लड़का और लड़की में क्या अंतर है? Ladka or ladki me antar

हमें लगता है कि हर स्तिथि में सामने वाले को भी हमारे जैसा व्यवहार और प्रतिक्रिया करना चाहिए. लेकिन जब वो कुछ अलग करने लगते है तो ये बात हमें गुस्सा दिलाती है. लड़के चाहते है कि लड़कियां उनकी तरह सोचे, बात करे और प्रतिक्रिया करे. लड़की चाहती है कि लड़का उनकी तरह महसूस और प्रतिक्रिया करे जो की अधिकांश समय संभव नहीं होता.

क्योंकि आदमी और औरत का अलग होना प्राकृतिक है और हम यही आसान सी बात भूल जाने की वजह से सारी समस्याएं पैदा हो रही है. अब अच्छी बात ये है कि हम इन समस्या को खत्म कर सकते है, बस उन अंतर को समझ के और उनका सम्मान करके.

इसलिए आज मैं आपको लड़का और लड़की के 5 प्रमुख अंतर बताऊंगा जिनका हमें समझना बहुत ज्यादा जरूरी है क्योंकि इससे हमारे और हमारे घरवालों की खुशी ही नहीं बढ़ेगी बल्कि इसकी वजह से हमारे कामयाब होने के उम्मीद भी बहुत ज्यादा बढ़ जाएँगे. क्योंकि हमारी जिंदगी का सबसे ज्यादा प्रेरणा और समर्थन हमारे परिवार और प्यार के वजह से ही आता है.

लड़का और लड़की में क्या अंतर है? Ladka or ladki ek dusare se alag kaise? Ladka or ladki me antar

लड़का और लड़की में क्या अंतर है?
Ladka Or Ladki Me Kya Fark Hai?

1. परिणाम और एहसास

लड़के result oriented होते है जबकि लड़कियां feeling oriented. औरतेंं जब अपनी बात और समस्या शेयर करने लगती है तब आदमी फौरन एक बुद्धिमान इंसान की तरह उन्हे अच्छे-अच्छे सुझाव देने लगता है. लेकिन अब उनके सुझाव देने के बाद भी औरतेंं वही बातें दोहराने करने लगती है या दुखी ही रहती है तो आदमी को ये बात बुरी लग जाती है.

हमें एक बेकार इंसान जैसा महसूस होने लगता है जिसे सही परिणाम create नहीं कर पा रहा. बिना ये समझे की औरतों को समाधान की नहीं बल्कि सिर्फ ऐसे इंसान की जरूरत होती है जो उनकी बात अच्छे से सुनता रहे और उनकी भावनाओं को समझे.

नोट – लड़की हो या कोई महिला, वो अपने समस्याओं का समाधान तो चाहती ही है लेकिन सबसे पहले ये चाहती है कि कोई उनकी समस्याओं को सुने और उनकी समस्या के दर्द को समझे.

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2. समस्याओं को deal करने का तरीका

लड़का और लड़की का तनाव, अवसाद या समस्या से deal करने का तरीका भी एकदम अलग होता है. क्योंकि होता ये है कि जब आदमी और औरत का झगड़ा होने लगता है ये वो दोनो बुरा महसूस कर रहे होते है तब आदमी क्योंकि उसका नेचर शांत होकर समस्या, तनाव से deal करना है, इसीलिए वो शांत होने लगता है. लेकिन दूसरी तरफ औरतें उन्हे शांत ही नहीं होने देती क्योंकि उनके तनाव से deal करने का तरीका है बात करके, भावना व्यक्त करके.

दोनो एक-दूसरे का उल्टा करने लगते है. जिसकी वजह से औरत को लगने लगता है की आदमी उसकी फ़िक्र नहीं करता, उसके इतना बोलने पर भी चुप रहता है, उसे नजरअंदाज कर रहा है और शायद उसकी भावना कम हो रही है या शायद वो उससे प्यार ही नहीं करता.

जबकि दूसरी तरफ आदमी को लगता है कि वो कितना सुनता है औरत की बातें जो कितना कुछ बोल देती है और एहसास भी नहीं करती, हमेशा शिकायत करती रहती है. और दोनो की ये सोच बातें और खराब कर देती है.

3. प्यार महसूस करने का तरीका

एक आदमी अपने परिवार के लिए कुछ भी कर सकता है. दिन-भर, रात-भर काम कर सकता है. प्रेरित हो के गरीब से आमिर तक बन सकता है. लेकिन तब जब उसे महसूस हो कि परिवार को उसकी जरूरत है. जीतने ज्यादा उन खास लोगो को उनकी जरूरत होगी उतना ज्यादा उस आदमी को उनका प्यार महसूस होगा और उतने बड़े-बड़े काम करने की वो हिम्मत करेगा. क्योंकि अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करना उसे मजबूत और अच्छा महसूस कराएगा.

दूसरी तरफ औरतों को प्यार महसूस करने के लिए ये जरूरी है कि आदमी उनकी देखभाल करे, उनकी हमेशा फिक्र करे. लेकिन आधुनिक समय की समस्या ये हो गई है कि आजकल हर औरत स्वतंत्र बनना चाहती है जो की अच्छी बात है लेकिन इससे एक समस्या भी हो रही है. एक आदमी को उतना ज्यादा प्यार महसूस होता है जितना ज्यादा उनकी पत्नी को उनकी जरूरत होती है जिसके बदले मे वो उनकी ज़्यादा देखभाल करता है और ज्यादा ख्याल भी रखता है.

लेकिन जब औरतें आदमी से स्वतंत्र होने लगती है तब आदमी को प्यार कम महसूस होने लगता है. उन्हे लगने लगता है कि अब उसे उनकी उतनी ज्यादा जरूरत नहीं जो उन्हे दुखी करके कम महत्वपूर्ण एहसास करने लगता है, जिसकी वजह से इसके बदले वो उनकी देखभाल करना कम कर देते है और यही सारी बातों से आदमी और औरत को प्यार महसूस नहीं हो पता.

आदमी उनकी उतनी देखभाल नहीं कर पता और औरतें उन्हे ये महसूस नहीं करा पाती की उन्हे उनकी कितनी ज्यादा जरुरत है. जो आखिर में बहुत से रिश्ते खराब कर देता है और कई बार तो रिश्ते को खत्म भी कर देता है.

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