एक बार विमल अपने घर से ऑफिस जा रहा था. घर से निकलते ही उसकी पत्नी ने कहा कि शाम को आते हुए केले ले आना. विमल हामी भरते हुए घर से निकल गया. घर से कुछ दूर चलते ही उसे रास्ते में एक बूढ़ी अम्मा दिख गयी जो कि केले बेच रही थी. विमल ने सोचा शाम तक मुझे याद नहीं रहेगा इसलिए यहीं से खरीद कर बैग में रख लेता हूँ.
विमल ने बूढ़ी अम्मा के पास पहुंचकर केले के दाम पूछे तो अम्मा ने एक दर्जन केले के 35 रूपये बताये. मगर विमल को यह दाम बहुत ज्यादा लगा और अम्मा से कहा “अम्मा मेरे ऑफिस के बगल में शॉपिंग मॉल है वहां तो केले 30 रूपये दर्जन मिल जाते हैं. आप भी यही रेट पर दे दो.”
इस पर अम्मा ने जवाब दिया “बेटा मुझे इतने में तो मेरी खरीद भी नहीं पड़ती. और वैसे भी वो लोग ज्यादा खरीदते हैं तो उनको सस्ता पड़ जाता होगा. परंतु मैं चाहकर भी उनका मुकाबला नहीं कर सकती.”
यह सुनकर विमल ने कहा “अम्मा कुछ तो रेट कम कर लो. अगर उनके बराबर नहीं दे पा रहे हो तो मैं आपको 32 रूपये तक दे दूंगा.”
अम्मा ने जवाब दिया “बेटा इतने में तो मैं खरीदती हूँ और अगर मैं कुछ ना कमाऊं तो आपको कैसे बेच सकती हूँ.”
अम्मा की बात सुनकर विमल ने सोचा छोड़ो मैं ऑफिस के बगल वाले मॉल से ही खरीद लूंगा. और वहां से बिना केले खरीदे ही चला गया.
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शाम को छुट्टी के बाद विमल मॉल चला गया और वहां केले के रेट पूछा तो दुकानदार ने एक दर्जन के 40 रूपये बताये. यह सुनकर विमल ने कहा “सर पिछले हफ्ते तो मैं यहाँ से 30 रूपये दर्जन ले गया था. आज 40 रूपये कैसे दे रहे हो.”
इसपर दुकानदार ने जवाब दिया “सर पिछले हफ्ते तक यही रेट था परंतु अब 10 रूपये दर्जन बढ़ चुके हैं.”
इसपर विमल ने दुकानदार से कहा “मैं हमेशा सब्ज़ियां और फल आपसे ही लेकर जाता हूँ. मेरे लिये कुछ तो अपने रेट काम कीजिये.”
परंतु दुकानदार ने यह कहकर विमल को चुप करा दिया कि यह फिक्स रेट की दुकान है यहाँ पर रेट बिलकुल भी कम नहीं हो सकते.
दुकानदार की यह बात सुनते ही विमल को सुबह वाली बूढ़ी अम्मा याद आ गयी. और विमल मॉल से खाली हाथ लौटकर अम्मा के ठेले पर पहुँच गया.
अम्मा ने विमल को तुरंत पहचान लिया और विमल के ठेले पर पहुँचते ही कहा “मुझे माफ करना बेटा पर मैं मॉल वालों की बराबरी नहीं कर सकती और आपको भी 35 रूपये दर्जन से कम नहीं दे पाऊँगी”
इसपर विमल ने कहा “चिंता मत करो अम्मा. मैं आपको 40 रुपए दर्जन दूंगा और आप मुझे 2 दर्जन दे दो.”
और अम्मा से 2 दर्जन केले लिए और अम्मा को 40 रूपये दर्जन के हिसाब से पैसे देने लगा. परंतु अम्मा ने 35 रूपये के हिसाब से ही पैसे लिए और बाकि के विमल को लौटा दिए.
और अम्मा ने विमल का ऐसा व्यव्हार देखकर विमल को अपने दिल की बात बताना शुरू कर दिया “इससे पहले मेरे पति ही फल बेचते थे और परंतु अब उनकी उम्र इतनी हो गयी है कि वे लगातार बीमार रहते हैं और हमारा कोई बच्चा भी नहीं है जो हमें पाल सकें. इसकी कमाई से उनकी दवाई का खर्चा ही निकल पाता है. और बस मैं यही बेच के किसी तरह अपनी ज़िन्दगी जी रहे हैं.” और कहते ही अम्मा के आंसू निकलने लगे.
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विमल ने अम्मा को सम्हाला और कहा “अम्मा आप चिंता ना करें. आप रोइये मत. अब आज से रोज़ आपके ठेले से ही केले लिया करूँगा.”
यह कहते हुए विमल ने अपने पर्स से 1000 रूपये निकाले और अम्मा के हाथ में देते हुए कहा “आप ये 1000 रूपये रखिये. यह मैं आपको एडवांस दे रहा हूँ. मैं आपसे जितने भी फल लेकर जाऊंगा एडवांस दिए हुए पैसों में से काटते रहना. इन पैसो से आप और फल खरीदकर अपने ठेले पर रखिये. तभी आपकी कमाई बढ़ पायेगी”
इसके बाद विमल अपने दोस्तों और आस पड़ोस के लोगों को भी उसी बूढ़ी अम्मा के ठेले से फल लेने के लिए मनाने लगा. जिससे काफी लोग अम्मा से ही फल खरीदने लगे और धीरे-धीरे अम्मा की अच्छी कमाई होने लगी. और अब अम्मा अच्छे से खुद की और अपने पति का भरण-पोषण करने लगी.
दोस्तों यह कहानी हमें सीखाती है कि हमेशा चमक धमक पर ही जाना सही नहीं है. कभी-कभी हमारे आस-पास बहुत से ऐसे लोग होते हैं जो हम पर ही निर्भर होते हैं और जिनको हमारे सहारे की बहुत ज़रूरत होती है. कभी-कभी हम उनको ignore करके महंगी दुकानों से सामान खरीदते है. जिससे सड़क किनारे बैठे लोग उतना भी नहीं कमा पाते जिससे कि उनका घर ठीक ढंग से चल सके. इसलिए हमें भी कोशिश करनी चाहिए कि हम ऐसे लोगों को भी support करें जो हम पर निर्भर हैं.