चेहरे पर अनुभवों की सिलवटें जब झुरियों के रूप में उभर आती है, तब जिंदगी काफी बदल जाती है। एक लंबा अनुभव साथ होता है, लेकिन उन अनुभवों को बाँटने के लिए उनके अपनों के पास समय ही नहीं होता। ऐसे में बुजुर्ग खुद को महत्वहीन समझते है। जबकि सच यही है कि उनका महत्व समाज व family दोनों ही के लिए बहुत ज्यादा है।
हमें अपने रीती-रिवाज़ व संस्कार उन्ही से मिलते है। जब life कठिन मोड़ से गुजरती है, तो उन्ही की suggestion और inspiration काम आती है। समाज को सही राह पर चलने कि शिक्षा उन्ही से मिलती है।
आज की पीढ़ी और society में भी फ़िज़ूलखर्ची और life को careless अंदाज़ में जीने के तरीके बढ़ रहे है, ऐसे में वही हमें सही राह दिखाते है। Life को discipline से जीना कितना important है, time की पाबंदी, पानी और बिजली की saving, कम facility में भी कैसे गुजारा किया जा सकता है आदि वो अच्छी तरह से जानते व समझा सकते है।
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Politeness का importance और positively से जीने का अंदाज़ उन्ही से हम सिख सकते है। उन्होंने किस तरह से अभावों के बीच भी जीना और struggle करना सिखा, इससे हमें सिख लेनी चाहिए।
हमें बहुत से ऐसी facilities मिली है, जो हमारे parents और घर के बुजुर्गो को नहीं मिली थी, ऐसे में हमें यह positive thinking रखनी चाहिए कि life से complain ना करके जो मिला है उसे सराहे।
बच्चों के पालन-पोषण में उनका help मिलने से हम better parenting के Tips सीखते है। बच्चों के psychology को समझना, उनके nature और behavior से related जरूरी बातें, उन्हें जिद्दी बनाने से कैसे रोका जा सकता है आदि हमें घर के बुजुर्गों से easily से सीखने को मिल जाती है, जिससे हम अपने बच्चों को बेहतर care दे सकते है।
बेहतर होगा की उनकी कापती life का दर्द हम समझे और उन्हें अपना time देकर उनका कीमती आशीर्वाद लें, ताकि life आसान और खुशगवार हो।
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