विज्ञापन से लाभ है या हानी? निबंध

विज्ञापन से लाभ है या हानी? Hindi essay: आधुनिक दुनियाँ को विज्ञान का युग भी कहा जाता है। लेकिन अब ये विज्ञापन युग (advertisement era) भी बन गया है। Radio, TV, News paper और magazines – सब में विज्ञापन ही विज्ञापन नजर आते हैं। नगरों की दीवारें ही नहीं, गाँवों की दीवारें भी विज्ञापनों से नहीं बची हैं। इस तरह आज हम चारों ओर से विज्ञापन से घिर गए हैं।

विज्ञापन हमारे जिंदगी में बुरी तरह दखल दे रही है। Radio पर broadcast program के बीच-बीच में आने वाले विज्ञापन कार्यक्रम का सारा मजा किरकिरा कर देती है। TV पर broadcast होने वाले सुंदर कार्यक्रम के बीच-बीच में प्रसारित किए जाने वाले विज्ञापन किसी शत्रु से कम नहीं लगते। उस समय विज्ञापन में अगर सौंदर्य और संगीत दिखाया जा रहा हो तो वह भी हमें बेकार लगता है।

अखबार में भी ज्यादातर जगह विज्ञापन ही हड़प लेते हैं। दीवारों पर चिपकाए गए विज्ञापन महीनों और कभी सालों तक हटाएँ नहीं जाते। चुनाव का विज्ञापन से मकानों की दीवारें बुरी तरह खराब हो जाती हैं।

एक ही चीज के अलग-अलग विज्ञापन लोगों को भ्रमित कर देते हैं। ग्राहक को समझ में नहीं आता कि वह कौन से brand की चीज खरीदे। किसी भी लोकप्रिय brand की चीज ज्यादा समय तक अपनी गुणवत्ता कायम नहीं रख पाती। बाजार में साख जमते ही वस्तु की गुणवत्ता कम हो जाती है, पर विज्ञापन की quality में कोई फर्क नहीं पड़ता।

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खाने पिने की चीजों में तो अक्सर विज्ञापन ‘ऊँची दुकान, फीका पकवान’ ही साबित होते हैं। Cadbery, chocolate, wafer आदि लुभावने विज्ञापन से बच्चे इन चीजों का सेवन करने लगते हैं और इनका बुरा असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है।

विज्ञापन का पाने एक importance भी है। अगर वे शाप हैं तो, तो वरदान भी है। विज्ञापन से हमें बाजार में आने वाले नए-नए products की जानकारी मिलती है। विज्ञापन देख कर ग्राहक को चीजों की पसंदगी करने का choice मिलता है। विज्ञापन से चीजों की बिक्री बढ़ती है। विज्ञापन के कारण अखबार 5 रूपए में मिल पाते हैं।

सिक्के के दो पहलुओं की तरह विज्ञापन के भी दो पहलू हैं – लाभ और हानि। विज्ञापन से लाभ उठाना हमारी समझदारी पर निर्भर करता है। आज के स्तिथि में विज्ञापन की जरूरत से इंकार नहीं किया जा सकता, लेकिन उसकी अती नहीं होनी चाहिए।

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