किसी भी नयी नवेली बहू के लिए ससुराल में नया जीवन शुरू करना अनोखा और रोमांच से भरपूर होता है।
- पता नहीं कैसे लोग होंगे?
- कैसा व्यवहार होगा सबका?
- कैसे सबको खुश कर पाऊँगी?
पिता के घर की रानी अचानक एक दिन, एक नये घर में पहुँच जाती है, जहां उसे नयी जिम्मेदारियों के साथ सभी के साथ adjust कर चलना है।
वाकई यह बड़ी मानसिक और शारीरिक चुनौती होती है। सभी रिश्ते नातों से ऊपर पति परमेश्वर को समझना, उनकी रोज की जरूरतों और ससुराल की daily routing में ढल जाना किसी भी नयी दुल्हन के लिए आसान नहीं होता।
कई लड़कियाँ जो आने वाले समय में दुल्हन बनने वाली है या जिनकी अभी नयी-नयी शादी हुई है, उनके लिए इस आर्टिकल में कुछ उपाय है जो उन्हे ससुराल में नया जीवन शुरू करने में उनकी मदद करेगी।
ससुराल में पहले दिन से लेकर एक साल तक का समय आपको इस नये सफर को समझने के लिए काफी होता है। पहले दिन से ही आपको नये जीवन के नये अनुभव होंगे और आपका प्रशिक्षण भी शुरू हो जाएगा।
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ससुराल में नयी नवेली दुल्हन को क्या करना चाहिए?
1. सबसे पहले तो आप मानसिक रूप से तैयार हो जाए कि अब यही आपका घर और परिवार है और आपको अपना जीवन हँसी-खुशी बिताना है।
2. खुश रहे और ससुराल में मिले नये रिश्तों का आनंद उठाए।
3. शुरुवात के कुछ दिन रश्मों-रिवाज में बीत जाते है। मयके में आपको इनकी झलक मिली होगी परिवार में हुई शादियों में। ये रश्मों-रिवाज हमारे समाज और संस्कृति का हिस्सा है।
4. नयी बहू की पहली परीक्षा रसोई में होता है। इसके लिए हर लड़की ने पहले से कुछ ना कुछ सोच रखा होता है। जो आपकी पसंदीदा रेसिपी हो वही आजमाए।
5. पति को समझने में काफी समय लग जाता है। उनकी आदतें, daily routing, पसंद-नापसंद, व्यवहार आदि। उनके साथ बातचीत में उनके बारे में धीरे-धीरे सब कुछ जानना चाहिए और ससुराल और पति की daily routing में ढालने का प्रयास करना चाहिए।
जैसे सुबह morning walk या exercise का समय, ऑफीस की तैयारी, नास्ता, दोपहर का भोजन तैयार करने में। इन सब कामों के लिए आपको अपनी daily routing ससुराल के हिसाब से adjust करनी चाहिए।
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कुछ दीनो के अंदर आपका ससुराल के सभी सदस्यों से परिचय हो चुका होगा। अब आपको आगे इस तरह से व्यवहार करना चाहिए –
पति को कई सुझाव देना हो तो विनम्रता के साथ देना चाहिए।
अगर कही घूमने का प्लान हो तो वापसी में घर वालो के लिए उनकी पसंद के हिसाब से gifts ले जाने चाहिए। जरूरी नहीं की gifts महंगे हो।
हर घर के अपने नियम कायदे होते है। नयी बहू को उन्ही नियमों के हिसाब से खुद को ढालना होता है।
से-क्स शादीशुदा जिंदगी का एक जरूरी हिस्सा होता है। इसे अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। अगर कोई दिक्कत या हिचक हो तो डॉक्टर से मिलने में कोई हर्ज नहीं है।
शादी के बाद पति के माता-पिता आपके भी माता-पिता होते है। इनके साथ आपको लंबा समय बिताना है। इसलिए रिश्तों में मधुरता और प्रेम बनाए रखना चाहिए। अपनी तरफ से कोई ऐसा काम ना करे जिससे उन्हे ठेस लगे।
घर के सदस्यों के बारे में बहुत जल्दी नकारात्मक राय ना कायम करे।
घर के सभी सदस्यों की पसंद-नापसंद, उनकी शौक, विचार और हुनर जानने का प्रयास करे।
एक dairy में सबके जन्मदिन, शादी कि सालगिरह आदि नोट करके रखे और उस दिन उन्हे wish जरूर करे।
जब तक ना माँगी जाए अपनी राय ना दे। राय दे भी तो विनम्रता के साथ।
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अगर घर में आपको कोई पसंद नहीं करता है या उससे आपकी नहीं बनती है तो उससे अधिक ना उलझे। याद रखिए क्रोधी-पुरुष को समाज स्वीकार कर लेता है पर क्रोधी-महिला को वो नहीं स्वीकारता।
सास और बहू का रिश्ता कही-कही तनाव वाला होता है। यहां पीढ़ी का अंतर की भी दिक्कत होती है। ऐसा होने पर जरूरी नहीं है कि आप भी पलट कर जवाब देने लगे। अगर किसी बात पर या आपकी गलती की वजह से कोई नाराज है तो माफी माँगना रिश्तों को फिर सामान्य करने में कोई बुराई नहीं है।
अगर किसी ने आपका अपमान कर दिया है, तो बदला लेने की भावना ना पनपने दे। माफ कर देने से इंसान बड़ा बनता है और दूसरे को भी देर-सवेर आपकी गलती का एहसास होता है।
अगर किसी के साथ दिक्कत महसूस कर रही है तो अपने पति और सास को इसकी जानकारी दे।
कोई भी बड़ा निर्णय लेने के पहले सास-ससुर और घर के बड़ों से राय-सलाह जरूर करे।
शादी के साल भर बाद आप बच्चा प्लान कर सकती है। एक साल बाद परिवार में adjust हो चुकी होंगी और नयी जिम्मेदारी के लिए तैयार भी। आर्थिक जरूरतों और उमर को ध्यान में रखते हुए आप बच्चे की योजना कर सकती है। वैसे बच्चे 24 से 30 के बीच हो जाने चाहिए। ज्यादा उमर होने में मेडिकल समस्या होती है।
अगर आप कामकाजी महिला है या आप और आपके पति किसी दूसरे शहर में रहते है और सास-ससुर दूसरे शहर में, तो एक-दो हफ्ते में मिलते रहना चाहिए और साथ भोजन करना चाहिए। सप्ताह के अंत में सबके साथ घूमने की योजना बना सकते है। इससे परिवार में खुशियाँ बनी रहती है और रिश्तों में गर्माहट रहती है।
कुछ चीज़े नहीं करनी चाहिए नयी बहू को।
- पति के साथ बहुत casual नहीं व्यवहार करना चाहिए। हालांकि पति-पत्नी में प्रेम का रिश्ता होता है पर ego का ठेस लगे ऐसे भी नहीं होना चाहिए।
- सभी को सम्मान और प्यार देने का प्रयास करे और पलट कर जवाब नहीं देना चाहिए।
- ससुराल और मयके की तुलना बात-बात पर नहीं करनी चाहिए।
- अपने स्वास्थ्य और फिटनेस का भी ख्याल रखना चाहिए।
लड़ाईया, नोक-झोंक, मनमुटाव कभी ना कभी पति-पत्नी के बीच होता ही है, लेकिन एक बात हमेशा याद रखिएगा। दुनिया में एक पति-पत्नी का ही रिश्ता होता है जो सबसे लंबे समय तक चलता है।
समय के साथ दूसरे रिश्ते नाते खत्म हो जाते है, लेकिन पति-पत्नी आखिर तक साथ निभाते है। इसलिए इस रिश्ते में मधुरता हमेशा बनाए रखनी चाहिए।
किसी के बहकावे में आकर इस रिश्ते को नष्ट करने के बारे में सोचना जीते जी जीवन नरक बनाने के समान है। यकीन मानिए दूसरी शादियाँ करने वाले उतने सुखी नहीं होते जितना पहली शादी को निभा ले जाने वाले। लड़ाइयाँ, नोक-झोंक भी जरूरी है लेकिन इनका मजा तब दोगुना हो जाता है जब आप प्यार से उन्हे थोड़ी देर में माना ले।
इसमे कोई हार-जीत नहीं होती है। पति-पत्नी को कोई ego नहीं आना चाहिए। सिर्फ प्यार होना चाहिए। लड़ाइयों का सिर्फ 20 20 match खेलिएगा, one day खेलिएगा पर कभी भी लड़ाई, मनमुटाव को दूसरे दिन मत ले जाइये। बहुत मजा आएगा हार के बाद जीतने में और जीतने के बाद हारने में। पति-पत्नी एक दूजे के बिना अधूरे होते है। कभी अधूरे ना रहिए।