायदे तो अनगिनत हैं, लेकिन पीरियड के दौरान ये जरूरी हो जाता है कि आप खूब सारा पानी पिये ताकि आपका शरीर साफ रहे और आपके शरीर के सभी functions सुचारु रूप से चलते रहें। पीरियड में होने वाली water retention को पानी पीकर दूर रखा जा सकता है।
सवाल जवाब
पीरियड्स या मासिक धर्म कब और किस उम्र से शुरू होता है?
लड़कियों में 9 वर्ष से 16 वर्ष के बीच किसी भी उम्र से पीरियड्स आना शुरू हो जाते हैं। अगर किसी भी लड़की की उम्र 16 वर्ष से ज्यादा हो चुकी है और उसे मासिक धर्म नहीं हो रहा है तो डॉक्टर से जांच कराना चाहिए।
पीरियड्स पूरी तरह से बंद कब होते हैं और menopause किसे कहते हैं?
किसी भी महिला के पीरियड्स 45 और 50 वर्ष के उम्र के बीच में बंद हो जाते हैं। महिला के इस अवस्था को menopause या रजोनिवृत्ति भी कहा जाता है। जहां, महिला के अंडाशय से डिम्ब की उत्पत्ति पूरी तरह से रुक जाती है।
पीरियड्स में दर्द क्यों होता है?
इस पीरियड्स में गर्भाशय से परत के टूटने की वजह से महिलाओं को दर्द और ऐंठन का सामना करना पड़ता है। अगर महिला के शरीर में रक्त की कमी है तब भी उसे भारी दर्द का सामना करना पड़ता है। हमने पीरियड्स में पेट दर्द का इलाज के बारे में लिखा है, आप पढ़ सकते हैं।
क्या पीरियड्स होने के कोई लक्षण होते हैं?
हां, पीरियड्स शुरू होने से पहले महिला के पेट में दर्द, एंठन, सिर दर्द, बेचैनी, डायरिया, उलटी और चेहरे में पिम्प्लस जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।
पीरियड्स में डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए? (periods me doctor se kab mile)
अगर आपके पीरियड्स सामान्य नहीं हैं और हैवी ब्लीडिंग हो रही है या फिर आपको इस दौरान भारी दर्द का सामना करना पड़ रहा है तो आपको डॉक्टर के पास जाकर उनसे सलाह लेनी चाहिए। इन दिनों गर्म पानी पीना बेहतर रहेगा।
तो दोस्तों ये आर्टिकल सभी माताओं और बहनों को जागरूक करने के लिए है, जिन्हें पीरियड से जुड़े जिज्ञासाओं से निजात चाहिए। अगर आपको ये आर्टिकल अच्छी लगी या फिर आपको कुछ पूछना है तो आप comment के जरिए हमे बताए। धन्यवाद
right disijan
thank you bhai bahul sahi jankari diye