सुहागरात में या पहली रात में लड़की का खून निकलता है ये विचार हमारे मन में पहले से ही है और अगर ऐसा न हो तो लड़की कुंवारी नहीं है। इस तथ्य में कितनी सच्चाई है आज हम जानेगे और अगर आपके मन में भी ये दुविधा है तो आज का हमारा आर्टिकल पढ़ने के बाद आपके मन कि सारी उलझन सुलझ जाएगी।
सुहागरात में ब्लीडिंग, सुहागरात में संबंध बनाने के दौरान खून निकलना ज़रूरी है, पहली रात में खून निकालना… इस ग़लतफैयमी का शिकार हमारे देश के अधिकतर युवा देखे जाते है।
इनमें से कुछ तो सिर्फ़ इसी वजह से अपना शादीशुदा जिंदगी को भी दाव पर लगा देते है कि उनकी पत्नी को पहली रात को खून नहीं आया। इस ग़लतफैयमी को झूठा साबित करने से पहले हम यहाँ कुछ सच्चा उदाहरण दे रहे है।
रंजीत पढ़ा लिखा है, वो कपड़े की दुकान चलाता है। मतलब उसकी आर्थिक स्थिति ठीक है। उसकी शादी सीमा से हुई। शादी घरवालों की मर्ज़ी से हुई। सीमा हँसमुख स्वभाव की मिलनसार लड़की थी। दिखने में खूबसूरत थी। रंजीत को दहेज़ भी अच्छा मिला। शादी से सभी खुश थे।
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रंजीत भी खूबसूरत पत्नी पाकर खुश था। लेकिन शादी के दो दिन बाद ही उसके चेहरे की खुशी ग़ायब हो गई। हुआ ये कि जब उसने पत्नी के साथ सुहागरात मनाई तो पत्नी बजाय सर्माने के उसके साथ दोस्त जैसे बर्ताव करने लगी।
उसने पहली रात को जब पत्नी से यह कहा कि वो अपने सारे कपड़े उतार दे तो सीमा ने खुशी-खुशी ऐसा कर दिया।
रंजीत को थोड़ी सी हैरानी हुई, लेकिन उस समय वो जोश में था, इसलिए उसने ज़्यादा नहीं सोचा। उसने पत्नी के साथ से-क्स किया, पत्नी ने उसका खुलकर साथ दिया।
से-क्स करते समय सीमा को दर्द भी महसूस नहीं हो रहा था। से-क्स के बाद रंजीत उत्साह में कमरे की लाइट जला दी और बिस्तर को देखा, वहां खून के कोई भी निशान नहीं थे। बस, यही से रंजीत को समस्या शुरू हो गई।
उसके मन में ये शक बैठ गया कि सीमा कुंवारी नहीं थी। वो पहले से ही से-क्स कर चुकी है। उसका बर्ताव भी इतना खुला-खुला है।
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उस दिन के बाद रंजीत का चेहरा लटक गया। पत्नी से वो यह बात कह तो नहीं सका, पर अपने मन में उसके संदेह का बीज बो दिया। अब वो पत्नी से बेमन से ही संघर्ष करता।
पत्नी का लोगो से हसना, बोलना भी उसे नहीं भाता था। वो उसके चरित्र पर शक करने लगा। रात-दिन इसी बारे में सोचता रहता।
अपने मान की बात किससे कहता। संयोग से सीमा ने शादी के 8 महीने बाद एक बच्चे को जन्म दिया। इस बात ने रंजीत को ओर भी सक्की बना दिया।
उसे यकीन हो गया कि सीमा के शादी से पहले ही किसी ओर से संबंध थे ओर यह बच्चा भी उन्ही संबंधों का नतीजा है। घर में बच्चे के जन्म पर ख़ुशियाँ मनाई गई, पर रंजीत मान ही मान घुटता रहा।
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धीरे-धीरे उसने पत्नी पर लांछन लगाने शुरू कर दिया, उसे मारना-पीटना भी शुरू कर दिया। बात तलाक़ तक चली गई। आख़िर एक दिन रंजीत ने पत्नी पर यह आरोप लगा ही दिया कि वो चरित्रहीन है और यह बच्चा भी उसका नहीं है।
सीमा इस आरोप को सह ना सकी। वो स्वाभिमानी औरत थी। वो अपने मायके चली आई।
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उसने रंजीत को तलाक़ तो नहीं दिया लेकिन अदालत में मानहानि का केस डाल दिया। वो बच्चे का DNA टेस्ट करवाने को भी तैयार थी। जबकि रंजीत का आरोप था की बच्चा शादी के 8 महीने बाद पैदा हुआ है, इसलिए सीमा मायके से ही गर्भवती थी। दोनो के खून के सैंपल और बच्चे के खून के सैंपल लेकर DNA टेस्ट के लिए हैदराबाद भेजा गया।
इस टेस्ट में निकला कि बच्चे का पिता रंजीत ही है। अब रंजीत को अपनी ग़लती का एहसास हुआ। उसने सीमा से माफी मांगनी चाही।
पर सीमा ने उसे माफ़ नहीं किया। वो अपने बेटे के साथ अलग रहने लगी। रंजीत सबका बुरा भी बना और बदनाम भी हुआ। इसी कारण वो मनोरोगी हो गया।
इस उदाहरण का ज़िक्र करने का सिर्फ़ एक ही मतलब था कि पहली रात को पत्नी को ब्लीडिंग ना होने से किस तरह बात का बतंगड़ बन जाता है। हमें पहले यह जान लेना चाहिए कि पहली रात को या प्रथम से-क्स में स्त्री की योनि से खून क्यूँ निकलनी चाहिए।
इस ब्लीडिंग की ज़िम्मेदार है- hymen झिल्ली। स्त्री की योनि के बाहरी हिस्से में दो छेद होते है। एक छेद पेसाब के लिए होता है ओर दूसरा योनिद्वार होता है, जो अंदर गर्भाशय तक जाता है।
गर्भाशय में 2 फेलोपियन ट्यूब्स निकलती है जिनका मुंह गर्भाशय के अंदर खुलता है। इन दोनो फेलोपियन ट्यूब के मुहाने पर एक-एक डिम्बाशय होता है।
योनिद्वार जहाँ बाहरी त्वचा से जुड़ता है, वही पर यह hymen झिल्ली होती है। इस झिल्ली में छोटे-छोटे बरिख छेद होते है। स्त्री का पीरियड इस झिल्ली के टूटने से पहले इन छेद से निकलता है।
जब पहली बार कोई वस्तु योनि में प्रवेश होती है तो उसके दबाव से यह hymen टूटती है। इसके फटने से थोड़ा सा खून निकलता है।अब यह सवाल आता है कि क्या hymen झिल्ली पहली बार से-क्स के समय पुरुष के शिशन के झटके से ही फटती है? यह ज़रूरी नहीं है।
अगर लड़की ने हस्तमैथुन करते वक़्त अपनी उंगली योनि में अंदर तक प्रवेश कराई हो या उसने कोई चीज़ जननांग में प्रवेश कराई हो, तब भी hymen फट जाती है।
Hymen दूसरी वजाहो से भी टूट सकती है। अगर कोई लड़की वॉलीबॉल, बॅस्केटबॉल, जैसे खेल खेलती रही हो, या लंबी कूद, उँची कूद करती रही हो, साइकिल या घोड़े की सवारी करती रही हो तो इससे भी hymen झिल्ली टूट सकती है।
मतलब ज़ोर के झटके से hymen झिल्ली फट सकती है। अगर कोई तीन-चार फीट की ऊँचाई से कूदे तो इस झटके से भी hymen टूट सकती है।
ये साफ है कि hymen झिल्ली सिर्फ़ संभोग करने से ही नहीं टूटती, यह अन्य कारणों से भी फट सकती है। इसलिए किसी लड़की के कुवरेपन की गॅरेंटी यह नहीं की प्रथम संभोग में उसे ब्लीडिंग हुआ या नही।
हमारे समाज में स्त्रियों के लिए खास आचार-संहिता बनाई गयी है। विवाह से पहले वर्जिनिटी खोने का मतलब है की शादीशुदा जिंदगी सही नहीं होगी। कुछ संप्रदाय के लोगो में तो बाक़ायदा वो चादर देखी जाती है, जिस पर पहली रात को पति-पत्नी संभोग करते है। अगर उस चादर पर खून के धब्बे नहीं होते तो दुल्हन को नापाक ठहरा दिया जाता है।
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गाँव-देहातो में भी औरते दुल्हन के कपड़े में खून ढूढ़ती है। इससे वे अनुमान लगते है की दुल्हन कुवारि है या नही। लड़के भी अपने दोस्तों से यही सुनते है कि प्रथम संभोग में स्त्री को ब्लीडिंग ज़रूर होना चाहिए। यही इस बात का सबूत है की वो कुवारि थी।
इस अफ़वाह के बनाने का एक कारण यह है कि पहले के समय में लड़कियों की शादी कम उमर में हो जाती थी। क्योंकि इस उमर तक कॉलेज वग़ैरा जाना होता नहीं था, इसलिए अमूमन लड़कियों की hymen सुरक्षित होती थी।
ज़्यादातर देखा यह जाता है कि प्रथम संभोग में लड़की को ब्लीडिंग होता था, पर आज जमाना बदल गया है, लड़कियाँ भी लड़कों की तरह हर काम कर सकती है। वे साइकिल, मोटर-साइकिल, कार सभी कुछ चलती है, खेल-कूद में हिस्सा लेती है। अब शादी भी देर से होती है, इसलिए ज़्यादातर लड़कियों की hymen सुरक्षित रह पाना संभव नहीं है।
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इसलिए इस बात को कतई भी स्त्री के चरित्र का आधार नहीं बनाना चाहिए। वैसे भी जवान लड़की की hymen टूटने पर तो बहुत ज़्यादा ब्लीडिंग नहीं होता है। 2-4 बूँद खून ही निकलता है, जिसका पता भी नहीं चलता।
हर लड़की की hymen झिल्ली अलग-अलग सतह की होती है। कुछ में यह झिल्ली मोटी है, कुछ में पतली और लचीली होती है। यह इतनी लचीली भी हो सकती है की संभोग के दौरान भी नहीं टूटती। ऐसी घटनाएँ भी देखने आई है, जब डेलिवरी के डॉरॅन hymen झिल्ली काटनी पड़ी है।