जिनको कभी भी प्यार नहीं हुआ होता है और उन्हें अपने दोस्तों में से ही किसी एक से प्यार हो जाता है तब वह समझ नहीं पाते कि आखिर यह प्यार है या फिर सिर्फ यह दोस्ती वाला प्यार है। यदि आप भी अपनी दोस्ती और प्यार के बीच के फर्क को समझ नहीं पा रहे हो तो आज आप हमारे इस लेख Dosti Aur Pyar Me Kya Antar Hai को जरूर पढ़ें।
दोस्ती में किसी भी चीज की कोई भी लिमिट नहीं होती है और ना ही दोस्ती को ज्यादा समझने की जरूरत होती है जबकि प्यार को समझना बेहद जरूरी है और प्यार को एक लिमिट में रहकर ही करना पड़ता है।
यही दोस्ती और प्यार के बीच का अंतर आप कह सकते हैं। इसी संबंध में और भी विस्तार पूर्वक से जानकारी जानने के लिए आप हमारे लेख को शुरू से लेकर अंतिम तक पढ़े और एक भी जानकारी बिल्कुल भी मिस ना करें ताकि आपके मन में इस विषय को लेकर जो भी डाउट है वह आगे लेख में क्लियर हो जाए।
प्यार क्या होता है
प्यार में मेंटली और फिजिकल अट्रैक्शन होता है। जब हम किसी को एक हद से ज्यादा वैल्यू देते है और हमारे मन में उसके प्रति मेंटली या फिर फिजिकल अट्रैक्शन होता है और हम उसके बगैर जीवन की कल्पना नहीं कर पाते इसी को आप प्यार कह सकते हो या फिर यही प्यार होता हैं।
दोस्तों प्यार का रिश्ता सबके लिए अलग-अलग होता है मां बाप के लिए प्यार का रिश्ता अलग होता है, बहन भाई के लिए प्यार का रिश्ता अलग होता है, दोस्तों के लिए प्यार का रिश्ता अलग होता है, रिश्तेदारों के लिए प्यार का रिश्ता अलग होता है, पति पत्नी का प्यार का रिश्ता अलग होता हैं।
और एक गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड का भी प्यार का रिश्ता अलग होता है। दुनिया में जितने भी रिश्ते है उन सभी के लिए प्यार अपने लिए अलग-अलग तरीकों से मायने रखता है। इसीलिए प्यार की परिभाषा समझाना कई गुना और कई हद तक कठिन हैं।
दोस्ती क्या होती है
मित्रता या दोस्ती दो या अधिक व्यक्तियों के बीच पारस्परिक लगाव का रिश्ता होता है। जब दो दिल एक-दूसरे के प्रति सच्ची आत्मीयता से भरे होते है, तब उस सम्बन्ध को दोस्ती कहते हैं। दोस्ती एक से अधिक लोगों के साथ की जा सकती हैं।
दोस्ती कभी भी सामने वाले को देख कर या फिर उसे परख कर नहीं की जाती दोस्ती तो अपने आप हो जाती है। अगर दोस्ती होने के लिए कुछ मायने रखता है तो वह सिर्फ और सिर्फ सामने वाला हमारे लिए कितना मायने रखता है और हमारी कितनी वैल्यू वह समझता है सिर्फ और सिर्फ यही दो चीजें दोस्त बनाने के लिए मायने रखती है। हर कोई दोस्त बनाने से पहले उसके अंदर सिर्फ यही क्वालिटी देखता हैं।
दोस्ती और प्यार में क्या अंतर है
“दोस्ती में कोई वजह नहीं होती है, और प्रेम एक वजह बन कर रह जाता है क्योंकि दोस्ती को समझने की जरुरत नहीं होती है जबकि प्रेम में समझना बहुत आवश्यक हो जाता है। प्रेम आत्मा है और दोस्ती शरीर और जब इन दोनों का मिलन होता है तो मजबूत रिश्तों का निर्माण होता हैं।”
दोस्तों केवल यह शब्द ही आपको यह शब्द ही इन दोनों रिलेशनशिप को समझा नहीं सकते है इसके लिए हमें थोड़ा और डिटेल में जाना बेहद जरूरी है। आप चाहो तो हमारे पिछले लेख में प्यार क्या होता है? को पढ़ सकते हो और प्यार की परिभाषा को समझ सकते हो। यहां पर हमने दोस्ती और प्यार में अंतर को समझने के लिए कुछ बेहतरीन टिप्स का सहारा लिया हैं।
और यह टिप्स वास्तव में आपको इन दोनों के बीच के अंतर को समझाने में काफी उपयोगी साबित होंगे क्योंकि हमने खुद इस चीज को अपने अनुभव के आधार पर आप लोगों को बताने का प्रयास किया है और अगर जब कोई अनुभव कहीं पर शेयर किया जाता हैं।
तो लोगों को वह जानकारी आसानी से समझ में आ जाती है और हम चाहते है कि आप हमारे इस विषय पर नीचे दिए गए टिप्स को पूरा आवश्यक समझे ताकि आप इन दोनों ही प्यारे रिश्ते की अहमियत को और उनके फर्क को समझ सको।
1. दोस्ती में कोई वजह या शर्त नहीं
जब हम किसी से दोस्ती करते है या फिर हमसे जब कोई दोस्ती करता है तब दोस्ती की कोई भी शर्ते नहीं होती और ना ही दोस्ती एक दूसरे की जरूरत को देख कर की जाती है। जबकि प्यार में न जाने कितनी शर्तें होती है और इतना ही नहीं प्यार में हमें एक दूसरे की जरूरत को भी ध्यान में रखना होता हैं।
जब हमें किसी का स्वभाव अच्छा लगने लगता है या फिर कोई ऐसा व्यक्ति जो हमारी हेल्प करने के लिए तैयार रहता है और हमें किसी भी समस्या में नहीं देख सकता है उसे हम सबसे पहले अपना दोस्त ही बनाना पसंद करते है क्योंकि प्यार की भी शुरुआत दोस्ती के जरिए ही होती है। इसीलिए अगर आपके कोई इतना करीब है तो आप उसे सबसे पहले अपना दोस्त समझे ना कि उसे अपना प्यार समझे।
2. दिल टूटने की संभावनाएं
मेरे प्यारे दोस्तों जल्दी किसी से दोस्ती नहीं टूटती है और अगर टूटती भी है तो वह दिल को इतनी तकलीफ नहीं पहुंचा पाती है जितना तकलीफ प्यार में दिल टूटने पर होता है। दोस्ती में केवल भरोसा टूटता है जबकि प्यार में भरोसा और दिल दोनों ही टूट जाता है। दिल टूटने पर आप डिप्रेशन में भी जा सकते है मगर दोस्ती टूटने पर सिर्फ आपको दिनों तक ही अपने आप को संभाल नहीं पाओगे।
3. दोस्ती से होती है प्यार की शुरुआत
पति पत्नी के बीच का प्यार का रिश्ता हो फिर चाहे गर्लफ्रेंड या फिर बीएफ का ही प्यार का रिश्ता क्यों ना हो किसी से भी प्यार जब होता है तब वह सबसे पहले दोस्ती के जरिए ही होता है। आप किसी को अचानक से अपना प्यार नहीं कहते हो बल्कि उससे दोस्ती करते हो और फिर धीरे-धीरे जब आप दोनों के विचार एक जैसे हो जाते है और आप एक दूसरे के बगैर नहीं रह सकते हो तब जाकर प्यार की शुरुआत होती हैं।
जब आप किसी के इतने करीब आने लगे या फिर जब आप से कोई बहुत ज्यादा करीब आने लगे और आपका ख्याल कुछ हद से ज्यादा ही रखने लगे तो समझ लीजिए शायद अब आपके बीच दोस्ती का रिश्ता नहीं रह गया है क्योंकि वह आप कहीं ना कहीं प्यार में बदल चुका है। मगर प्यार की शुरुआत आखिर कैसे हुई दोस्ती से ही हुई थी और इसीलिए हमें दोस्ती को भी अहमियत देनी चाहिए।
4. प्यार और दोस्ती में सीमाएं
मेरे प्यारे दोस्तों आप दोस्ती तो हजारों नहीं बल्कि लाखों लोगों से कर सकते है परंतु प्यार किसी एक से ही होता है। आप हर वक्त हर सेकंड और हर मिनट किसी भी लड़की या फिर लड़के के साथ दोस्ती कर सकते है मगर वही प्यार हर क्षण नहीं होता है इसे होने में समय लगता है और जब होता है तब किसी एक से ही होता है ना कि अनेक से।
5. एक या अनेक के साथ रहने की शर्तें
जब किसी लड़का या फिर किसी लड़की को प्यार होता है तब वह लोगों से अलग रहने लगते है और उन्हें एकांत पसंद आता है। दोस्तों जब किसी के साथ दोस्ती होती है तब वह एक से नहीं धीरे-धीरे अनेकों के साथ दोस्ती करने लगता है और उसके एक से अधिक दोस्त बन जाते हैं।
वही प्यार अकेला ही 100 लोगों के बराबर होता है क्योंकि आपको इसमें न जाने कितने दर्द मिलते है ना जाने कितनी बिछड़ने की तकलीफ होती है और ना जाने कैसे-कैसे ख्याल आते है जिसकी वजह से आप अपने अलावा किसी और के साथ रहना पसंद नहीं करोगे। जब आपको ऐसा लगने लगे कि आप अकेले रहना पसंद कर रहे हो और आपको किसी की याद सता रही है तो समझ लो आप दोस्ती में नहीं प्यार में हो मेरे दोस्त।
6. दोस्ती सबसे हो सकती है
दोस्ती किसी से भी हो सकती है हमारे कहने का तात्पर्य यह है कि दोस्ती तो लड़के एवं लड़की से भी हो सकती है परंतु प्यार एक लड़के को लड़की से और एक लड़की को सिर्फ एक लड़के से ही हो सकता हैं।
प्यार को सोच समझकर और सामने वाले को परख कर ही दिया जाता है परंतु दोस्ती में सभी चीज बिल्कुल भी मायने नहीं रखती बस सामने वाला दोस्त ही हमारे लिए मायने रखता हैं।
दुनिया भर में केवल 10 से 20% ही ऐसे केस है जो सेम जेंडर से प्यार करते है इतना ही नहीं उनकी दोस्ती भी सेम जेंडर के साथ आसानी से हो जाती है। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि प्यार किससे होता है? और दोस्ती किससे होती है?।
7. अलग-अलग जीने मरने की शर्तें
जब आपको किसी से प्यार होता है तब आप अपने पार्टनर से कहते है कि जब तक तुम्हारी सांसे चलती रहेंगी तब तक हमारी भी सांसे चलती रहेगी और जिस दिन तुम्हारी सांसे बंद हो जाएंगी उस दिन अपने आप ही हमारी सांसे भी थम जाएगी और मेरे लिए सब कुछ रुक सा जाएगा।
जबकि एक दोस्त दोस्ती की शर्त में अपने दोस्त से कहता है कि जब तक मैं जिंदा हूं तब तक तुम्हें कुछ होने नहीं दूंगा और मरते दम तक अपने दोस्ती को हम ऐसे ही निभाते रहेंगे। अगर आप प्यार और दोस्ती के बीच का अंतर समझना चाहते है तो प्यार और दोस्ती में जीने मरने की शर्तों को समझ लीजिए आपको इसका फर्क आसानी से समझ में आ जाएगा।
8. दोस्ती और प्यार के बीच दूरियां
दोस्ती निभाने के लिए आपको नज़दीकियां या फिर दूरियों का कोई भी प्रतिबंध नहीं होता है। मगर वहीं पर प्रेम निभाने के लिए ज्यादा समय तक दूरियां सही नहीं है। अपने प्रेम को साबित करने के लिए आपको एक समय में दूरियों को कम करना बहुत ही जरूरी हैं।
जबकि अगर आपको आपके दोस्त के साथ प्रेम है तो आपकी दोस्ती दूरियां हो नज़दीकियों जैसी प्रतिबंधित चीजों को महत्वता नहीं प्रदान करेगी और आपकी दोस्ती हमेशा आजीवन चलती रहेगी जबकि प्रेम में दूरियों को कम करना बेहद आवश्यक हैं।
9. सोच विचार की क्षमता पर प्रभाव
जब दोस्ती और प्यार में अंतर को समझने की बात आती है तब सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप यह समझो कि आप प्यार में रहकर चीजों को कितना समझ पाते हो और दोस्ती में रहकर चीजों को कितना समझ पाते हैं।
आपको किसी ने किसी से प्यार तो हुआ ही होगा और आपकी दोस्ती भी किसी ने किसी से होगी ही और आप इन दोनों ही रिलेशनशिप में अपने आप को रख कर देखो और दोनों को एक साथ समझने का प्रयास करो। दोस्ती और प्यार में अंतर को समझने के लिए आप कुछ सिचुएशन पैदा करें।
इसे समझने के लिए जब भी आप अपने पार्टनर के साथ हो आप ऐसा महसूस करो कि आप कहां तक और किस हद तक सोच पा रहे हो और जब आप अपने दोस्त के साथ होते हो तब आप कहां तक और इतना ज्यादा सोच पाते हो। आप इस सिचुएशन में खुद को पाएंगे कि जब आप अपने पार्टनर के साथ होते हो तब आपका सारा फोकट सिर्फ और सिर्फ अपने पार्टनर पर ही होता है और आप कुछ अतिरिक्त नहीं सोच पाते।
जब भी आप अपने दोस्त के साथ होते हो तब आपका दिमाग बहुत ज्यादा तीव्रता से कार्य करता है और यह एक रिसर्च में भी साबित हो चुका है। हम अपने दोस्त के साथ बेफिक्र होकर रहते है और उस समय हमारे दिमाग में कुछ भी टेंशन नहीं होती हैं।
और ना ही हम अपने दोस्ती एवं उस पल के अलावा कुछ फालतू की चीजें सोच पाते है और जब आप फ्री माइंड से रहोगे तो आपका दिमाग भी ज्यादा चलेगा इसीलिए प्यार में कम दोस्ती में ज्यादा आपका दिमाग सोचने की क्षमता रखता हैं।
10. दोस्ती और प्रेम में उम्मीदों की शर्तें
जब आप किसी के प्यार में होते है तब आप अपने पार्टनर से कोई ना कोई उम्मीद जरूर रखते है। यह उम्मीद आजीवन साथ रहने की हो सकती है, जीवन को सफल बनाने की हो सकती है, एक दूसरे से प्यार पाने की हो सकती है और भी कई सारी उम्मीदें प्यार में होती हैं।
मगर दोस्ती में कोई भी इन उम्मीदों की शर्तें नहीं होती दोस्त अपने आप ही अपनी दोस्ती की उम्मीदों पर खरे उतरते है। कभी भी कोई दोस्त किसी भी दोस्त की उम्मीद नहीं तोड़ता है और इसीलिए बिना उम्मीदों की दोस्ती आजीवन निभाई जाती हैं।
अगर प्रेम में उम्मीदें ना हो तो प्रेम का कोई अर्थ ही नहीं होगा और फिर प्रेम कभी भी एक दूसरे से होगा भी नहीं। ज्यादातर प्रेम उम्मीदों की नींव पर ही खड़ा होता है क्योंकि बिना उम्मीद के प्रेम का कोई अर्थ भी नहीं निकलेगा। जब आपको किसी से उम्मीद ही नहीं होगी तो उसके साथ आपका प्रेम कैसे हो सकता हैं।
11. दोस्ती और प्यार में सामाजिक शर्तें
आप किसी भी लड़के या फिर लड़के के साथ दोस्ती कर सकते हो आज समाज दोस्ती के रिश्ते को कभी भी कुछ नहीं कहता मगर आज भी समाज में जब किसी लड़की को लड़के से और लड़का को लड़की से प्रेम होता है तो उनके रिश्ते के बीच में समाज खड़ा हो जाता है और अनेकों सवाल उठाने लगता हैं।
समाज को प्रेम का रिश्ता अभी भी समझ नहीं आता है और आपको समाज से प्यार को पाने के लिए लड़ना पड़ता है जबकि दोस्ती में आपको ऐसा कुछ भी नहीं करना पड़ता है और समाज दोस्ती के रिश्ते को आसानी से समझ भी जाता हैं।
12. एक दूसरे को समझने की शर्तें
अगर आपको किसी से प्रेम होता है तब आपको अपने पार्टनर की दिल की बात को समझना बेहद आवश्यक है क्योंकि गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड या फिर पति-पत्नी का ही रिश्ता क्यों ना हो यह ऐसे रिश्ते है जिसमें प्रेम होता ही है। अगर आप इन रिश्तो को निभाने के लिए अपने पार्टनर को नहीं समझोगे और उसके दिल की बात को अच्छे से नहीं समझ पाओगे तो आपका रिश्ता कभी भी सफल नहीं हो पाएगा।
जबकि दोस्ती में इसके पूरे विपरीत में एक दोस्त को दूसरे दोस्त को करना पड़ता है। कभी भी कोई दोस्त अपने दोस्ती के रिश्ते को निभाने के लिए बिना कहे ही फीलिंग को समझने की क्षमता रखता है और एक समय में भी अगर आप फीलिंग नहीं समझोगे तो भी चल जाएगा और आपका दोस्ती का रिश्ता कभी नहीं टूटेगा जबकि प्रेम में पार्टनर को समझना बहुत ही जरूरी हैं।
13. फिजिकल अट्रैक्शन की अहमियत
जब किसी से आपको प्यार होता है तब आपको उसके साथ फिजिकल अट्रैक्शन भी होता है। बिना फिजिकल अट्रैक्शन के प्यार किया भी नहीं जाता हैं।
और ना ही किसी को हो पाता है। जबकि दोस्ती में फिजिकल अट्रैक्शन जैसी चीज की कोई भी वैल्यू नहीं हैं।
दोस्ती किसी भी व्यक्ति के फिजिकल अट्रैक्शन को देखकर नहीं होती दोस्ती तो बस सामने वाले के स्वभाव और उसकी क्वालिटी को देखकर की जाती है ना कि फिजिकल अट्रैक्शन को देखकर।
14. दोस्ती और प्यार की फीलिंग
अगर प्यार और दोस्ती में अंतर की बात की जाए तो प्यार की फीलिंग अलग होती है और दोस्ती की फीलिंग अलग होती है। प्यार की फीलिंग अपने आप ही पैदा होती है और आप प्यार में बिना फील के ही सब कुछ फील करने लग जाते हो और आपकी फीलिंग अपने पार्टनर के प्रति हर वक़्त बदलती रहती है और आप उसके बारे में हर वक्त कुछ न कुछ फील करते ही रहते हो।
जबकि जब किसी के साथ दोस्ती होती है तो इसमें फीलिंग पर कोई भी असर नहीं पड़ता है। आप हमेशा एक जैसा ही दोस्ती में फील करोगे इसमें आपको खुशी, गम, अच्छा, बुरा सब एक समान लगेगा। वही प्यार में सभी प्रकार के फीलिंग के मायने ही बदल जाते है और हम आपको बता दें कि प्यार की फीलिंग बहुत ही दर्द भरी होती है वही दोस्ती की फीलिंग हमेशा हैप्पीनेस वाली होती हैं।
15. प्यार और दोस्ती में यादों के मायने
अगर आपने किसी से प्रेम किया होगा तो आपको बहुत ही अच्छे तरीके से पता होगा कि जब आप प्रेम में होते हो तो उनकी याद आपको कितना तड़पाती है। जब प्रेम में होते है तब सामने वाले की याद कभी-कभी इतना ज्यादा सताने लगती है कि कुछ भी खाने पीने का मन भी नहीं करता और ना ही लोगों के बीच में रहने का मन करता है और सब कुछ खाली-खाली बेफिजूल का लगने लगता हैं।
मानो जैसे कोई कीमती चीज खो सी गई हो। दोस्ती में कभी भी दोस्त की याद तड़पाती नहीं है बल्कि आपको उल्टा जब उसकी याद आती है तो कोई ना कोई शिकायतें और कोई ना कोई ऐसा इंसीडेंट याद आ जाता है जिसमें आपको खुशी ही मिलती हैं।
16. प्यार अधूरा या फिर दोस्ती
इस दुनिया में ऐसे बहुत ही कम लोग है जिनका प्यार पूरा हो पाता है। अभी आपको ऐसे बहुत सारे लोग मिल जाएंगे जिनका किसी न किसी वजह से प्यार पूरा नहीं हो पाता और वह प्यार में हमेशा रोते ही रहते है। आपको अपने प्यार को पूरा करने के लिए समाज से लड़ना पड़ता है और कभी-कभी तो आपका पार्टनर खुद ही आपके रिलेशन को नकार देता है और परिणाम प्यार में धोखा जैसा होता हैं।
दोस्ती में कोई भी पाबंदी नहीं होती है दोस्ती हमेशा शुरू से ही पूरी होती है। एक दोस्त भले ही अपने दूसरे दोस्त से कितना भी दूर चले जाए और कितने ही समय तक बातें ना करें परंतु जब वे एक जगह पर होते है तब वह सब कुछ भूल जाते है और एक साथ उस पल को पूरे तरीके से इंजॉय करते है। दोस्ती में कभी भी अधूरा या फिर पूरा जैसे शब्दों की कोई वैल्यू नहीं है जबकि प्यार में इन शब्दों की बहुत ही ज्यादा वैल्यू बढ़ जाती हैं।
17. प्यार, दोस्ती में एक दूसरे की वैल्यू
अब आप सोच रहे होंगे कि दोस्ती और प्यार में एक दूसरे की वैल्यू को समझ कर हम कैसे इसमें अंतर को परिभाषित कर सकते है आपका सोचना सही है परंतु आप लास्ट के पैराग्राफ तक बने रहिए समझ में आ जाएगा।
क्या आपने कभी भी अपने पक्के से पक्के दोस्त को कभी हद से ज्यादा वैल्यू दी है, क्या आपने कभी अपने दोस्त को रिस्पेक्ट देकर बुलाया है, क्या आपने उसकी बात को एक बात में ही माना है, क्या आपने दोस्त के लिए समाज से झगड़ा किया है और क्या आपने कभी अपने दोस्ती के रिश्ते को किसी को समझाने की कोशिश की हैं।
मुझे पता है आप इन सभी सवालों का जवाब ना में ही देने वाले हो। क्योंकि हम दोस्ती को दोस्ती की तरह लेते हैं और कभी भी तो उसी को वैल्यू नहीं देते परंतु ठीक आप यह सब कुछ चीज प्यार में रहकर सोचो क्या यह सब कुछ आपसे हो पाएगा। आप कभी भी अपने प्यार को बिना रिस्पेक्ट के नहीं बुला सकते और ना ही एक हद तक रहकर रिश्ते को निभाने की कोशिश करोगे।
प्यार में सभी हदें पार कर दोगे पर दोस्ती में नहीं प्यार में समाज की परवाह नहीं होगी परंतु दोस्ती में सोचोगे दोस्तों यही है प्यार और दोस्ती में एक दूसरे की वैल्यू हम आपको सीधा ही बोलेंगे आप अपने प्यार को दोस्ती के मुकाबले कई गुना ज्यादा वैल्यू दोगे और दोस्ती को प्यार के जैसा कभी भी वैल्यू नहीं दोगे।
दोस्ती और प्यार के फायदे
चलिए दोस्तों अब हम आप सभी लोगों को दोस्ती और प्यार के कुछ बड़ों के बारे में बता देते है मतलब कि जब आप दोस्ती और प्यार दोनों ही रिलेशनशिप में हो गए तो आप को क्या-क्या फायदे हो सकते है इसके बारे में जानते है और इसके लिए आपको नीचे दिए गए पॉइंट को ध्यान से समझना होगा और पढ़ना होगा।
जब आप प्यार और दोस्ती दोनों ही रिश्ते में होते हो तो आपको दोनों ही देशों की अहमियत अच्छे तरीके से पता होती हैं।
अगर आपको प्यार को पहचानना है तो आप को किसी ने किसी से दोस्ती करनी होगी और अगर आपको दोस्ती को पहचानता है तो आपको प्यार होना चाहिए क्योंकि इन दोनों ही रिश्तो में रहकर हम इनकी पहचान और परख कर सकते हैं।
प्यार हमें जीने की उम्मीद देता है तो दोस्ती हमें जीवन में आने वाली समस्याओं से लड़ने की ताकत देता हैं।
प्यार हमें अगर जीवन में आगे बढ़ने की जिज्ञासा जगाता है तो दोस्ती उस रास्ते को बनाने में हमारी सहायता करती हैं।
अगर आप अकेले रहते हो तो आप दोस्ती और प्यार दोनों ही करके देंगे आप कभी भी अकेले नहीं रहोगे और आपको दोनों ही रिश्तो का सहयोग समय-समय पर मिलता रहेगा।
प्यार का रिश्ता अगर आंसू देता है तो दोस्ती का रिश्ता उसी आशु को पोछने के लिए तैयार रहता हैं।
दोस्ती और प्यार के नुकसान
दोस्तों जिस प्रकार से प्यार और दोस्ती होने पर हमें अनेकों फायदे होते है ठीक उसी प्रकार से प्यार और दोस्ती होने के कुछ अपने नुकसान भी होते है जी हां दोस्तों प्यार और दोस्ती में आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है और इसके लिए आप नीचे दिए गए पॉइंट को ध्यान से समझें तभी आपको इन दोनों ही रिश्तो में होने वाले नुकसान के बारे में समझ में आएगा।
अगर आप अपने जीवन में कुछ करना चाहते हो और आपने अपना कोई लक्ष्य निर्धारित किया है तब आपको दोस्ती और प्यार दोनों ही रिश्तो से दूरी बना लेनी चाहिए क्योंकि कभी भी कोई लक्ष्य ना ही दोस्ती में और ना ही प्यार में प्राप्त किया जा सकता हैं।
अगर आप अपने आप को पहचानना चाहते हो और आप अपने आप को एकांत में रखना चाहते हो तब आपको दोस्ती और प्यार दोनों ही रिश्ते से दूरी बनानी चाहिए।
अगर आपको दुनिया भर की टेंशन नहीं चाहिए और आप चिंता मुक्त होकर जीवन जीना चाहते हो तो आपको इन दोनों ही रिश्तो से दूरी बनानी होगी।
अगर आप कम खर्चा करना चाहते हो और आप कंजूस हो तब आपको प्यार और दोस्ती दोनों से ही दूरी बनानी होगी क्योंकि दोनों ही रिश्तो में खर्चे बहुत होते हैं।
दोस्ती और प्यार में क्या अंतर है? से संबंधित पूछे जाने वाले कुछ प्रश्न
दोस्ती और प्यार में क्या अंतर है? से संबंधित आप लोगों द्वारा पूछे जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण अन्य प्रश्नों पर यहां पर उत्तर दिए हुए है और आप एक बार इन प्रश्नोत्तर को भी जरूर पढ़ें।
Q. दोस्ती का दूसरा नाम क्या है?
Q. दोस्ती में प्यार कैसे होता है?
निष्कर्ष
हमने अपने आज के इस लेख Dosti Aur Pyar Me Kya Antar Hai के माध्यम से आप सभी लोगों को दोस्ती और प्यार के बीच के फर्क को अच्छे से समझाने का प्रयास किया है और हमें उम्मीद है कि लेख को पढ़ने के बाद आप इन दोनों ही रिश्तो के बीच के फर्क को आसानी से समझ गए होंगे। यदि आपको लेख पसंद आया है तो आप इसे सोशल मीडिया पर शेयर करें और किसी भी अतिरिक्त जानकारी या फिर टिप्स के लिए नीचे दिए गए फ्री में कमेंट बॉक्स का इस्तेमाल करना ना भूलें।