विद्यार्थी और अनुशासन- निबंध

अनुशासन सफलता की कुंजी है – यह किसी ने सही कहा है। अनुशासन मनुष्य के विकास के लिए बहुत आवश्यक है। अगर मनुष्य अनुशासन में जीवन-यापन करता है, तो वह खुद के लिए सुखद और उज्जवल भविष्य की राह निर्धारित करता है।

मनुष्य द्वारा नियमों में रहकर नियमित रूप से अपने कार्य को करना अनुशासन कहा जाता है। अगर किसी के अंदर अनुशासनहीनता होती है तो वह खुद के लिए कठिनाइयों की खाई खोद डालता है। विद्यार्थी हमारे देश का मुख्य आधार है। विद्यार्थी हमारे देश का मुख्य आधार स्तम्भ है। यदि इनमें अनुशासन की कमी होगी, तो हम सोच सकते हैं कि देश का भविष्य कैसा होगा।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का बहुत महत्व होता है। अनुशासन के द्वारा ही वह खुद के लिए उज्जवल भविष्य की संभावना कर सकता है। यदि उसके जीवन में अनुशासन नहीं होगा, तो वह जीवन की दौड़ में सबसे पिछड़ जायेगा। उसकी अनुशासनहीनता उसे असफल बना देगी।

विद्यार्थी के लिए अनुशासन में रहना और अपने सभी कार्यों को व्यवस्थित रूप से करना बहुत आवश्यक है। यह मार्ग है जो उसे जीवन में सफलता प्राप्त करवाता है। विद्यार्थी को चाहिए कि विद्यालय में रहकर विद्यालय के बनाए सभी नियमों का पालन करें।

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अध्यापकों द्वारा सभी नियमों का पालन करें। अध्यापकों द्वारा पढ़ाये जा रहे सभी पाठों को अध्ययन पूरे मन से करना चाहिए। अध्यापकों द्वारा घर के लिए दिए गए गृहकार्य (home work) को नियमित रूप से करना चाहिए। समय पर अपने सभी कार्य करने चाहिए।

विद्यार्थी को चाहिए कि प्रतिदिन प्रात:काल उठकर व्यायाम करे, अध्ययन करे, स्नान आदि करे और विद्यालय जाए। घर आकर समय पर भोजन करे, समय पर अध्यापन कार्य और खेलने भी जाए। रात्रि के भोजन के पश्चात समय पर सोना भी विद्यार्थी के लिए उत्तम रहता है। इस तरह का व्यवस्थित जीवन-शैली उसे तरोताजा रखती है और जीवन में खुद को सुदृढ़ (strong) भी रखती है।

यदि आंखें उठा कर देखा जाए तो अनुशासन हर रूप में विद्यमान है। सूर्य समय पर उगता और समय पर अस्त हो जाता है। जिव-जन्तु भी इसी अनुशासन का पालन करते हुए दिखाई देते हैं। पेड़-पौधे में भी यही अनुशासन व्याप्त रहता है। घड़ी की सुई भी अनुशासन का पालन करते हुए चलती है। वे सब हमें अनुशासन की ही शिक्षा देते हैं। यदि दृष्टि डाली जाए तो समाज में चारों तरफ अनुशासनहीनता दिखाई देती है। यही कारण है कि देश की प्रगति और विकास सही प्रकार से हो नहीं पा रहा है।

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यदि विद्यर्थियों में अनुशासन नहीं होगा तो समाज की दशा बिगड़ेगी और यदि समाज की दशा बिगड़ेगी तो देश कैसे उससे अछुता रहेगा। हमें चाहिए कि विद्यालयों में अनुशासन पर ज़ोर देना चाहिए। विद्यार्थियों का मन चंचल और शरारती होता है। अनुशासन उनके चंचल मन को स्थिर करता है। यह स्थिरता उन्हें जीवन के संघर्ष में दृढ़तापूर्वक आगे बढ़ने में सहायक होती है। यह सब अनुशासन के कारण ही संभव हो पाता है।

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29 Comments

          1. Aap hamare short essay ko bhi read kar sakte ho.. wo aapko bekar nahi lagega.. thanks for your valuable feedback.

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