मेरी प्रिय ऋतु- निबंध, Hindi essay: हेमंत, शिशिर, वसंत, ग्रीष्म, वर्षा और शरद इन छह ऋतुओं का जो सुंदर काम हमारे देश में है, वह दुसरे देशों में नहीं पाया जाता। प्रत्येक ऋतु की अपनी छटा होती है, अपना आकर्षण होता है। इन सभी ऋतुओं में मुझे वसंत ऋतु सबसे अधिक प्रिय है।
शिशिर का अंत होते ही वसंत की सवारी सज-धज के साथ आ पहुँचती है। बागों में, वाटिकाओं में, वनों में, प्रकृति उसके स्वागत की तैयारियाँ करने लगती है। कलियाँ अपने घूँघट खोल देती हैं। जूही, चंपा, चमेली, गुलाब आदि फूल अपनी सुगंध बिखेर देते हैं। भौरे गूंज उठते हैं और तितलियाँ अपने चटकीले-चमकीले रंगों से ऋतुराज का स्वागत करने के लिए तैयार हो जाती है। धरती के कण-कण में नया जीवन नजर आने लगता है।
सचमुच, वसंत की शोभा मेरे ह्रदय को उल्लास से भर देती है। एक ओर शीतल, मंद, सुगंधित पवन के मधुर झोंके मन को मतवाला कर देते हैं, तो दूसरी ओर फुलवारियों की बहार बूढ़ों को भी जवान बना देती है। खिलती कलियाँ देखकर मेरे जी की कली भी खिल उठती है। एक ओर प्रकृति के रंग और ऊपर से रंगभरी होली! अबीर-गुलाल के रुप में मानो ह्रदय का प्रेम ही उमड़ पड़ता है। ऐसा मनभावन वसंत मुझे प्रिय क्यों न हो?
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कुछ लोग वर्षा को वसंत से बेहतर मानते हैं। पर कहाँ वर्षा का कीच-पिच भरा मौसम और कहाँ वसंत की बहार! शरद की शोभा भी वसंतश्री के सामने फीकी पड़ जाती है। वसंत, सचमुच, ऋतुराज है।
वसंत का आगमन होते ही मेरे मन में इन्द्रधनुष के रंगों की बहार छा जाती है और मेरी कल्पना तरंगिनी हो उठती है। बागों में सैर करते मन नहीं भरता। मेरी आँखों पर प्रकृति के आकर्षण का चश्मा लग जाता है और मेरे दिल में उमंगों का सूर्योदय हो जाता है। कोयल की गीत मुझे कविता लिखने की प्रेरणा देते हैं। फूल मन को खिलने और ओठों को हँसना सिखाते हैं। तितली फूलों को प्यार करना और भौरें गुनगुना सिखाते हैं।
ऐसी अनोखी और मनभावन है मेरी प्रिय ऋतु वसंत! मैं हर साल इसकी प्रतीक्षा करता रहता हूँ।
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