जिद्दी बच्चा हो तो क्या करें? बच्चों का जिद्दी स्वभाव और उपाय

Cबच्चे स्वभाव से ही शरारती होते हैं, यह सच है। लेकिन ये भी सच है कि कुछ बच्चे स्वभाव से ही जिद्दी होते हैं। आपने कभी सोचा है कि कुछ बच्चें जिद्दी स्वभाव के क्यों होते हैं? इसमें माता-पिता ही भूमिका सबसे ज्यादा होती है। ऐसे भी माता-पिता होते हैं, जिनके लिए अपने बच्चों से प्यारा और कोई नहीं होता। भले ही गलती अपने बच्चे की हो, लेकिन उसके लिए वे अपने दोस्तों और परिवार के लोगों से भी झगड़ बैठते हैं।

उसका बच्चा अगर कुछ बुरा भी करता है, तो उनके लिए वह बुरा नहीं होता बल्कि अच्छा ही होता है। क्या मजाल जो कि कोई दूसरा उनके बच्चे की ओर उंगली उठा सके अथवा उसे कुछ कह सके। ऐसे माता-पिता अपने बच्चे की हर उचित अनुचित मांग को पूरा करते हैं और इन सब बातों का परिणाम यह होता है कि उनका बच्चा जिद्दी बन जाता है।

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बच्चे जिद क्यों करते है? क्या करे?

बच्चे जिद क्यों करते है? क्या करे?

ऐसे माता-पिता के बच्चे कितने जिद्दी होते हैं, इस सम्बन्ध में कई उदाहरण आपने अपने आस-पास देखे होंगे। बच्चे जिद्दी क्यों होते हैं? मैंने जब इस विषय में एक शिक्षक से बात की तो उसने एक उदाहरण देते हुए बताया –

‘ दीपावली से दो दिन पहले हमारे घर कुछ मेहमान आए थे। साथ में 6 वर्षीय बेटा भी था। उस बच्चे ने खाने की मेज पर कुछ ऐसी चीजों की मांग रखी, जिन्हें पूरा कर पाना हमारे लिए संभव न था।

नतीजा ये हुआ कि बच्चे ने गुस्से में कई प्लेट तोड़ दी। हमें बुरा लगा पर अतिथि महोदय बच्चे को उस तोड़-फोड़ को शरारत मानकर मुस्कराते रहें। अचानक मेरे मुंह से निकाल गया।

‘ माफ़ करें, बच्चों को इतना जिद्दी नहीं होना चाहिए। ‘

उत्तर मिला – ‘ आप गलत सोच रहे हैं। बच्चे की ये जिद नहीं है, बल्कि यह घटना तो इस बात का सूचक है कि हमारा बेटा भविष्य में इतना बड़ा आदमी बनेगा कि उसे साधारण किस्म की चीजों और साधारण किस्म का खाना पसंद ही न आयेगा। ‘

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मैं उनका चेहरा देखता रह गया और बच्चा गर्व से मुस्कुराता रहा था। और तो बच्चे की जिद की सीमा ही लाँघ गयी, जब उसने चलते समय मेरे कमरे में रखा कीमती गुलदान उठा लिया।

मैंने इसका विरोध करना चाहा तो महोदय ने कहा – ‘ आप चिंता न करें। ये गुलदान हम घर पहुँचते ही नौकर से भिजवा देंगे। ‘

उनके लिए ये बात भी साधारण सी बात थी। अपने बच्चे की जिद के लिए वे कुछ भी कर सकते थे। उनके लिए सर्वोपरि था तो केवल अपने बच्चे की जिद। अपने बच्चे को वे निराश नहीं कर सकते थे।

मैंने पूछा – ‘ आप सोचते होंगे, उस बच्चे को माता-पिता बिगाड़ रहे हैं। ‘

उत्तर मिला – ‘ सिर्फ बिगाड़ ही नहीं रहे हैं, वे उसके भविष्य को अंधकारमय बना रहे हैं। ऐसे जिद्दी बच्चे व्यवहार कुशल नहीं हो सकते। ऐसे बच्चों का स्वभाव भी झगड़ालू हो जाता है। ‘

बच्चे जिद्दी क्यों हो जाते हैं?

इस प्रश्न के उत्तर में शिक्षक महोदय ने बताया – ‘ देखिए, छोटे बच्चों की यह आदत होती है कि यदि कोई वस्तु उन्हें पसंद आती है तो वो उसे पाकर ही रहते हैं और न मिलने पर रोते हैं या नाराज़ होते हैं।

माता-पिता यह सोचकर की बच्चा नाराज़ होगा, उसकी मांग पूरी कर देते हैं। लेकिन फिर रोकर अथवा नाराज़ होकर अपनी मांगों को मनवाना बच्चे का स्वभाव बन जाता है।

मान लीजिए, आप बाजार में मिठाई लेकर आते हैं। घर में एक दो बच्चे और भी हैं। आप सभी को मिठाई देते हैं। पर उसमें एक बच्चा ऐसा है जो दूसरों से अधिक मिठाई की मांग करता है और न मिलने पर नाराज़ होता है।

आप घबराकर उसे अधिक मिठाई देते हैं। बच्चा गर्व से मुस्कुराता है। इस मुस्कराहट में एक बात यह भी है कि वह आपकी कमज़ोरी पकड़ लेता है।

वह जान लेता है कि आप उसे नाराज़ नहीं कर सकते। इस प्रकार वह बार-बार नाराज़ होने का नाटक करता हो और आप उसकी माँगें मानते रहते हैं। ‘

इसके लिए माता-पिता को क्या करना चाहिए?

केवल यह कि वे अपने बच्चों से समझौता कर लें। समझौता करेंगे तो बच्चा जिद्दी बनेगा ही। पिछले दिनों एक मित्र हमारे घर आए।

फिर जब वे चलने लगे तो उनका बेटे की cycle पर जमकर बैठ गया। बच्चा उसे अपने घर ले जाना चाहता था। ऐसे में मित्र महोदय ने थोड़ा सख्ती से काम लिया और बच्चे ने जिद छोड़ दी।

मैं इस पक्ष में नहीं कि बच्चों को अकारण ही डांटा जाये और उनके साथ सख्ती से पेश आया जाए, पर बच्चा जिद्दी न बने, इसके लिए कभी-कभी ये आवश्यक भी होता है।

यहाँ उल्लेखनीय बात यह है कि ऐसे बच्चे जो आरम्भ से ही जिद्दी होते हैं, आगे चलकर अपना स्वभाव नहीं बदल पाते। माता-पिता तो जैसे-तेसे उन्हें सहन करते रहते हैं पर समाज उन्हें सहन नहीं कर पाता।

इसलिए ये बच्चे बड़े होकर क्रोधी और झगड़ालू स्वभाव के हो जाते हैं।

इसलिए ध्यान रखें – अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करे और जीवन भर व्यवहार कुशल बना रहे, तो आप उसे जिद्दी बनने से रोके और किसी भी situation में उससे समझौता न करें।