मेरा प्रिय संगीतकार- निबंध

मेरा प्रिय संगीतकार- निबंध, Hindi essay: कला के क्षेत्र में भारत हमेशा आगे रहा है। भारतीय संगीत के प्रेमी दुनिया के कोने-कोने में पाए जाते हैं। भारतीय संगीत के प्रचार-प्रसार में यहाँ की फिल्मों का बड़ा हाथ है। हमारी फिल्मों के संगीत निर्देशकों ने ही सारी दुनिया को भारतीय संगीत की पहचान कराई है। फिल्मी संगीत निर्देशकों में नौशाद मेरे प्रिय संगीतकार हैं।

नौशाद काफी संघर्ष के बाद फिल्म निर्देशक बने थे। उनका प्रिय वाद्य पियानो था। उसे बजाते-बजाते वे 1940 म फिल्म ‘प्रेमनगर’ के संगीत-निर्देशक बने। कारदार स्टूडियो के मालिक ए. आर. कारदार ने नौशाद को अपने यहाँ से निकाल दिया था, परंतु विजय भट्ट की फिल्म ‘स्टेशन मास्टर’ में नौशाद ने इतना शानदार संगीत दिया कि कारदार ने उन्हें फिर से अपने यहाँ बुलाया और उन्हें कारदार प्रोडक्शन का स्थायी संगीतकार बना दिया।

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सन 1944 में ‘रतन’ फिल्म आई। उसके संगीत ने नौशाद को सारे देश में लोकप्रिय बना दिया। उस फिल्म के गीत ‘अँखियाँ मिलाके’ , ‘सावन के बादलो’ और ‘दिवाली फिर आ गई सजनी’ सार देश में गूँजने लगे। ‘शाहजहाँ’, ‘दर्द’, ‘दिल्लगी’, ‘अनमोल घड़ी’ और ‘अंदाज’ जैसी फिल्मों में नौशाद की संगीत-प्रतिभा खूब चमकी। वे सिने-प्रेमियों क लाड़ले संगीतकार बन गए। 1948 में फिल्म ‘मेला’ ने उनकी कीर्ति में चार चाँद लगा दिए।

नौशाद ने अपनी कुछ फिल्मों में शास्त्रीय संगीत को भी स्थान दिया। कुछ लोगों को यह पसंद न आया और उन्होंने नौशाद की आलोचना की। तब उन लोगों का मुँह बंद करने के लिए नौशाद ने विजय भट्ट की फिल्म ‘बैजू बावरा’ में उ. अमीर खान और पं. दत्तात्रय विष्णु पलुस्कर जैसे महान शास्त्रीय संगीतकारों का पाश्र्वगायन प्रस्तुत किया। इस फिल्म ने अपार लोकप्रियता प्राप्त की। फिल्म ‘बाबुल’ में भी उनके संगीत की खूब प्रशंसा हुई। साठ का दशक आते-आते भारतीय फल्मों में पश्चिमी संगीत की हवा बहने लगी। नौशाद ने भी हवा का रुख अपने विरुद्ध देखा तो संगीत बंद कर दिया।

नौशाद सही अर्थों में भारतीय संगीतकार थे। उनके संगीत में भारत के ह्रदय की धड़कन महसूस होती थी। मैंने नौशाद का जमाना नहीं देखा, पर आज भी जब उनकी फिल्में किसी थियेटर में या टीवी पर आती है तो मैं उन्हें जरूर देखता हूँ।

14 वर्ष की उम्र में नौशाद ने अपने उत्कट संगीतप्रेम और पिता के संगीतविरोधी होने के कारण ओना घर छोड़ दिया था। वे नौशाद मेरे प्रिय संगीतकार हों, तो इसमें आश्चर्य ही क्या?

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