Pahla pyar! ek ladki ki prem kahani- एक लड़की की सच्ची प्रेम कहानी

Pahla pyar! ek ladki ki prem kahani: न जाने कितना कुछ सुना था इस हसीन एहसास के बारे में। पर जब भी इस बारे में सुनती थी, तो यही सोचती थी कि मेरा पहला affair कब, कहा और कैसे हुआ? हुआ भी की नहीं?

सोलह साल कब आया और चला गया, पता ही नहीं चला। कितना कुछ सुन रखा था इस सोलहवे सावन के बारे में की दुनिया हसीन लगने लगती है। मन बिना पंख लगाए आसमान में उड़ने लगता है।

लेकिन में तो जैसे अछूती, अनजान सी ही रही इस साल के बदलावों से। पापा की हिदायते, माँ की नशिहतो, बड़ी दीदी की प्यार भरी सीखो में खुद को ढालने में व उसमे खरा उतरने में ख्याल कही और गया ही नहीं।

बड़े भैया की निगरानी और छोटे भाई-बहनों के लिए एक आदर्श उपस्थित कर उनकी प्रेरणास्रोत बनने में खुद को इतना संजोये रखा की कब स्कूल से निकल कर विस्वविध्यालय की सीढ़िया चढ़ गई, एहसास ही नहीं हुआ।

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विस्वविध्यालय दूसरे शहर में होने के कारण छात्रावास में रहकर स्नातक डीग्री हासिल की।

हमेशा यही उद्देश्य रहा कि अच्छे अंकों से ही हर परीक्षा पास करने है और कॉलेज व हॉस्टल से मेरे घर तक किसी भी तरह की शिकायत का मौका किसी को भी न देना।

शादी भी पापा की पसंद से कर ली, जिसमे औपचारिक रुप से एक ही बार मिलना हुआ था।

पहला प्यार- एक लड़की की प्रेम कहानी

पहला प्यार- एक लड़की की प्रेम कहानी
Pahla pyar! ek ladki ki prem kahani- एक लड़की की सच्ची प्रेम कहानी

चट-मंगनी, पट ब्याह को सार्थक करने में पीहर से ससुराल भी आ गई। बड़ी ननद ने फरमान सुनाया की मंगल दोष के कारण कल से गृहस्त जीवन में प्रवेश कर सकोगी, इसलिए आज रात मेरे साथ सोना होगा। मेरा तो दिल धड़कना ही जैसे बंद हो गया था।

नया माहौल और उस पर आते ही इस तरह का फरमान। कमरे में तीन बिस्तर लगे- मेरे, ननद और पति देव का, जिनसे में पूरी तरह से अंजान ही थी। बिस्तर पर लेटी तो दीदी ( ननद ) को देखा, वो गहरी नींद की आगोश में जा चुकी थी।

लेकिन यहाँ में थी, जिसकी आँखों में नींद का नामोनिशान तक नहीं था। एक तरफ अपनों से बिछड़ने का गम था तो दूसरी तरफ यह एहसास कि अपनों ने पराया तो कर दिया, पर परायो ने अब तक मुझे अपनाया ही नहीं।

बस, यही ख्याल आते ही आँसू आँखों से गिरने लगे और मेरी सिसकियाँ तेज़ होने लगी। तभी अचानक किसी के स्पर्श से में चैक गई।

उठकर देखा, तो पति देव सामने थे। उन्होंने बड़ी शालीनता से मेरे पास आकर मेरा हाथ अपने हांथो में थाम लिया और होले से मेरे आँसू पोंछे।

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फिर धीमे स्वर में कहा, प्लीज रो मत, मैं हूँ हमेशा तुम्हारे साथ। में सिर्फ तुम्हारा पति ही नहीं, बल्कि एक दोस्त और एक हमसफ़र भी हूँ। अपने मन की हर बात तुम मुझसे शेयर कर सकती हो।

वो कहते जा रहे थे और मैं उनके प्रथम स्पर्श व म्रदु वाणी की गरिमा में ऐसी डूबी कि पता ही नहीं चला कि कब सुबह की लालिमा ने हमारे बीच पसरे अंधकार के घूँघट को अनावरित कर हमें एक-दूसरे का धुँधला ही सही, पर खूबसूरत अक्स दिखा दिया। संकावो के बदल छट चुके थे।

सच्चे विस्वास व प्रेम की डोर बंध चुकी थी और मन ही मन मैं कह उठी- यही तो है मेरा पहला प्यार, पहला अफेयर आज हम अपनी 25 वी सालगिरह मना चुके है और पति देव ने उस रात किये हर वादे, हर कसम को पूरी विश्वास व प्यार के साथ निभाया।

लेखिका : अनिप्रिया

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