हमारे देश में शादी को एक सामाजिक त्योहार के रुप में देखा जाता है। ऐसे में भारत में शादी के महत्व को खुद ही समझा जा सकता है। अगर आप भारत में है और 30 वर्ष की उम्र तक शादी के बंधन में नहीं बंधते, तो लोग आपसे सवाल करना और आपको शादी करने की सलाह देना अपना हक समझते है।
शादी की सफलता और असफलता कई बातों पर निर्भर करती है। लेकिन सच्चाई यही है कि आज भी अधिकांश लड़कियां अपनी नाकाम, असफल शादियों को पूरी जिंदगी झेलती रहती है।
पर सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर क्यों वे इस तरह की शादियों में बंधी रहती है? (ladki nakaam shadi kyu nibhati hai) क्यों कोई ठोस निर्णय लेकर अलग होने की हिम्मत नहीं कर पाती? क्यों सारी उम्र जिल्लत सहना अपना नसीब मान लेती है?
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लड़कियां नाकाम शादी क्यों निभाती है? Ladki bure pati ke sath kyu rehna chahti hai?
1. पालन-पोषण
भले ही हम कितनी ही विकास की बातें कर ले, लेकिन आज भी अधिकतर घरों में लड़कियों का पालन-पोषण यही सोच के किया जाता है कि उसे पराये घर जाना है यानि उसे हर बात को सहन करना, शांत रहना, गुस्सा न करना आदि गुणों से लेस करवाने का अभ्यास बचपन से ही करवाई जाती है।
ऐसे में वो आत्मनिर्भर नहीं हो पाती। शादी के बाद उन्हें लगता है कि जिस तरह अब तक वो अपने माता-पिता पर निर्भर थी, अब पति पर ही उनकी सारी ज़िम्मेदारी है।
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2. मानसिकता – Mindset
हमारे समाज की सोच यानि mindset ही ऐसा है कि शादी यदि हो गई, तो अब उससे निकलना संभव नहीं है, फिर भले ही उस रिश्ते में आप घुट रहे हो, लेकिन लड़कियों को यही सिखाया जाता है कि शादी का मतलब होता है जिंदगीभर का साथ।
तलाक (Divorce) का विकल्प या अलग होने के रास्तों को एक तरह से परिवार व लड़की की इज़्ज़त से जोड़ दिया जाता है। ऐसे में खुद लड़कियां भी अलग होने का रास्ता चुन नहीं पाती।
3. सामाजिक कलंक
घर की बात घर में ही रहनी चाहिये। अगर तुम अलग हुई तो, तुम्हारे भाई-बहन से कौन शादी करेगा। उनके भविष्य के लिए तुम्हें सहना ही पड़ेगा। समाज में बदनामी होगी। हम लोगो को क्या मुँह दिखायेंगे। इत्यादि बातें लड़कियों को जन्म-घुट्टी की तरह पिला दी जाती है।
ऐसे में पति भले ही कितना ही बुरा बर्ताव करे, शादी का बंधन भले ही कितना ही दर्द दे रहा हो, लड़कियां सबसे पहले अपने परिवार और फिर समाज के बारे में ही सोचती है।
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4. आर्थीक मजबूरी
आज की तारीख में लड़कियां आत्मनिर्भर हो तो रही है, लेकिन अब भी बहुत सी लड़कियां अपने आर्थिक जरूरतों के लिए पहले अपने माता-पिता पर और बाद में पति पर निर्भर होती है। यह भी एक बड़ी वजह है कि वो अक्सर चाहकर भी नाकाम शादियों से बाहर नहीं निकल सकती। कहाँ जाएँगी? क्या करेंगी? क्या माता-पिता पर फिर से बोझ बनेगी?
इस तरह के सवाल उनके पैरो में बैड़िया डाल देती है पति का घर छोड़ने के बाद भी उन्हें मायके से यही सिख दी जाती है कि अब वही तेरा घर है। दूसरी ओर उसे मायके में और समाज में भी इज़्ज़त की दृष्टि से नहीं देखा जाता। ऐसे में बेहद कठिन हो जाता है कि वो अपनी शादी को तोड़कर आगे कदम बढ़ाये।
5. बच्चे
किसी भी नाकाम शादी में बने रहने की सबसे बड़ी वजह बच्चे ही होते है। बच्चों को दोनों की जरुरत होती है, ऐसे में पति से अलग होकर उनका भविष्य क्या होगा? यही सोच कर ज्यादातर लड़कियां इस तरह की शादी में बंधी रहती है।
6. समाज
आज भी हमारा समाज तलाक़शुदा (divorcee) लड़कियों को इज्जत की नजर से नहीं देखता। चाहे नाते-रिश्तेदार हो या फिर आस-पड़ोस के लोग, वो यही सोच रखते है कि ज़रूर लड़की में ही कुछ कमी होगी, इसीलिए शादी टूट गई।
एक तलाक़शुदा लड़की को बहुत सी ऐसी बातें सुननी व सहनी पड़ती है, जो उनके दर्द को और बढ़ा देती है। यह भी कारण है कि शादी को बनाए रखने के लिए कोई भी लड़की आखिर तक अपना सब कुछ देने को तैयार रहती है।
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7. माता-पिता
ढ़लती उम्र में अपने माता-पिता को ये दिन दिखाए, इतनी हिम्मत हमारे समाज की बेटियां नहीं कर पाती। फिर भले ही वो खुद अपनी जिंदगी का सबसे कीमती समय एक खराब और नाकाम शादी को दे दें।
ये तमाम पहलू है, जो किसी भी लड़की को एक नाकाम शादी से निकल कर बेहतर जिंदगी की ओर बढ़ने से रोकते है, क्योंकि हम यही मानते है कि बिना शादी के जिंदगी बेहतर हो ही नहीं सकता।
हमारे समाज में शादी को Settled होना कहते है और तलाक (Divorce) को जिंदगी का सबसे बड़ा अभिशाप समझा जाता है। जब तक हम इन सामान्य क्रियाओं को सामान्य नजर से नहीं देखने लगते, तब तक स्तिथि में अधिक बदलाव नहीं आएगा।
कुछ बदलाव तो आए है
समाज में काफी बदलाव आ रहे है लेकिन इन बदलाओं के होते हुए हमें संतुलन की ओर बढ़ना होगा, जहाँ तक पहुचने में समय लगेगा।
✤ New Generation अधिक Bold है। वह फैसला लेने में डरती नहीं। यही कारण है कि जैसे-जैसे लड़कियाँ आत्मनिर्भर हो रही है, वो ज़्यादती बर्दाश्त नहीं कर रही है।
✤ यह जरूरी भी है कि पुरुष प्रधान का Ego इसी तरह तोड़ा जाए, ताकि पुरुष खुद को लड़कियों की जगह रख कर सोचे।
✤ हालांकि इसका दूसरा पहलू यह भी है कि अब लड़के-लड़कियाँ थोड़ा सा भी adjust करने को तैयार नहीं होते, जिससे रिश्ता को जितना समय और सब्र की जरूरत होती है, वो नहीं देते। यही आज बढ़ते तलाक (Divorce) के मामलों की बड़ी वजह बन रहे है।
✤ कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि हम दोनों ही मामलों में extreme level पर है। एक तरफ middle age generation है, जहाँ लड़कियां फैसला नहीं ले पाती और यदि कोई फैसला लेती भी है, तो तब जब रिश्तों में सब कुछ नियंत्रण से बाहर हो जाता है और इस पर भी तलाक जैसा कदम वही उठा पाती है, जिन्हें माता-पिता का समर्थन होता है।
दूसरे और आज की युवापीढ़ी (New Generation) है, जो फैसला लेने में बहुत जल्दबाजी करती है। मामूली से झगड़े, वाद-विवाद को भी रिश्ते तोड़ने की वजह मान लेती है।
जबकि जरूरत है बीच के रास्ते की, लेकिन वहां तक पहुँचने में अब भी काफी समय लगेगा।
Right bht sachai hai is artical me aj b ladki talak ne le pati sb kuch chup chap sehati rheti hai khe samaj me badnami na hu jaye agr talak hogya mera husband b mujhe bht tang krta pr mere pas koi option nhi