बच्चों को अच्छी आदत सिखाने के 5 तरीके

बच्चे को अच्छी आदत सिखाना थोड़ा मुस्किल सा लगता है पर अगर आप कुछ उपाय का इस्तेमाल करें तो खेल खेल में आप पाने बच्चे को अच्छी आदत सिखा सकते हो. कितना अच्छा होता कि बच्चे वे सारी छोटी-छोटी बातें आसानी से सिख लेते, जो हम उन्हे सीखना चाहते है. उनके खिलौने बिखरे ना पड़े होते, कमरा इधर-उधर बिखरा हुआ नही रहता, खाना खाने के बाद वे अपनी प्लेट खुद ही उठा कर रख देते, उन्हे बार-बार ब्रश करने के लिए नही कहना होता.

हालांकि घर में होनेवाली इन स्तिथि से ही लगता है कि घर में बच्चे है और रोनक है, पर बच्चों को अच्छी आदतें भी सीखनी जरूरी है.

अपने बच्चों को अच्छी आदत सिखाए

अपने बच्चे को अच्छी आदत कैसे सिखाये? 5 अच्छी आदत

1. चीजे संभाल के रखने कि आदत

अच्छी आदत – अपनी चीजें संभाल के रखना. बेशक बच्चे चाहे जैसे मर्जी खेले, जितनी मर्जी गंदगी फैलाए, उन्हे जिभरकर खेल लेने दे. लेकिन यह सीखना ज़रूरी है कि बाद में वे अपनी चीजें समेट कर रखे. यह आदत उनमें जितनी छोटी उम्र से डाली जाए, उतना ही अच्छा रहेगा.

कैसे सिखाए – छोटी उम्र से ही उनके खिलौनों की एक छोटी टोकरी बनाए, जिसमें उनके सारे खिलौने रखे हो. अपनी खिलौनों की टोकरी की उन्हे पहचान होगी साथ ही उसे कहा रखना है, यह भी पता चलेगा. एक- डेढ़ साल की उम्र तक टोकरी में से खिलौने निकालना और डालना उन्हे अच्छा लगता है, पर उसके बाद वे इसे समझ कर इससे जी चुराने लगते है.

हाँ, चारों ओर अपने खिलौने बच्चे को फैले हुए दिखाई देते है, तो उन्हे अच्छा लगता है. कई बार ऐसा होता है कि आप उनके खिलौने समेट कर रखती है और अगले ही पल वे फिर बाहर निकाल कर फैला देते है.

बच्चों को भाषण और ऑर्डर दे कर आप कोई काम नही करा सकते. अपनी चीजें रखनी हो, तो बच्चों के साथ race लगाए कि कौन ज्यादा और जल्दी खिलौने उठा कर रखता है. बच्चों को अपने खिलौनों से बेहद प्यार होता है. जैसे ही आप उन्हे यहाँ-वहां बिखरा देख कर फेकने के लिए डस्टबिन की तरफ ले जाएँगे, वैसे ही वे आपसे छीन कर उन्हे अपनी जगह ले जा कर रख देंगे.

2. सुबह-शाम ब्रश करने कि आदत

अच्छी आदत – रोज सुबह-शाम ब्रश करना दांतो को स्वस्थ बनाने के लिए बहुत जरूरी है.

कैसे सिखाए – बच्चों से रोज सुबह-शाम ब्रश करवाना किसी भी माँ के लिए शायद दुनिया का सबसे मुश्किल काम होगा. 7 साल के बेटे की माँ नमिता चावला का कहना है कि अपने बेटे को ब्रश करना सीखने के लिए मुझे टूथ-ब्रश और दांतो की एक कहानी ही बनानी पड़ी थी.

रोज सुबह और रात को मैं उसे वो कहानी सुनती की कैसे दांतो पर cavity ने हमला किया, कैसे दाँत एक-एक करके गिरने लगे, फिर अचानक से एंजेल टूथ ब्रश आया और कैविटी को मार कर भगा दिया. Left-right घूमा, inside-outside round मारा और फिर जादू हो गया. एक दाँत उग आए.

कभी-कभी मूड ना होने पर भी बेमन से वो कहानी मुझे अपने बेटे को सुननी पड़ती थी. इसे बिना सुने वो ब्रश करने को तैयार नही होता था. इसका यह फायदा जरूर हुआ कि अब रोजाना ब्रश करना उसकी आदत बन गई.

3. घर में पके खाना खाने कि आदत

अच्छी आदत – घर में जो बना हो, वही खाना, खासकर हरी सब्जी, दाल-रोटी और दूध-दही.

कैसे सिखाए – आलू, चिप्स, पराठा, फ्रेंच फुड तो बच्चे आराम से खा लेते है, लेकिन दाल, सब्जी, रोटी गले से नीचे नही उतरती. जबरदस्ती मुंह में डाल दो, तो थू-थू कर मुंह से खाना फेक देते है. जो बना है, वही खिलाने के लिए बच्चों को सबके साथ dinning table पर बैठा कर खाने की आदत डाले.

किसी सब्जी का टेस्ट धीरे-धीरे विकसित होता है, आपकी एक बार नही, बल्कि कई बार कोशिश करनी होती है. उन्हे अपने हाथों से खाना खिलाए, खासकर तब जिस दिन उनकी पसंद की सब्जी या दाल ना बनी हो. कई बार खेल-खेल में आपको उसे खाना खिलाना पड़ता है.

बच्चा भागना चाहता है, तो उसे भागने दे, खेलना चाहता है, तो खेलने दे, उसके खिलौने सामने रख दे, वो व्यस्त हो जाएगा और इस दौरान आप उसे खाना खिला सकती है. सप्ताह का एक दिन बच्चे के लिए बतौर favorite food day निर्धारित कर दे.

उस दिन बच्चे की मर्जी का खाना बनाए, लेकिन शर्त यह होगी कि बाकी दिन जो घर में सबके लिए बनेगा, उसे वही खाना होगा. बच्चों का favorite cartoon जो खाता है, बच्चे उसे भी खुशी-खुशी खा लेते है.

4. जिद ना करने कि आदत

अच्छी आदत – बड़ों की बात मानना, सबसे प्यार से और आराम से बात करना और गुस्सा आने पर चीजें इधर-उधर ना फेकना. इस आदत की वजह से आपको दूसरों के सामने शर्मिंदा का सामना भी करना पड़ सकता है.

कैसे सिखाए – थोड़ी-बहुत जिद, अपनी बात मनवाने के लिए चीखना-चिल्लाना हर बच्चा करता है. वो इन्ही के द्वारा अपनी feeling share करता है. लेकिन कुछ बच्चों का यह स्वभाव ही बन जाता है. उन्होने जिस बात की जिद पकड़ ली, वे उसे मनवा कर छोड़ते है.

बात ना माने जाने पर चीजें उठा कर फेकना, चिल्लाना और मारना-पीटना सब तरीके ये बच्चे अपनाते है. बच्चों की इस आदत पर शुरू से रोक लगाना बहुत जरूरी है. शुरू में ही अगर आप उस व्यवहार से डर कर उसकी बात सुनना शुरू कर देंगे, तो फिर वो हर बार ऐसा करना शुरू कर देगा.

जब भी बच्चा जिद करे या समान उठा कर फेंकना शुरू करे, तो उसे कोई प्रतिक्रिया ना दिखाए, उसे पूरी तरह से अनदेखा करे और अकेला छोड़ दे, थोड़ी देर में वो अपने आप शांत हो जाएगा.

फिर उसे आप अपनी बात समझा सकती है. किसी के घर जाने पर अगर वो पसंद आने पर चीजें उठा लता है, तो यह आपकी जिम्मेदारी बनती है कि आप वो चीज बच्चे से ही वापस रखवाए.

5. किताबें पढ़ने कि आदत

अच्छी आदत – खाली समय में किताब पढ़ना. इससे बच्चों में एकाग्रता बढ़ती है और वे मोबाइल, टी.वी, कंप्यूटर की लत के शिकार नही होते.

कैसे सिखाए – खाली समय में बच्चे टी.वी के आगे बैठते है, मोबाइल या ipad पर game खेलते है. अच्छी story book, comic पढ़ना तो दूर, सोचना भी उनकी आदत में शुमार नही है, जबकि book पढ़ने से उनका भाषा, शब्द ज्ञान और spelling बेहतर बनती है.

बच्चे के लिए हिन्दी और इंग्लिश दोनो भाषाओं कि story book खरीदे. वो जब एक किताब पूरी पढ़ ले, तो उसका नाम एक copy पर note कर ले या फिर उस book पर एक sticker चिपकाए. 5 या 10 बुक पूरी पढ़ लेने पर आप उसे एक छोटी सी treat दे सकती है, जैसे कोई chocolate, ice-creme, Berger या छोटा खिलौना.

अपने दोस्तों के साथ book share करने की आदत भी आप उसमें डाल सकती है. दोस्तों के साथ competition होने से वे ज्यादा जोश में रहेंगे. समय-समय पर बच्चों को इकट्ठा करके उनके बीच story telling competition भी कराए. इस तरह से उन्हे public speaking की कला भी आएगी.

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