संपर्क करने का सबसे बेहतरीन ज़रिया है बात करना। अगर बात करने का ढंग पता न हो तो बड़े से बड़ा रिश्ता बिगड़ने में देर नहीं लगती चाहे वो प्यार का रिश्ता हो, पारिवारिक रिश्ता हो या फिर दोस्ती का रिश्ता हो। कब क्या बोले और किसके साथ कैसा बात करे ये जानना बेहद ज़रूरी है।
पहली बार जब हम किसी से मिलते है तो बातों से ही पता चल जाता है कि वो इंसान कैसा है, या यूँ कहें कि हमारी बोली हमारे संस्कारों का दर्पण है तो सही होगा। ये सही भी है क्योंकि आपकी बोली रिश्ते को बना भी सकती है और बिगाड़ भी सकती है। आज हम acchibaat.com पर इसी बारे में बात करेंगे और जानेंगे कि कैसे अपनी बोली को अपने काबू में रखे।
बात करने का तरीका क्या है? किसके साथ कैसे बात करें?
1. खराब बोली
कुछ लोग ऐसे भी होते है जो सिर्फ़ अपने आप में ही रहते है, वो कभी किसी के बारे में नहीं सोचते और यही वजह है कि उनकी बोली काबू में नहीं रहती। बकर-बकर करते रहते है, बेकार की बातें करते है। खराब बोली का यह परिणाम होता है कि –
- रिश्तों में दूरियाँ आने लगती है।
- कोई आपकी बातों का कदर नहीं करता।
- कोई आपकी बातों पर ध्यान नहीं देता।
- कभी-कभी खराब बोली की वजह से दुश्मनी भी मोल लेनी पड़ती है।
- आपका साथ कोई नहीं देता।
तो क्यों न अपनी बोली को सुधरा जाए।
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2. बच्चों से बात करने का तरीका
बच्चे भगवान का रूप होते है। वो वही कहेंगे जो आपने उनको सिखाया है। कुछ लोग ऐसे भी होते है जिसे देख बच्चे बड़े खुश होते है। ऐसे लोग बहुत जल्दी बच्चों का दिल जीत लेते है। क्या आप जानते है इसकी वजह क्या है? आइए जाने –
- बच्चों को प्यार-दुलार ही तो चाहिए। अगर आप बच्चों से प्यार से बातें करे तो वो भी आपसे प्यार से बातें करेंगे।
- उनके साथ ऊँची आवाज़ में बात न करे, नहीं तो वो आपको खडूस अंकल समझेंगे और सोचेंगे कि अंकल को तो बात करना ही नहीं आते।
- जब भी बच्चों से बात करे अपनी आवाज़ में कोमलता लाए। मीठी बातें किसे पसंद नही?
3. बड़ों से बात करने का तरीका
Respect या इज़्ज़त देना, यही चाहते है हमसे बड़े लोग। अगर आप अपनों से बड़ों की इज़्ज़त करते है तो वो भी आपको सम्मान देंगे।
- जब भी आप अपने से बड़ों से बात करे उन्हे सम्मान दे,’आप’ कह के संबोधित करे।
- किसी को अंकल, आंटी, भाई, बहन कहने से आदमी छोटा नहीं हो जाता, बल्कि उसकी इज़्ज़त और भी बढ़ती है।
- उनको भी बोलने का मौका दे।
- उनकी बात सुने और जितना ज़रूरी हो बोले।
4. आखिर ये बोलने की कला है क्या?
हमें बोलना किसने सिखाया? जाहिर सी बात है हमारे माता-पिता ने। हमे संस्कार अपने घरों और स्कूल से मिले। हमने बोलना सीखा और ज्ञान भी पाया, पर बोलने की कला नहीं सिख पाए। ज़्यादा ज्ञानी व्यक्ति भी अगर बोलने की कला नहीं जनता तो उसका सारा ज्ञान बेकार है।
- बोलने का ढंग सीखने के लिए अपने ज़ुबान पर नियंत्रण होना बेहद ज़रूरी है।
- किसी का सम्मान करने और संबोधित करना हमे अपने बोली पर ही निर्भर करता है।
- ताज-महल कितना सुंदर है इसका जवाब 1 वाक्य में भी दिया जा सकता है और 1000 वाक्यों में भी, कौन कैसे किस बात को व्यक्त करता है वही अहम है।
5. बोलने की कला सीखें
- जब भी बोले सोच समझ के बोले क्योंकि बोले हुए शब्द वापस नहीं आते।
- सभी को एक समान समझे, सम्मान दे।
- कभी भी अपने अंदर attitude न लाए, क्योंकि जिनके अंदर attitude होता है उनकी बोली से पता चल जाता है।
- दूसरों की बात भी सुने, तभी तो आपकी बातें लोग सुनेंगे।
ये भी जाने- चालाकी से बात कैसे करें? चतुराई से बात करने का तरीका क्या है?
nice article sir i’m also write a article plzzz read nd share it.
http://www.tecinfohindi.com/2018/03/Comunication-skill-devlopment.html
Mujhe sir logo se baate Karna acha lagta hai mujhe aur achi tarah bolna hai
Samne walo ki baato ko bhi sune or unhe bolne ka mouka de.