सोच समझकर बोलें – Hindi Kahani

एक बार एक आदमी का बेटा बहुत बीमार था। उसके बेटे को तुरंत ऑपरेशन होना बहुत ज़रूरी था। वह तुरंत अपने बेटे को हॉस्पिटल ले गया। हॉस्पिटल पहुँचकर पता चला कि हॉस्पिटल में डॉक्टर नहीं है। उसने तुरंत हॉस्पिटल स्टाफ से कहकर डॉक्टर को बुलवाया।

काफी देर तक इंतज़ार करने के बाद भी डॉक्टर नहीं पहुंचा। वह आदमी बहुत गुस्से में डॉक्टर का इंतजार करने लगा। क्यूंकि वह अपने बेटे की वजह से बहुत बहुत बेसब्र हो रहा था।

बहुत देर इंतजार करने के बाद देखा कि डॉक्टर एकदम से दोड़ते हुए हॉस्पिटल में आये। और बिना समय बर्बाद किये कपडे बदलकर तुरन्त ऑपरेशन रूम में जा ही रहे थे कि उनकी नज़र उस आदमी पे पड़ी।

उस आदमी ने गुस्से में डॉक्टर से कहा “क्या आप अपनी ज़िम्मेदारी भूल गए हैं। मेरे बेटे की ज़िन्दगी खतरे में है और आप इतनी देर बाद आ रहे हो”

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डॉक्टर ने मुस्कुराकर जवाब दिया “मैं देरी से आने के लिये माफ़ी चाहता हूँ। जब मुझे फ़ोन आया उस वक़्त मैं हॉस्पिटल में था। और जितना जल्दी मैं यहाँ पहुँच सकता था। उतनी जल्दी यहाँ पहुँच गया हूँ। अब कृपया आप शांत हो जाइये ताकि मैं अच्छे से अपना काम कर सकूँ।”

आदमी चिल्लाया “क्या शान्त हो जाऊं। अगर ऑपरेशन रूम में आपका बेटा होता तो क्या आप शान्त रह सकते थे? अगर आपका बेटा डॉक्टर का इंतजार करते हुए दम तोड़ देता, तब आप क्या करते?”

डॉक्टर ने फिर से मुस्कुराकर कहा “ऐसा कुछ भी होगा। मैं अपनी पूरी ईमानदारी से आपके बच्चे का इलाज करूँगा। भगवान की दुआ से आपका बच्चा बहुत जल्दी ठीक हो जायेगा। आप हिम्मत रखिये।”

“दूसरों को सलाह देना बहुत आसान होता है। जिसपे बीतती है उसे ही पता चलता है।” उस आदमी ने गुस्से में बडबडाते हुए कहा।

आधे घंटे के बाद डॉक्टर ऑपरेशन रूम से बाहर निकला और उस आदमी को खुश होकर बताया कि “आप बेटा पूरी तरह से सुरक्षित है। आप बिलकुल भी फ़िक्र ना करें। वह जल्दी ही उठने बैठने लगेगा।”

इतना कहकर डॉक्टर जल्दी से वहाँ से यह कहते हुए चले गए कि आपको अपने बेटे के बारे में और कुछ भी पूछना हो तो आप नर्स से पूछ सकते हैं। वे आपको सब कुछ समझा देंगे।”

वह आदमी नर्स के पास गया और नर्स से कहा “डॉक्टर में कितना घमंड है। क्या 2 मिनट खड़े होकर मुझसे बात भी नहीं कर सकते थे? कम से कम मेरे बेटे का पूरा हाल तो बता देते।”

नर्स की आँखों से आंसू गिरने लगे और आदमी से कहा “कल सड़क दुर्घटना में डॉक्टर साहब के बेटे की मृत्यु हो गयी थी। और जब हमने उन्हें फ़ोन किया उस वक़्त वे अपने बेटे की चिता को आग देने की तैयारी कर रहे थे। मगर हमारा फ़ोन जाते ही वे तुरंत हॉस्पिटल आ गये। और अब जल्दी से अपना काम ख़त्म करने वापस शमशान चले गए ताकि बेटे की चिता को आग दे सकें।

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नर्स कि यह बात सुनकर वह आदमी एकदम सन्न रह गया। और मन ही मन बहुत दुखी था।

दोस्तों अक्सर ज़िन्दगी में ऐसे मोके आते हैं जब हम किसी पे बिना कुछ सोचे समझे गुस्सा दिखाते हैं और उट-पटांग सुना देते है। हो सकता है जिसपे हम किसी गलती के लिये गुसा कर रहे हों, उसने वह गलती की ही ना हो या हमें ही कोई गलफहमी हो गयी हो। किसी पे भीगुस्सा करने से पहले ज़रूर सोच-समझ लेना चाहिए।

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