Bure insan ki pehchan kya hai? Acche insan ki pehchan jane… इंसान की परख करना कोई आसान काम नही होता पर आज हम चाणक्य नीति से कुछ बातें आपको बताने जा रहे जिसकी मदद से आप लोगो को पहचान सकते है।
चाणक्य जी कहते है–
नौकर की परीक्षा तब करे जब वो कर्तव्य का पालन ना कर रहा हो, रिश्तेदार की परीक्षा तब करे जब आप मुसीबत में घिरे हो। मित्र (friend) की परीक्षा विपरीत परिस्तिथियों में करे और जब आपका वक़्त अच्छा ना चल रहा हो तब पत्नी की परीक्षा करे।
आचार्य चाणक्य इस नीति में कहना चाहते है कि समय पर ही लोगो की परख होती है।
हम सब जानते है कि हर एक इंसान के अच्छाई होती है, बुराई होती है, तो हर एक इंसान हमारे समय को देखने के बाद अपना सही चेहरा दिखता है। यानी कि हमारे लिए वो इंसान कैसा है, वो हमारे अच्छे और बुरे समय पर निर्भर करता है।
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इसीलिए आचार्य चाणक्य कहते है कि नौकर की परख तब करे जब वो कर्तव्य का पालन ना कर रहा हो। यानी कि चाणक्य कहते है कि नौकर की परीक्षा करने के लिए उसे कुछ ज़रूरी काम देना चाहिए, अगर वो कर लेता है तो वो हमारे लिए अच्छा है पर अगर वो नही कर पता या हमें धोखा देता है तो वो नौकर किसी काम का नही।
इंसान को कैसे परखे की वो अच्छा है या बुरा?
अगर किसी भी रिश्तेदार की परीक्षा करनी है कि वो हमारे लिए कैसा है, क्या वो हमारे लिए अच्छा सोचता है या फिर बुरा सोचता है।
तो आप अपने रिश्तेदारों की परख तब कर सकते हो जब आप मुसीबत में हो। आपका जो भी रिश्तेदार आपके लिए शुभ-चिंतक है और अच्छा सोचता है तो आपकी मुसीबत के समय में भी आपके लिए काम आयेंगे, वो मुसीबत के समय में भी आपके साथ खड़े रहेगा, आपकी मदद करेगा।
इसलिए आचार्य चाणक्य कहते है कि असली रिश्तेदारों की परख तब होती है जब आप मुसीबत में हो।
ठीक उसी तरह एक सच्चे दोस्त की परीक्षा उसी समय में होती है जब आप मुसीबत में हो, जब आपके पास पैसे ना हो, किसी मुसीबत में फस गये हो तब आपका सच्चा दोस्त ही काम आता है।
ऐसी स्तिथि में आप अपने दोस्त की परख कर सकते हो। अगर आपका कोई ऐसा दोस्त है जो आपके बुरे समय में काम नही आया या बुरे समय पर आपके साथ खड़ा नही रहा तो वो दोस्त कोई भी काम का नही।
अगर वो आपके बुरे समय में आपकी मदद नही करता है तो समझ जाइए कि वो कभी भी आपके बारे में अच्छा नही सोचता। सच्चा दोस्त वही है जो आपके बुरे समय में, आपके अच्छे समय में आपका साथ दे।
पत्नी की परीक्षा अच्छा या बुरे समय में ही हो सकता है। पत्नी उसे कहते है जो जीवन संगनी होती है, जो हमारे हर सुख-दुख की भागीदारी होती है।
पत्नी के मन में कभी भी पैसे को लेकर लालच नही होनी चाहिए, यानी कि पति का कैसा भी समय चल रहा हो, उसके पास पैसे हो या ना हो तो भी साथ रहना ही चाहिए। पति और पत्नी को पूरी जिंदगी एक साथ रहना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता तो कोई भी इंसान बर्बाद हो सकता है।
इसीलिए आचार्य चाणक्य कहते है कि सही समय पर सही इंसान की परख हो जाती है। बस आपको सही नज़र से उसको देखना है की कौँसे समय पर कौन सा व्यक्ति आपके काम आया।
किसी भी समय पर आप अपने नौकर, रिश्तेदारों, दोस्तों और पत्नी की परख कर सकता है कि वो आपके लायक है या फिर आपको उसका साथ छोड़ देना है। क्योंकि जब तक आपके साथ सही इंसान नही होंगे तब तक आप कामयाब भी नही हो पाएँगे और ना ही आप अपनी जिंदगी अच्छे से जी पाएँगे।