हमारे कानूनी अधिकार क्या है? 30+ जरुरी अधिकार

भारत एक विकासशील देश है, भारत में रहने वाले बहुत सारे नागरिक को अपनी कानूनी अधिकार का पता नहीं होता, जिसकी वजह से हम और आप भ्रष्टाचार और धोखेबाजी का शिकार हो जाते है. आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में बता रहे है भारत सरकार द्वारा बनाए गए ऐसे 16 कानूनी अधिकार और उसके नियम के बारे में जिसकी जानकारी होना हमारे लिए बहुत जरूरी और फायदेमंद है.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा कुछ गाइड-लाइन और दिशा-निर्देश दी गई है, जिनका उपयोग जरुरत पड़ने पर देश के सामान्य व्यक्ति कर सकते है और साथ ही पुलिस विभाग को भी उनका पालन करना जरूरी है.

महिलाओं के क़ानूनी अधिकार – Legal Rights Of Women

1. मुफ्त क़ानूनी सहायक – Free Legal Assistant

अक्सर महिलाएं शिकायत दर्ज करवाने पुलिस स्टेशन बिना किसी वकील या क़ानूनी सहायक के ही जाती हैं, जिस वजह से यह आशंका हमेशा बनी रहती है कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर लिखा जाए या FIR दर्ज ही ना की जाए.

ऐसे में ये उनका हक है कि उनके लिए किसी वकील का इन्तज़ाम किया जाए. बेहतर यही होगा कि आप खुद अपनी शिकायत लिख कर ले जाए और पुलिस के हस्ताक्षर करवा लें. अगर पुलिस इसमें आना-कानी करे या हस्ताक्षर करने से माना करे, तो पुलिस को इसका कारण बताना पड़ेगा.

2. सूर्यास्त के बाद गिरफ्तारी नहीं – No Arrest After Sunset

Supreme Court के अनुसार किसी भी महिला को सूर्यास्त के बाद और सुर्युदय से पहले गिरफ्तार किया नहीं जा सकता. यहाँ तक की महिला Constable साथ है, तो भी रात में गिरफ्तारी नहीं हो सकती.

ऐसे कई मामले सामने आए है, जब महिलाओ का शोषण किया गया है, इस तरह के शोषण से बचने के लिए कोई भी महिला अपने इस क़ानूनी अधिकार का प्रयोग कर सकती है को वो सिर्फ दिन के समय ही पुलिस स्टेशन जाएगी.

यदि किसी महिला के खिलाफ कोई गंभीर आपराधिक मामले है, तो पुलिस को Magistrate से लिखित रुप में इस बात की स्वीकृति लेनी पड़ती है कि आखिर क्यों रात में गिरफ्तारी ज़रुरी है और यह भी दूर्लभ मामला में ही हो सकता है.

3. पुलिस स्टेशन नहीं बुलाया जा सकता

Criminal procedure code के section 160 के तहत किसी भी महिला को पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन में नहीं बुलाया जा सकता. पुलिस महिला के घर पर पुलिस Constable और उसके परिवार या दोस्त की मोजुदगी में पूछताछ कर सकती है.

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4. गोपनीयता – Confidentiality

Criminal procedure code केsection 164 के तहत, बलात्कार की पीड़िता अपना बयान District Magistrate के सामने बिना किसी ओर की मौजूदगी के दर्ज करा सकती है, जब तक ही उस केस का trail चल रहा हो.

इसके अलावा वो चाहे तो अपना बयान एक पुलिस ऑफिसर व महिला कांस्टेबल की मौजूदगी में सुविधाजनक स्थान पर भी दर्ज करवा सकती है, जहाँ किसी तीसरे व्यक्ति तक बात ना पहुचे.

क़ानूनन पुलिस की यह ज़िम्मेदारी है कि वह महिला की गोपनीयता के अधिकार को बनाए रखे, क्योंकि यह बेहद जरूरी है कि बयान दर्ज करवाते वक़्त महिला तनाव महसूस ना करे और जितना संभव हो, उसे सुविधाजनक माहौल प्रदान किया जा सके.

5. समय का प्रतिबंध – Time Restriction

यदि कोई महिला यौन उत्पीड़न या बलात्कार की शिकार होती है, तो यह जरूरी नहीं कि तुरंत FIR दर्ज कराए, वो थोड़ा समय लेकर भी FIR दर्ज करवा सकती है.

Supreme Court के अनुसार यौन उत्पीड़न या बलात्कार बेहद भयानक घटना है, जिसके सदमे से उभरने में समय लगता है. इसके अलावा महिलाएं परिवार या समाज के बारे में सोचकर भी हिम्मत नहीं जुटा पाती. यदि कोई घटना के कुछ समय बाद भी शिकायत करे, तो पुलिस को FIR दर्ज करनी ही होगी.

6. पुलिस क्या नहीं कह सकती?

Supreme Court की Zero FIR routing के अनुसार बलात्कार पीड़िता देश में कही भी, किसी भी पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत दर्ज करवा सकती है.

अक्सर पुलिस स्टेशन अपनी जिम्मेदारियों से बचने के लिए पीड़िता की शिकायत यह कहकर दर्ज नहीं करते की यह मामला उनके पुलिस स्टेशन के दायरे में नहीं आता. लेकिन क़ानूनन पीड़िता कहीं भी अपनी शिकायत दर्ज करवा सकती है, जिसके बाद SHO को यह निर्देश दिया जाता है कि वो संबंधित पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज करवायें.

7. Email और Registered Post का प्रावधान

देल्ही पुलिस के दिशा निर्देशों के अनुसार कोई महिला Email या Registered Post से भी अपनी शिकायत दर्ज करवा सकती है. यदि कोई महिला किन्ही कारणों से खुद पुलिस स्टेशन आकर शिकायत दर्ज नहीं करवा सकती, तो वह Email या Registered Post से Deputy Commissioner या Commissioner of police के level के किसी भी Senior पुलिस officer के पास अपनी शिकायत दर्ज करवा सकती है.

इसके बाद पुलिस स्टेशन के SHO को पुलिस officer निर्देश देकर मामले की छानबीन करके FIR दर्ज करने को कहते है और उसके बाद शिकायतकर्ता के बयान को दर्ज करने के लिए पुलिस उसके घर पर जा सकती है.

8. अपनी पहचान ज़ाहिर ना करने का अधिकार – Right To Not Reveal Your Identity

किसी भी परिस्तिथि में बलात्कार पीड़िता की पहचान (identity) ज़ाहिर नहीं होनी चाहिये. ना तो पुलिस, ना ही Media उसका नाम और पहचान ज़ाहिर कर सकती है.

9. Doctors Report ही मात्र आधार है

यदि Medical में बलात्कार की पुष्टि नहीं होती, तो भी case ख़ारिज नहीं हो सकता, क्योंकि बलात्कार एक अपराध है, ना कि pre-condition.

जाने अपने अधिकार – Know Your Right

यदि कोई व्यक्ति अपनी शिकायत दर्ज करवाना चाहता है, तो पुलिस FIR दर्ज करने से मना नहीं कर सकती. यह हर नागरिक का मूल अधिकार है.

यहां तक कि PHONE पर भी FIR दर्ज की जा सकती है.

शिकायतकर्ता व जिसके खिलाफ शिकायत दर्ज हुई है, दोनों को ही FIR की COPY पाने का अधिकार है.

पुलिस द्वारा गिरफ़्तारी का अधिकार Warrant cashes में ही है, लेकिन यहां भी सावधानी बरती जानी ज़रुरी है यानि गिरफ़्तारी routing base पर नहीं की जा सकती.

कुछ मामलो को छोड़कर सिर्फ आरोप लगा देने पर ही गिरफ्तार किया नहीं जा सकता. पुलिस officer के लिए अपनी Dairy में case दर्ज करना भी जरूरी है. Supreme court के अनुसार चूंकि गिरफ़्तारी से किसी भी व्यक्ति के मान-सम्मान को क्षति पहुँच सकती है, इसीलिए गिरफ़्तारी की सही वजह होने पर ही किसी को Arrest किया जा सकता है.

● गिरफ्तार करने या पूछ-ताज के लिए भी हिरासत में लिए हुए हर व्यक्ति को यह जानने का अधिकार है कि उसे किस आधार पर गिरफ्तार (arrest) किया गया है या उससे पूछ-ताज की जा रही है.

● गिरफ्तार या पूछ-ताज करनेवाले पुलिसकर्मी को अपने नाम और पद का पहचान कार्ड (I CARD) लगाना ज़रुरी है.

● अगर कोई किसी नागरिक को रोक कर या गिरफ्तार करके पूछताछ करता है, तो वो किसी वकील की मोजुदगी में ही जवाब देने की मांग कर सकता है. यह उसका हक है.

● यदि किसी के पास वकील नहीं है, तो उसे कानून की तरफ से वकील दिया जायेगा.

● जो पुलिस officer गिरफ़्तारी की प्रक्रिया करता है, Supreme court के निर्देश के अनुसार उसके लिए जरूरी है कि वो Arrest का Memo तैयार करे. उस Memo को गिरफ्तार हुए व्यक्ति के किसी परिवार के सदस्य या उसके इलाके के किसी सम्मानित व्यक्ति द्वारा ATTESTED करवाना जरूरी है. इस पर गिरफ्तार हुए व्यक्ति के हस्ताक्षर, साथ ही तारीख और समय का उल्लेख होना भी जरूरी है.

● यदि किसी से पूछताछ या किसी को गिरफ्तार किया जाता है, तो उस व्यक्ति को ये हक कि वो अपने किसी दोस्त, रिश्तेदार या किसी शुभचिंतक को साथ ले जा सके या अगर वो उसके साथ नहीं है, तो उन्हें बता सके, ताकि वो जल्द से जल्द उस तक पहुँच सके.

● गिरफ्तार या हिरासत में लिए जा रहे व्यक्ति की Medical checkup भी होनी चाहिये कि उसके शरीर पर किसी तरह के छोटे-बड़े घाव व निशान है. यही कुछ निशान या चोट वगैरह पाई जाती है, तो उसे Record करना जरूरी है और उसकी एक Copy गिरफ्तार हुए व्यक्ति को भी दी जानी चाहिये.

● Custody में हर 48 घंटे में उस व्यक्ति की Medical checkup panel के Doctor से करवाई जानी चाहिये .

● पूछताछ के दौरान Custody में लिया गया व्यक्ति अपने वकील (advocate) से मिल सकता है, हालांकि पूरी पूछताछ के दौरान वकील को वह साथ नहीं रह सकता.

16 कानूनी अधिकार जिसकी जानकारी होना जरुरी है

1. कंपनी द्वारा दिए गए उपहार को रिश्वत माना जायेगा

अगर आप किसी कंपनी द्वारा किये गए गिफ्ट को स्वीकार करते है, तो आप पे कोई भी व्यक्ति रिश्वत लेने का मुकदमा चला सकता है.

आजकल companies में लोगो को उपहार भेजने की परंपरा बनती जा रही है. सरकार द्वारा इस तरह की परंपरा को खत्म करने के लिए 2010 में एक कानून बनाया गया और इस कानून के मुताबिक अगर आप किसी कंपनी से किसी तरह का गिफ्ट लेते है तो उसको रिश्वत समझा जायेगा और आप पे कानूनी कार्यवाही भी हो सकती है.

2. सिलिंडरफटने पर 40 लाख मिलेंगे

अगर आपके सिलिंडर फट जाता है तो आपको 40 लाख मुवावजे के रूप में मिलेंगे. अगर किसी के LPG गैस सिलिंडर में ब्लास्ट होता है तो वो व्यक्ति 40 लाख रूपए का हरजाना मांग सकता है. ये हर व्यक्ति का कानूनी अधिकार है.

जरुर पढ़ें- क्या बच्चे संगीन अपराध कर सकते हैं? एक सवाल- क्या उम्र के आगे अपराध छोटा है?

3. महिला को सिर्फ महिला पुलिस ही गिरफ्तार कर सकती है

भारत में सिर्फ महिला पुलिस अधिकारी को ही महिलाओ को गिरफ्तार करके सुरक्षित थाणे में ले जाने का अधिकार है. अगर भारत में किसी महिला को पुरुष पुलिस अधिकारी गिरफ्तार करके थाणे में ले जाता है तो इसको अपराध माना जायेगा और ऐसे पुलिस वालो पर कानूनी कार्यवाही की जा सकती है. अगर किसी महिला को रात के 6 बजे से लेकर सुबह के 6 बजे समय के बीच पुलिस स्टेशन आने के लिए कहा जाता है, तो उस महिला को भारत सरकार ये अधिकार देती है की वो महिला पुलिस स्टेशन आने से मन कर सकती है.

4. इनकम टैक्स वसूल करने वाले अधिकारियों के पास आपको गिरफ्तार करने का अधिकार होता है.

अगर आपने टैक्स नहीं दिया है तो TRO यानि कि Tax Recovery Organisation के पास आपको गिरफ्तार करने का आदेश होता है और उनकी मर्जी से ही आप जेल से छूट सकते है. इस नियम का उल्लेख 1961 में Income Tax Act में किया गया है.

5. साइकिल चलने वालो पर कोई Motor Vehicle Act लागु नहीं होता

अगर आप रोजाना साइकिल चलते है तो आपको Motor Vehicle Act की चिंता करने की कोई जरुरत नहीं, क्योंकि Motor Vehicle Act के अधीन साइकिल और रिक्शा नहीं आते.

6. महिलाएं पुलिस को ईमेल के जरीए भी शिकायत दर्ज करा सकती है

देल्ही पुलिस में हाल ही में महिलाओ को ऐसी सुविधा दी है जिनसे महिलाएं घर बैठे-बैठे अपनी शिकायत को ईमेल के जरिए दर्ज करवा सकती है और उन्हें पुलिस स्टेशन आने की भी जरुरत नहीं पड़ेगी.

7. Live-in Relationship अवैध नहीं है

भारत में आज भी लोग Live-in Relationship को गैरकानूनी मानते है पर ये अवैध नहीं है लेकिन Live-in Relationship में रहने वाली पुरुष और महिला को बहुत सारी बातों का ध्यान रखना होता है. अगर Live-in Relationship में बच्चे का जन्म होता है तो उस बच्चे का उसके माता-पिता की संपत्ति पर पूरा-पूरा अधिकार होगा.

8. राजनीतिक दलों के पास चुनाव के समय आपसे vehicle किराये पर लेने का अधिकार होता है

अगर आप vehicle देने के लिए तैयार है तो इलेक्शन के समय राजनीतिक दल आपसे आपका vehicle किराये पर ले सकते है.

9. एक बार जुर्माना देने के बाद 24 घंटो के लिए आप पर जुर्माना नहीं लगेगा

अगर आप पर ट्रैफिक नियम का उल्लंघन करने की वजह से दिन में एक बार जुर्माना लग गया है तो आप पर पुलिस अधिकारी पूरे दिन फिर जुर्माना नहीं लगा सकते.

अगर आपको दिन में एक बार हेलमेट ना पहनने का चालान हो गया है तो आप रात तक बिना हेलमेट पहने घूम सकते है और ट्रैफिक पुलिस आप पे जुर्माना नहीं लगा सकते.

10. किसी भी चीज के MRP यानि Maximum Retail Price से कम देने का अधिकार है

दुकानदार के साथ कोई भी चीज सौदे के साथ खरीद सकते है. जैसे कि किसी चीज का प्राइस 100 रूपए है तो आप सौदा करके उस चीज को 90 रूपए में भी खरीद सकते है. ये आपका कानूनी अधिकार है.

11. अगर कोई व्यक्ति आपसे पैसे लेकर वापस नहीं करता तो आप उस व्यक्ति के खिलाफ अदालत में शिकायत दर्ज करा सकते है

अगर आपको कोई व्यक्ति आपका पैसा नहीं लौटा नहीं रहा है तो आप उस व्यक्ति के खिलाफ एप्लीकेशन लिख कर मामला दर्ज करवा सकते है, ये आपका कानूनी अधिकार है. आपके पास उस व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने का 3 साल का समय होता है, जिस व्यक्ति से आपको पैसे लेने है.

12. अगर आप किसी सार्वजनिक स्थान पे अश्लील तरह की हरकत करते है तो आप को 3 महीने की सजा हो सकती है

पुलिस का हेड कांस्टेबल किसी ऐसे अपराध के लिए आपको दंड नहीं दे सकता जिसका जुर्माना 100 रूपए से अधिक हो. अगर आपने एक से अधिक कानून के नियम का उल्लंघन किया है तो आपका चालान किया जा सकता है.

13. 1861 में बने Police Act के अनुसार भारत का हर राज्य का पुलिस अधिकारी हमेशा duty पर रहेगा.

अगर किसी जगह पर आधी रात को भी कोई अपराध या घटना होती है तो पुलिसकर्मी को यह कहने का कोई अधिकार नहीं होता है कि वह duty पर नहीं है क्योंकि Police Act के अनुसार पुलिसकर्मी बिना वर्दी के भी हमेशा duty पे रहते है.

14. अगर आप हिन्दू है और आपका खुद का एक बच्चा है तो आप दूसरा बच्चा गोद नहीं ले सकते.

15. अगर आपका कोई बच्चा नहीं है और अगर आप बच्चा गोद लेना चाहते है तो आपकी और बच्चे की उम्र में कम से काम 21 साल का अंतर होना जरूरी है.

16. अगर पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध अच्छे नहीं है तो दोनों इस वजह को तलाक के सबूत के रूप में इस्तेमाल कर सकते है, भारतीय कानून उस पति-पत्नी को इसकी इजाजत देता है.

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