सुख और दुख क्यों? Hindi Story

एक बार एक आदमी के पास एक बहुत ही सुन्दर घर था। बल्कि वह उस नगर का सबसे सुंदर घर था जहाँ वह रहता था। वह आदमी अपने घर से बहुत प्यार करता था। इसलिए वह उस घर को किसी भी कीमत पर बेचने को तैयार नहीं था। कई लोग तो उस घर दुगनी कीमत देने को तक तैयार थे। परंतु वह आदमी दुगनी कीमत में तक नहीं माना।

एक दिन अचानक उस घर में आग लग गयी। और वह आदमी उस घर को अपने आंखों के सामने जलता हुआ देख रहा था, जिस घर से उसे बहुत ज्यादा प्यार था। परंतु वह चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता था। देखते ही देखते आग इतनी ज्यादा फ़ैल गयी थी कि उस घर में कुछ ऐसा नहीं बचा जो न जला हो। यह सब देखकर वह आदमी बहुत दुखी हो गया।

इतने में उस आदमी का लड़का आकर अपने पिता के कानों में धीरे से कहता है “पापा आप परेशान ना हों। मैंने यह घर कल ही बेच दिया था। मेरे पास इतना अच्छा ऑप्शन आया था कि मुझे आपको बताने का भी टाइम नहीं मिल पाया और मैंने यह मकान आपको बिना बताये ही बेच दिया था। कृपया मुझे माफ़ कर दें।”

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इतना सुनते ही उस आदमी ने भगवान का शुक्रिया किया और कहा “भगवान शुक्र है कि यह मकान अब मेरा नहीं है। आपने मुझे बचा लिया” और बस तमाशबीनों की तरह उस घर को जलते हुए देखने लगा जैसा कि और लोग भी देख रहे थे ।

इतने में उसका दुसरे लड़के ने आकर कहा “पापा आप यह क्या कर रहे हैं? चुपचाप बैठकर अपने घर को जलते हुए देख रहे हैं। आप कुछ करते क्यों नहीं हैं?”

उस आदमी ने जवाब दिया “चिंता मत करो। तुम्हारे बड़े भाई ने यह मकान कल ही बेच दिया है। तुम्हे और मुझे फ़िक्र या ज्यादा दुखी होने की ज़रूरत नहीं है.”

उसके बेटे ने कहा “पापा भाई ने सिर्फ कुछ एडवांस पैसे लिए हैं। पुरे पैसे नहीं लिए हैं। और अब मुझे डर है कि जिसको भैया ने घर बेचा है, अब वह आदमी इस घर को जला हुआ देखकर बाकि ke पैसे देने से मना ना कर दे।”

इतना सुनते ही उस आदमी के आँखों से आंसू बहने लगे। और उसकी धड़कने बहुत तेज़ धड़कने लगी। अब उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे। और फिर से गहरे दुःख में खो गया.

इतने में उसका तीसरा बेटा आया और कहने लगा “पापा आप लोग परेशान ना हों। मैं अभी उसी आदमी के घर से आ रहा हूँ जिसने यह मकान खरीदा है और वह आदमी इस घर के पूरे पैसे देगा। उसने कहा कि चाहे वह घर किसी भी हालत में है। पर अब वह घर मेरा है।”

यह सुनते ही सबने चैन की सांस ली और सब मिलकर बिना शिकन के उस घर को जलता हुआ देखने लगे।

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दोस्तों हमारे साथ भी कुछ ऐसा ही होता है। जब हमें किसी चीज़ ज्यादा फायदा दिखता है तो हम खुश हो जाते हैं जबकि ज़रा सा नुकसान होने पर हम एकदम से हतोत्साहित होकर दुखी होने शुरू कर देते हैं। चाहे कोई चीज़ कितनी प्यारी क्यों ना हो but अगर उसमे नुकसान होता है तो हम उस चीज़ में उतनी दिलचस्पी नहीं दिखाते।

दोस्तों इसका सीधा सा मतलब है हमें खुश रहने के लिए फायदा और नुकसान को देखना बंद करना होगा। जिस दिन नुकसान को दिल पर लगाना छोड़ दिया ख़ुशी अपने आप मिलनी शुरू ही जायेगी।

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