अपनी शादी के लिए खुद को तैयार कैसे करे?

शादी ही एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है, जिसके बाद न केवल आपकी बल्कि आपके साथी की भी दुनिया बदल जाती है। बिना किसी शर्त अगर साथी के प्रति प्यार और विश्वास रखें, तो बाकी परिस्थिति अपने आप बन जाती है। और अगर सब कुछ सही होने के बावजूद, मानसिक रूप से लड़का-लड़की शादी के लिए तैयार नहीं है, तो पति-पत्नी का रिश्ता टिक नहीं पाता।

इसलिए शादी से पहले इन जिम्मेदारियों को संभालने ले लिए लड़के-लड़कियों का मानसिक रूप से तैयार होना बहुत जरूरी है।

खुद से करें सवाल

  • क्या यह शादी करने की सही उम्र है?
  • क्या मैं किसी ओर के साथ अपनी जिंदगी बिताने के लिए तैयार हूँ?
  • क्या मैं शादी की ज़िम्मेदारी उठाने के लिए तैयार हूँ?
  • क्या हमारे बीच इतनी समझ बन पाएगी कि हम एक-दूसरे से बातें शेयर कर पाएंगे?
  • कहीं में किसी भावुक दबाव में आकर तो शादी नहीं कर रही/रहा हूँ?
  • क्या शादी के बाद हमारी सामाजिक जीवन और आज़ादी में बदलाव आ जाएंगे?
  • क्या शादी के बाद हमारी प्राथमिकता (priority) बदल जाती है?

अगर आपको लगता है कि पहले चार सवालों के आपके जवाब सकारात्मक है तो इसका मतलब है कि आप शादी के लिए मानसिक तौर पे तैयार है। अगर नहीं, तो इन बातों पर भी गौर करें।

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अपनी शादी के लिए खुद को तैयार कैसे करे?

अपनी शादी के लिए खुद को तैयार कैसे करे?

शादी के लिए लड़की अपने आपको कैसे तैयार करे?

इस बात को समझें कि अब रिश्ते बदल रहें है। अब आप अपने बाबुल के आंगन की स्वतंत्र व अल्हड़ बिटिया नहीं हैं, बल्कि शादी के बाद कई रिश्तों को एक साथ निभाने है।

अच्छी जीवन-साथी, आदर्श बहु, भाभी जैसी भूमिकाओं में खुद को साबित करना है। ससुराल-वालों की अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए उन पर खरा उतरने का प्रयास करना है।

व्यावहारिक बनना है, पर हर किसी की भावनाओं का ख्याल भी रखना है।

मायके और ससुराल के रिश्तों के बीच संतुलन और परस्पर आदर व स्नेह बनाए रखने की ज़िम्मेदारी भी अब आपकी ही है। न तो दोनों के बीच तुलना करें और न ही किसी को कम या ज्यादा मान दें। खासकर आर्थिक स्तिथि के बारे में कभी भी चर्चा न करें।

यदि आप कामकाजी महिला है, तो ज़िम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। घर के नए वातावरण के अनुरूप बनना और carrier में संतुलन बनाना आसान नहीं होता, लेकिन मन के विचार, सोच या उस घर को अपनाने का पक्का इरादा आपको सफल ज़रुर बनाएगा।

सबसे ज्यादा चिंता लड़कियों की इस बात की होती है कि ससुराल में उनके स्वागत के साथ मायके के दिए गए समान व लेन-देन को लेकर अथवा स्वागत-सत्कार को लेकर कोई आलोचना न हो, लेकिन इस चिंता या डर को आप खुद पर हावी न होने दें।

बहु कितनी भी गुनी क्यों न हो, उसके बनाए भोजन को लेकर घर में हर व्यक्ति के खास अरमान होते है। पति भी चाहता है कि उसकी पत्नी की प्रशंसा हो, इसलिए यह कला शादी के पहले ज़रुर सिख लें।

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शादी के लिए लड़के अपने आपको कैसे तैयार करे?

आप एक लड़के को अपने जीवन का हिस्सा बनाने जा रहें है। लड़की अपने घर-परिवार को छोड़कर आपके साथ जिंदगी बिताने आ रही है, इसलिए उसकी हर ख़ुशी का ख्याल रखना अब आपकी ज़िम्मेदारी है।

प्राय हमारे समाज में हर परिवर्तन की अपेक्षा लड़की से ही की जाती है, वो अपेक्षाओं पर खरी उतरे, उसके लिए उसे पति के सहयोग की जरूरत होती है, इस जरुरत को समझे।

शादी के बाद माता-पिता व पत्नी के बीच आत्मीय संतुलन बनाए रखने में पति की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है और इसके लिए आपको पत्नी की मन स्तिथि को समझने की जरुरत है। धैर्य के साथ दोनों रिश्तों को संभालना अब आपकी ज़िम्मेदारी है।

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अपने घर में तालमेल बैठने के साथ-साथ लड़कों को ससुराल-पक्ष के साथ भी मधुर संबंध बनाए रखना चाहिए। जितना अधिक आदर-स्नेह आप लड़की के माता-पिता को देंगे, उतना ही अधिक आपके अपने घर का माहौल खुशहाल बना रहेगा।

लड़कियाँ बड़ी उम्मीद के साथ ससुराल की दहलीज पर कदम रखती है। वो अपने जीवनसाथी को एक जिम्मेदार, समझदार व आदर्श पुरुष के रूप में देखना चाहती है।

इसलिए अपने स्वभाव व आदतों के प्रति गंभीरता से विचार करें। यदि आप मानसिक रूप से इस बंधन या ज़िम्मेदारी के लिए तैयार नहीं है, तो शादी न करना ही बेहतर है।

आज बड़ी उम्र की लड़कियाँ दाम्पत्य जीवन के मायने समझती है और कुछ हद तक demanding भी है। पति को परमेश्वर नहीं, बल्कि अच्छा जीवनसाथी मानती है। इसलिए caring-sharing की भावना को ग्रहस्थी की बुनियाद बनाएं।

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दोनों के लिए जरूरी है

शादी जैसे पवित्र शब्द का सही अर्थ समझें। शादी की सफलता के लिए पति-पत्नी का आदर्श होना उतना मायने नहीं रहता, जितना कि सहज रूप से एक-दूसरे को सही रूप में समझना, स्वीकारना व सामंजस्य बनाना होता है।

  • सही व सरल communication बहुत जरूरी है, ताकि सकारात्मक माहौल बना रहे।
  • जो भी वादा करें, उसे सहर्ष निभाए।
  • S*xual भावनाओं के प्रति सकारात्मक सोच रखें।
  • एक-दूसरे को उनकी कमजोरियों के साथ मानसिक व भावनात्मक सहारा देने के लिए सहज रूप से तैयार रहें।
  • हर ज़िम्मेदारी, समस्या व तनाव की स्थिति में एक-दूसरे का सहारा बने।
  • छोटी-छोटी खूबियों व कामयाबियों की प्रशंसा करें।
  • विश्वास व भरोसा पैदा करें।
  • दोनों परिवार के प्रति समान रूप से आदर व स्नेह अपनाएं। दोनों के मान-सम्मान की रक्षा का ध्यान रखें।
  • ‘मेरा-तेरा’ छोड़कर ‘हम-हमारा’ का दृष्टिकोण अपनाएं।

आज के आधुनिक माहौल में ढेरों चुनौतियाँ है। जहाँ एक ओर काम का दबाव है, तो वहीँ दूसरी ओर कई अपेक्षाएँ भी है। इसलिए बहुत जरूरी है कि विवाह के बंधन में बंधने से पहले लड़के-लड़कियाँ मानसिक रूप से इस ज़िम्मेदारी को निभाने के लिए स्वयं को तैयार करें।

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