जन्म के बाद नवजात शिशु की देखभाल करने के 10 सुझाव

जन्म के बाद नवजात शिशु की देखभाल करने के 10 सुझाव

एक नवजात शिशु के जीवन में आ जाने से जीवन उत्साह से भर जाती है और साथ ही साथ कई तरह की चिंता, तनाव और थकावट भी साथ लाती है. अगर आप पहली बार माता-पिता बने हो तो जो 10 उपाय हम आपको बताने जा रहे है वो आपके लिए जरूर मददगार होगा. क्योंकि ये उपाय प्रैक्टिकल है जो आपके तनाव को नियंत्रण करने में मदद करेगा और आप अच्छे से अपने बच्चे की देखभाल भी कर पाओगे.

नवजात शिशु की देखभाल

नीचे हमने टॉप 10 बेस्ट बताए है, इन्हे पढ़े और फॉलो करे. यहां पर बताए गये सभी उपाय प्रैक्टिकल है और आप इन उपायों को दादी माँ के नुस्खे भी कह सकते हो.

छोटे बच्चे की देखभाल कैसे करे? 10 सुझाव

1. सबसे पहले अपनी देखभाल करे

खुद की देखभाल करने से मतलब है कि आपने स्वास्थ्य की देखभाल करना क्योंकि आपको पता ही होगा कि जो आहार आप खाते हो वही आपके शिशु को भी वही मिलेगा. इसलिए स्वस्थ आहार खाये, खूब पानी पिये और ताजी हवा लेने की भी आदत बनाए.

जब आपका बच्चा सोया हो तब आप भी सोने का कोशिश करे. अच्छी आदत आपकी शक्ति को बरकरार रखने में मदद करेगी ताकि आप अपने नवजात शिशु का अच्छे से देखभाल कर सको.

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2. लय के साथ चले

दोस्तों बच्चे के पहले महीने में कुछ भी हो सकता है तो ऐसे में अपने बच्चे का ज्यादा से ज्यादा ध्यान रखे. पहले से योजना बना के रखे कि आप अपने बच्चे के जरूरत का समय उसे दे सके. पर इसका ये मतलब नही कि आप अपने बच्चे के साथ घर पर ही छिप के बैठे रखे. हो सके तो थोड़ा बहुत घर से बाहर भी निकले क्योंकि ये आपके और बच्चे के लिए अच्छा होगा.

3. आस पास सफाई रखे

अगर आपके घर कोई पालतू जानवर है तो ध्यान रखे कि बच्चे का जगह साफ हो. अपने लांड्री बास्केट में साफ कपड़े रखे और साथ ही साथ अपने बाथरूम को साफ डायपर वाइप के साथ साफ रखे. जब भी आप रात का खाना बनाने के लिए लेट हो गये हो तो डिनर में ठंडा अनाज और पीनट बटर टोस्ट आजमा सकते है. हमारे कहने का ये मतलब है कि आप खुद को भी स्वस्थ रखने के साथ-साथ अपने और बच्चे के आस पास की जगह को साफ रखे.

4. बच्चे और दोस्तों का संतुलन कौशल

बच्चे के साथ हर चीज को चाहे वो ऑफीस हो, दोस्त हो या पति हो सबको अपनी जिंदगी में संतुलन करके चलना आना चाहिए. ताकि आपको ये ना लगे कि बच्चे के साथ बिताया 1 घंटा 100 घंटे के बराबर हो.

तो खुद को बोर होने से बचाने के लिए अपने दोस्तों के घर बच्चे के साथ visit करे और ध्यान भी रखे कि अगर कोई आपके बच्चे को पकड़ रहा है तो उससे पहले उसके हाथ अच्छे से धुले हुए हो और ये भी ध्यान रखे कि आपके दोस्तों में से कोई बीमार तो नही है क्योंकि बच्चे बहुत संवेदनशील होते है.

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5. जितना हो सके उतना मदद ले

इतना तो आपको भी पता होगा कि अकेले बच्चे को पालना बहुत मुश्किल होता है. कभी तो ऐसा भी मन करता है कि 2 मिनट के लिए कोई आपके बच्चे को पकड़ ले ताकि आपको थोड़ा आराम करने का समय मिल सके. इसीलिए खुद को पहले से ही तैयार करके रखे अगर आप अकेले ही अपने बच्चे को पाल रहे है तो पहले से ही मानसिक और भावनात्मक रूप से तैयार रहे.

बच्चे पालने के उपाय अपने बड़ों से लेते रहे ताकि आपका आत्मविश्वास का स्तर बढ़ता रहे. आपने कई बार देखा होगा कि अगर आपका बच्चा ज्यादा सोने लगता है तो आपको घबराहट होने लगती है कि ऐसा क्यों हो रहा है इसलिए जितना ज्यादा मदद लोगे उतने अच्छे से आप अपने बच्चे को संभाल सकोगे.

छोटे बच्चे की देखभाल कैसे करे?

6. बच्चे के साथ संबंध

शिशु के लिए, लगाव उनके भावनात्मक विकास को बढ़ाता है, जो की साथ ही साथ अलग अलग क्षेत्र में जैसे शारीरिक और भावनात्मक विकास में भी विकास करता है. संबंध बनाने के लिए आपको अलग अलग पैटर्न का उपयोग करने पड़ेंगे जैसे घोड़ी में झूला झूलना और प्यार से थपथपाना से शुरू कर सकते है. और बच्चे के शारीरिक विकास के लिए मालिश मदद करता है. इसलिए, इस तरह आप अपने बच्चे के साथ संबंध बना सकते है जो कि बहुत जरूरी है.

7. नियमित बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाए

नियमित जांच बहुत जरूरी है. क्योंकि दोस्तों अगर आप कुछ अजीब चीज महसूस करते है तो तुरंत डॉक्टर से मिले. चाहे आपको बच्चे के देखभाल में कोई भी संदेह हो उसे स्पष्ट करने के लिए डॉक्टर की सलाह जरूर ले. आज के समय में दादी माँ के नुस्खे के साथ-साथ डॉक्टर की सलाह भी बच्चे के लिए बहुत जरूरी है.

8. अपने बच्चे से बात करे

बेशक आपका बच्चे बात नही कर सकता और ना ही आप उसे खिला सकते हो पर वो आपकी तरह ही सारा दिन सोते-सोते, लेटे-लेटे या बेठे-बेठे बोर हो जाता होगा. तो इसके लिए अपने बच्चे को पार्क में ले जाए, उससे बात करे, जहाँ आपका बच्चे होता है उस कमरे में तस्वीरें लगाए, संगीत लगाए, आप अपने बच्चे के लिए कर सकते हो.

ध्यान रखे कि अपने बच्चे को सही ढंग से पकड़े और उससे जोर से ना हिलाए. शुरुवात में आप अपने बच्चे के साथ जितना बंधन मजबूत कर सके उतना करने कि कोशिश करे. ये चीजें आपको आगे जा कर बच्चे के विकास में मदद करती है.

9. बच्चे को स्वस्थ रखे

स्वस्थ रखने से मतलब है कि बच्चे जब रोये तो उसे कैसे चुप करना चाहिए, उससे कैसे नहलाना चाहिए, कैसे सुलाना चाहिए, सोने का समय, खाने का समय, डॉक्टर के पास ले जाने का समय, कैसे बात करे, बाहर ले जाते समय बच्चे की कैसे देखभाल करे. ये सब आपको पता होना चाहिए.

उदाहरण के रूप में अगर बच्चा बहुत रो रहा हो तो उसके रोने का कारण हमे आसानी से पता नही लगता है, तो ऐसे में कुछ नुस्खे है जो आपकी मदद कर सकते है, जैसे डायपर का गीला होना, पेट का दर्द आदि. ऐसे में आप अपने नवजात शिशु को जान सकेंगे और उनकी देखभाल कर सकेंगे.

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10. जरूरी सलाह

संगीत का इस्तेमाल जरूर करे बच्चे आराम से रहते है और आनंद भी करते है. एक बच्चे की देखभाल करना मुश्किल होता है तो ऐसे में जितना हो सके दूसरों से सहायता ले. अपने बच्चे को दूसरे को भी पकड़ने को दे ताकि बच्चे की आदत बने रहे. पालतू जानवर और बच्चे को एक दूसरे से दूर ही रखे. क्योंकि किसी भी सूरत में ये दोनो एक दूसरे को नुकसान पहुँचा सकते है. ध्यान रखे कि बच्चे के आस पास ज्यादा शोर ना हो या कोई चिल्ला के बात ना करे क्योंकि बच्चे शोर से जाग जाते है. अपने नवजात शिशु को सामान्य खाना ना खिलाए, क्योंकि उनका पाचन तंत्र अभी तैयार नही होता है.

शिशु का टीकाकरण

  • जन्म के समय – Hepatitis-B, BCG और पोलियो का टिका
  • 2 महीने बाद – Polio, DPT, HIV और Hepatitis-B
  • तीसरे महीने – Polio और DPT
  • 4th month – Polio, DPT और HIV
  • 5th month – Polio
  • 6th month – Hepatitis और HIV
  • 9th month – खसरा
  • 12 month – Chicken pox और Hepatitis-A
  • 18th month – Polio, DTC, Hepatitis, HIV
  • दुसरे साल – Typhoid
  • तीसरे साल में – Polio, DPT और Hepatitis-B
  • पाच साल में – Tetanus

नवजात शिशु कि देखभाल कैसे करे?

नवजात शिशु 6 महीने होने तक दिन में करीब 18 घंटे तक सोता है. जन्म के बाद शिशु के शरीर पर लाल और नीले रंग के कुछ निशान होते है जो की कुछ महीने में धीरे-धीरे खत्म हो जाते है. शिशु को अकेला नही छोड़ना चाहिए.

उसे बिस्तर पर पूरा ढंक कर नही रखना चाहिए जिससे किसी दूसरे व्यक्ति को तकिया या गद्दे का भ्रम हो जाए और वो उस पर अपने शरीर का भार डाल दे.

बच्चे के रोने के कई कारण है जैसा भूख लगना, कपड़ा गीला होना, सर्दी-जुकाम, पेट में दर्द या गैस. बच्चा अकेलापन महसूस करने पर भी रोता है.

सामान्य रूप से बच्चा 24 घंटे में potty करता है. बच्चे की पहली पॉटी काली चिकनी होती है. 3-4 दिन बाद बच्चे की पॉटी का रंग पीला होने लगता है.

बच्चा दिन में कई बार पॉटी करता है. नवजात शिशु के पैदा होने से 36 घंटे के अंदर पेसाब करनी चाहिए. अगर पेसाब ना हो तो डॉक्टर से दिखलाना चाहिए.

बच्चे को नहलाते समय सावधानी बरतनी चाहिए. कभी भी बच्चे को टब या बाल्टी में नहलाते समय अकेला नही छोड़ना चाहिए.

बच्चे को नहलाने के लिए साधारण साबुन का इस्तेमाल नही करना चाहिए. बच्चे के कान में पानी ना जाए इसके लिए कान में थोड़ी रुई लगा देनी चाहिए और नहलाने के बाद उसे फेक देना चाहिए.

बच्चे को लगाने का पाउडर अलग से आता है. बच्चे के मलद्वार को रुई गीली करके हल्के से पोछना चाहिए नही तो वहां कचड़ा आ जाती है.

नवजात शिशु को दूध कि मात्रा और भोजन

नवजात शिशु के लिए माँ का दूध अमृत होता है. प्रसव के कुछ दीनो तक माँ के स्तनों से गढ़ा दूध निकलता है. इसे कोलस्टर्मा कहते है.

इस दूध में जादुई गुण होते है. ये दूध प्रतिरक्षा शक्ति से भरपूर होता है. ये दूध शिशु के लिए पाचक होता है.

माँ के दूध से बच्चे को कोई एलर्जी या सीकायत नही होती है, जबकि बाहर के दूध से उसे दस्त या दूसरी बीमारियाँ हो सकती है.

माँ के सिने से लग कर स्तनपान करने से माँ और बच्चे के बीच आत्मिक रिश्ता पनपता है.

माँ बच्चे को कभी भी स्तनपान करा सकती है पर बोतल से दूध देने से पहले दूध को पकाना पड़ता है, बोतल को गरम पानी से साफ करना पड़ता है.

कभी भी बच्चे को बोतल का बचा हुआ दूध दोबारा नही पिलाना चाहिए.

स्तनपान कराते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है

  • बच्चे को स्तनपान कराते समय उसकी नाक पर ज़ोर नही देना चाहिए जिससे की उसे सास लेने में तकलीफ़ हो.
  • नवजात शिशु को सिर्फ़ माँ का दूध देना चाहिए. उन्हे अलग से पानी की जरूरत नही होती है.
  • स्तनपान कराते समय बच्चे का सिर हमेशा उपर की ओर होना चाहिए और बैठ कर ही स्तनपान करना चाहिए.
  • स्तनपान के साथ बच्चा कुछ मात्रा में हवा भी पेट में ले जाता है जिससे पेट में गैस बनने लगती है. शिशु को छाती से लगाकर पीठ पर थपकी देने से शिशु की गैस निकल जाती है.
  • स्तनपान के बाद स्तानो को गीले कपड़े से साफ करना चाहिए.
  • ज़्यादातर बच्चे एक ही करवट सोते है जिससे उनकी पाचन तंत्र प्रभावित होती है. माँ को बच्चे की करवट बदलते रहना चाहिए.
  • अगर बच्चे को बीमारी के कारण ICU में admit किया गया है तब भी बच्चे को माँ का दूध ही देना चाहिए.
  • चाहे इसके लिए माँ का दूध निकाल कर बूंद-बूंद ही पिलाना पड़ा.
  • 2 से 3 महीने के शिशु को गाय या भैंस का दूध दिया जा सकता है पर स्तनपान ना होने की स्तिथि में ही.
  • 4 महीने के शिशु को माँ के दूध के अलावा मला हुआ केला, मला हुआ आलू या सेब, शहद पानी मिलाकर, दाल का पानी दिया जा सकता है.
  • 6 महीने के शिशु को पतली दलिया या खिचड़ी, बिस्कट, माले हुए फल और रस, सब्जियों का सूप, अंडे का पीला भाग, दही दिया जा सकता है.
  • 10 महीने के बच्चे को ताजी रोटी, सब्जी, दाल-चावल, फल दिया जा सकता है पर मिर्च मसले और तली हुई चीज़े अभी नही देनी चाहिए.

छोटे बच्चे को कैसे सुलाए? 4 तरीके

जब एक नवजात शिशु होता है तो उसे सुलाने के लिए हमे कुछ उपाय को फॉलो करना होता है और एक माँ के लिए ये उपाय बहुत जरूरी होती है. तो आइए जानते है कि क्या है नवजात शिशु को सुलाने के उपाय.

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1. पहले जाने कि बच्चे कितने देर सोते हैं?

नवजात के स्वास्थ्य के लिए तिन महीने तक काफी आराम की जरूरत होती है. इस दौरान बच्चे 16 से 20 घंटे तक सो सकते हैं.

तीन महीने के बाद बच्चे 6 से 8 घंटे तक सोते हैं.

अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा पहले जितना नहीं सोता है तो आपको ये भी ध्यान में रखना होगा कि जैसे-जैसे बच्चे की उम्र बढती जाती है वैसे-वैसे सोने का समय भी कम होता जाता है.

2. 4 घंटे में जरुर पिलाये दूध

बच्चे सो रहे हैं या आराम कर रहे हैं तो उन्हें हर चार घंटे पर स्तनपान कराना न भूले. रात में भी बच्चे तीन महीने तक 6 से 8 घंटे तक पूरी रात सोते हैं.

अगर रात में बच्चे ठीक से मतलब 2 से 3 घंटे भी नहीं सो पा रहे हैं तो यह चिंता का विषय है.

बच्चे का पेट भरा रहेगा तो उसे अच्छी नींद भी होगी और वो देर तक सोयेगा.

3. सोने का तकिया ऐसा हो

बच्चे जिस तकिये पर सो रहा है/रही है वो काफी हल्का और नर्म होना चाहिए और तकिया पर एक ही जगह बच्चे का सिर ज्यादा देर तक नहीं रखना चाहिए, ऐसा रहने से सिर का आकार गड़बड़ा सकता है और SIDS का खतरा हो सकता है.

बच्चे के सिर के स्थान को तकिया पर बदलते रहें. पहले दाएँ, फिर बाएं और फिर बीच में.

4. ऐसे सुलाए

बच्चे को दिन और रात का अनुभव नहीं होता है. कभी-कभी कोई-कोई बच्चा रात को ज्यादा सतर्क हो जाता है, जगा रहता है और पूरे दिन सोता रहता है.

ऐसी स्तिथि में रात में बच्चे के कमरे में थोड़ा सा अंधेरा कर दें. दिन में हो सके तो बच्चे को थपथपा कर जगाए और उसके साथ खेलें और बातचीत करें ताकि रात को वो सही से सो सके.

तो ये थे 4 ऐसे उपाय जो बच्चे को सुलाने में काफी सहायक होगा.

Ravi Saw

रवि साव एक पेशेवर blogger हैं! वे एक इलेक्टिकल इंजिनियर थे पर blogging करने की रूचि ने उन्हें acchibaat.com बनाने कि प्रेरणा दी. इस वेबसाइट के जरिये वे रिश्तों कि जानकारी और बारीकियों के बारे में बताते हैं ताकि आपका रिश्ता जीवन भर खुशहाल रहे. साथ में रवि जी इस वेबसाइट पर टेक्निकल से संबंधित जानकारियां भी प्रकाशित करते हैं.

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