Motivational kahani hindi me, Inspire karne wali kahani: किसी गांव में एक किसान रहता था। उसके चार बेटे थे। पर वे सभी आलसी थे। किसान के पास उपजाऊ भूमि थी, पहले वह उसमें खूब अनाज पैदा करता था, पर किसान के लापरवाह बेटे खेती में रूचि नहीं लेते थे। इसलिए उस भूमि का उपजाऊपन घट गया था। बेटों के निक्कमेपन से किसान बहुत दुखी और चिंतित रहता था।
इसी दुख और चिंता में किसान बीमार पड़ गया। एक दिन उसे लगा कि अब उसके जीवन की आखिरी घड़ी निकट आ गई है। तब मृत्युसय्या पर पड़े-पड़े उसने अपने चारों बेटों को अपने पास बुलाया और कहा – मैंने खेत में धन गाड़ रखा है। मेरे मरने के बाद तुम चारों उसे खोदकर निकाल लेना। इतना कहने के बाद किसान की मृत्यु हो गई।
पिता का कार्यक्रम करने के बाद उन चारों भाइयों पर खेत में गड़ा धन निकालने का भूत सवार हो गया। उन्हें खेत में किसी निश्चित जगह धन गड़ा होने का पता न था। इसलिए धीरे-धीरे उन्होंने सारा खेत खोद डाला, लेकिन कहीं धन नहीं मिला।
बोआई का समय आया। किसान के बेटों ने उस खेत में गेहूं के बीज बोए। खेत की उपजाऊ मिट्टी अब ऊपर आ गई थी। इसलिए गेहूं के पौधे बढ़े और उन पर दानेदार बालियाँ भी खूब आई। उस वर्ष उस खेत में गेहूं की बहुत अच्छी फसल हुई। अब पिता की बात का अर्थ वे समझ गए कि यह अनाज की खेत में गड़ा हुआ धन है। इस प्रकार चारों भाइयों ने श्रम का महत्व समझा और वे मन लगाकर खेती करने लगे।
सीख – सचमुच, परिश्रम ही सच्चा धन है। मूर्ख और आलसी लोगों को युक्ति से ही सही राह पर लाया जा सकता है।
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