इस पोस्ट में बताया गया है कि कंप्यूटर में Booting Process क्या है (computer booting steps), तथा बूटिंग प्रोसेस कितने प्रकार की होती है। Cold Booting और Warm Booting किसे कहते हैं। Windows में बूटिंग प्रक्रिया किस प्रकार होती है तथा DOS की बूटिंग प्रोसेस और Linux Booting Process के बारे में भी पूरी जानकारी दी गई है।
आपने देखा होगा, जब आप पहली बार कंप्यूटर Turn On करते हैं तो, कंप्यूटर चालू होते ही है एक Black Screen सामने आती है और कुछ सेकंड के बाद यह अपने आप ही गायब हो जाती है और कंप्यूटर चालू हो जाता है। तो जब थोडी देर के लिए जो Black Screen आती है उस समय ही कंप्यूटर में बूटिंग प्रोसेस हो रही होती है, जिसमें कंप्यूटर अपने से कनेक्टेड सभी डिवाइस जैसे Hard disk, Ram, CMOS, Motherboard, CPU, BIOS आदि को चेक करता है और ऑपरेटिंग सिस्टम RAM में लोड करता है यह प्रक्रिया बहुत तेजी से होती है इसमें कुछ सेकंड का ही वक्त लगता है परंतु इस थोड़े से समय में बहुत सारी क्रियाएँ सम्पन्न होती है।
Booting Process क्या है? What is booting process?
Power Switch ON करने से लेकर ऑपरेटिंग सिस्टम पर आने तक की पूरी प्रक्रिया Booting Process कहलाती है। जिसमें मुख्य रुप से ऑपरेटिंग सिस्टम हार्ड डिस्क से अस्थाई मेमोरी (RAM) में लोड होता है। या कह सकते हैं कि बूटिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें आपका कंप्यूटर initialize होता है इस प्रक्रिया में कंप्यूटर अपने सभी Hardware Component की जांच करता है और उन्हें एक साथ काम करने के लिए तैयार करता है तथा डिफॉल्ट Operating System को लोड भी करता है जो एक कंप्यूटर को चालू होने के लिए आवश्यक है। यदि इस प्रकिया के दौरान कंप्यूटर को किसी प्रकार की समस्या मिलती है तो बूटिंग की प्रकिया वही रुक जाती है और Screen पर Error Message प्रदर्शित होता है।
बूटिंग कितने प्रकार की होती है? Types of Booting in Computer?
कंप्यूटर में समान्यतः बूटिंग 2 प्रकार की होती है।
- Cold Booting – जब पहले से बंद किसी कंप्यूटर को चालू किया जाता है तो इस प्रक्रिया को कोल्ड बूटिंग कहते हैं।
- Warm Booting – जब किसी चालू कंप्यूटर को रीस्टार्ट किया जाता है तो इस प्रक्रिया को वार्म बूटिंग कहते हैं।
DOS (Disk Operating System) में Booting Process
DOS ऑपरेटिंग सिस्टम में बूटिंग प्रोसेस के निम्नलिखित मुख्य 7 चरण होते है।
- POST
- Boot Record
- DOS Kernel
- System Configuration
- COMMAND.COM
- AUTO EXEC.BAT
- DOS Prompt
(1) POST – POST का Full form, Power On Self Test होता है। जब कंप्यूटर चालू होता है तो सबसे पहले पोस्ट की प्रक्रिया होती है जिसमे कंप्यूटर के सभी हार्डवेयर की जाँच की जाती है सब कुछ ठीक होने पर प्रक्रिया आगे बढती है और यदि किसी Component में कोई समस्या होती है तो एक error message प्रदर्शित होता है।
(2) Boot Record – जब POST के द्वारा सभी प्रकार की चेकिंग कर ली जाती है तब इसके बाद कंट्रोल Boot Record के पास Transfer किया जाता है जो डिस्क के बारे में पूरी जानकारी प्रदर्शित करता है।
(3) DOS Kernel – यह चरण बूटिंग प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण होता है इस चरण में DOS, Kernel memory में लोड होता है, जो कि ऑपरेटिंग सिस्टम का केंद्रीय भाग होता है कर्नल दो विशेष System file, Io.SYS तथा MS-DOS.SYS से मिलकर बनता है, यह दोनों फाइलें Hidden Mode में होती है।
(4) System Configuration – DOS Kernel Load होने के बाद बूटिंग प्रक्रिया के अगले चरण में Computer, CONFIG.SYS file को Search है और इस फाइल में दिए गए Parameters के अनुसार सिस्टम की विभिन्न Internal Setting करता है।
(5) COMMAND.COM – डॉस बूटिंग प्रक्रिया के इस चरण में DOS की एक और महत्वपूर्ण फाइल Command.Com मेमोरी में लोड होती है। डॉस के सभी Internal Command इसी फाइल के माध्यम से ही चलते है।
(6) AUO EXEC.BAT – बूटिंग प्रोसेस के इस चरण में, COMMAND.COM File अपने आप ही, AUO EXEC.BAT फाइल को ढूँढ कर उसे Run करती है। AUO EXEC.BAT एक Batch File होती है जिसके द्वारा सिस्टम का समय व दिनांक को विभिन्न सॉफ्टवेयर के साथ सेट किया जाता हैं। यह एक auto-executable file होती है अर्थात इसे Run करने के लिए कोई Command type नहीं करना पड़ता बल्कि यह Booting Process के अंतिम चरण (Last Stage) में यह अपने आप ही Run हो जाती है।
(7) DOS Prompt – सभी Process Complete होने के बाद आखिर में मॉनिटर पर DOS Prompt की Screen दिखाई देती है जो यह बताती है कि DOS Load हो चुका है, और अब Computer पूरी तरह से कार्य करने के लिए तैयार हैं।
Windows operating system में Booting Process किस प्रकार से होती है?
- POST
- Boot Loader
- OS Loader
- Login Screen
(1) POST – जब हम कंप्यूटर को पावर ऑन करते हैं तो सबसे पहले BIOS initialize होता है और POST की प्रक्रिया आरंभ होती है जिसमें कंप्यूटर अपने से जुड़े सभी हार्डवेयर डिवाइस जैसे मदरबोर्ड, सीपीयु आदि की जाँच करता है जिसमें रैम और सेकंडरी स्टोरेज डिवाइस भी शामिल है। POST प्रक्रिया तब समाप्त होती है जब BIOS एक Valid system disk का पता लगा लेता है, तथा MBR को पढ़ता है, और Bootmgr.exe को शुरू करता है। Bootmgr.exe, Windows boot partition पर Winload.exe को run करता है, तब आगे की प्रक्रिया होती है।
(2) Boot Loader – पोस्ट की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद अगले चरण में बॉयोस Bootable device search करता है जिसमें ऑपरेटिंग सिस्टम इनस्टॉल है।
(3) OS Loader – इस चरण में विंडोज के आवश्यक System Driver और Files जैसे- Command.com, msdos.sys,io.sys आदि को लोड किया जाता है। इसी चरण में kernel भी मेमोरी में Load होता है, जब कर्नेल चलना शुरू होता है, तो OS loader, system registry hive और अतिरिक्त ड्राइवरों को लोड करता है जिन्हें BOOT_START के रूप में मेमोरी में चिह्नित किया जाता है।
(4) Login Screen – यदि उपरोक्त सभी प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है तो आपके सामने विंडोज की लॉक स्क्रीन प्रदर्शित होती है जिससे पता चलता है कि विंडो आप पूर्ण तरह से कार्य करने के लिए तैयार है।
नोट-
क्योंकि विंडो ओपन सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं है इसलिए उसकी बूटिंग प्रक्रिया की ठीक से व्याख्या करना कठिन है।
Linux Operating System में Booting Process के चरण–
लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम में बूटिंग प्रोसेस में समान्तयः मुख्य 5 चरण होते है।
- BIOS/POST
- Boot Loader
- Kernel
- Init
- Login Screen
(1) BIOS/POST – सभी ऑपरेटिंग सिस्टम की तरह इसमें भी जब कंप्यूटर पावर ऑफ किया जाता है तो सबसे पहले BIOS Initialize होता है और CPU के साथ मिलकर पोस्ट की प्रक्रिया शुरु करता है जिसमें कंप्यूटर से संबंधित सभी हार्डवेयर डिवाइस को चेक किया जाता है और सुनिश्चित किया जाता है कि यह सही से कार्य कर रहे हो।
(2) Boot Loader – बूट लोडर की 2 stage होती है-
(i) MBR
MBR का मतलब Master Boot Record होता है यह बूट करने योग्य ड्राइव जैसे- हार्ड डिस्क के first sector में स्थित होता है। इसका Size 512 byte या ज्यादा भी हो सकता है यह GRUB को load और execute करता है।
(ii) GRUB
GRUB का पूरा नाम Grand Unified Bootloader है। GRUB एक splash screen प्रदर्शित करता है जिसमें यदि आपके पास सिस्टम पर कई kernel installed है तो आप चुन सकते हैं कि किसे execute किया जाए और यदि आप कुछ भी entre नहीं करते तो यह Default kernel को लोड करता है।
(3) Kernel – कर्नल को ऑपरेटिंग सिस्टम का ह्रदय भी कहते हैं जैसे ही कर्नल लोड होता है यह हार्डवेयर को कॉन्फ़िगर करता है और सिस्टम को मेमोरी एलोकेट करता है उसके बाद यह systemd और init प्रक्रिया को चलाता है साथ ही सभी आवश्यक Drivers को भी Load करता है।
(4) Init – init का मतलब Initialize होता है यह पहली Parent Process होती है जिसमें निम्नलिखित Level उपलब्ध होते हैं-
0 – halt
1 – Single user mode
2 – Multiuser, without NFS
3 – Full multiuser mode
4 – unused
5 – X11
6 – reboot
यूजर अपनी आवश्यकता के अनुसार इन लेवल का चयन कर सकता है आमतौर पर डिफॉल्ट लेवल 3 या 5 में सेट किया जाता है।
(5) Login Screen – उपरोक्त सभी प्रक्रिया संपत संपन्न होने के बाद Login Screen प्रदर्शित होती है जिसमें आप अपना यूजरनेम और पासवर्ड डालकर Login कर सकते हैं।
Conclusion
सभी ऑपरेटिंग सिस्टम में Booting की Process लगभग एक समान होती है फिर चाहे वह DOS हो लाइनेक्स हो या Wndows यदि हम बूटिंग प्रक्रिया को आसान शब्दों में समझे तो किसी भी कोई भी ऑपरेटिंग सिस्टम में बूटिंग प्रक्रिया के निम्नलिखित चरण होते हैं –
- Power on – यह पहला चरण होता है जिसमें कंप्यूटर को चालू किया जाता है
- BIOS Initialize – इस चरण में बॉयोस सीपीयू के साथ मिलकर पोस्ट की प्रक्रिया करता है।
- Find Boot Device – बूटेबल डिवाइस को सर्च किया जाता है।
- OS Loading – इस चरण में ऑपरेटिंग सिस्टम डिस्क से RAM में load होता है
- OS Screen – यह अंतिम चरण होता है जिसमें बूटिंग की प्रक्रिया संपन्न हो जाती है और कंप्यूटर कार्य करने के लिए पूर्ण रूप से तैयार होता है।