संतोष ही सच्चा धन है – Moral Story

Hindi moral story, gyan ki kahani, kuch sikhne wali kahani hindi me: रामपुर नाम का एक गांव था। एक साल उस इलाके में बरसात नहीं हुई, खेती मारी गई और भारी अकाल पड़ा। रामपुर भी अकाल के भीषण तांडव से बच नहीं पाया। लोग भूखों मरने लगे।

रामपुर का जमींदार बड़ा दयालु था। मासूम बच्चों और बेसहारा औरतों को भूखे मरते देखकर उसे बहुत दुख हुआ। गाँव की दुर्दशा उससे देखी न गई। उसने लोगों को रोटियां बांटना शुरू किया। एक दिन उसने जानबूझकर एक रोटी छोटी बनवाई। जब रोटियां बांटी जाने लगी, तब सभी बड़ी-बड़ी रोटी लेने की कोशिश कर रहे थे। छोटी रोटी लेने के लिए कोई तैयार नहीं हो रहा था।

इतने में एक छोटी बालिका आई। उसने सोचा छोटी रोटी ही मेरे लिए काफी है। उसने फौरन वह रोटी ले ली। घर जाकर बालिका ने रोटी तोड़ी तो उसमें से सोने का एक सिक्का निकला। बालिका और उसके माँ-बाप उस सिक्के को लौटाने के लिए जमींदार के घर जा पहुंचे।

जमींदार ने बालिका से कहा – यह सिक्का तुम्हारे संतोष और सच्चाई का इनाम है।

वे बहुत खुश हुए और सिक्का लेकर घर लौट आए।

सीख – संतोष और सच्चाई अच्छे गुण है। शुरू-शुरू में भले कोई लाभ न दिखाई दे, परन्तु अन्त में उसका सदा अच्छा फल मिलता है।

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