Bache ko adopt karna hai, bacha god kaise le, bacha adopt kaha se kare? विदेशों की तरह हमारे देश में बच्चा गोद लेने का चलन बहुत लोकप्रिय तो नहीं है, मगर अब धीरे-धीरे लोग इस ओर बढ़ रहे है। प्रसिद्ध व्यक्तियों के अलावा आम लोग भी कभी अपनी सुनी गोद भरने, तो कभी दूसरे बच्चे के लिए गोद लेने का विकल्प चुन रहे है, लेकिन ये आसान नहीं है। बच्चा गोद लेते समय आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? आइए जानते हैं।
बच्चा गोद लेना है तो इन 6 बातों को जाने और समझे: Baccha god lena hai kya kare?
1. क्यों गोद ले रहे है बच्चा?
किसी दूसरे के बच्चे को घर लाकर उसे अपने बच्चे जैसा प्यार दुलार देना आसान नहीं होता। गोद लेना सच में बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है। मगर आज कल कई कारणों से जोड़े गोद लेना को पसंद कर रहे है।
जहाँ कई लोग किसी कारण अपने बच्चा न होने पर गोद लेने का विकल्प चुन रहे है, तो कुछ जोड़े अपने परिवार पूरा करने यानि यदि लड़का है तो लड़की को गोद लेकर अपना परिवार पूरा कर रहे है।
मनोविज्ञानी के मुताबिक, परिवार पूरा करने के अलावा दूसरा बच्चा गोद लेने का एक अन्य कारण जोड़े का कामकाजी होना भी है। कामकाजी महिला के लिए दोबारा गर्भावस्था के 9 महीने और छोटे बच्चे की देखभाल बहुत मुश्किल हो जाती है। ऐसे में उनके लिए गोद लेने का विकल्प अच्छा है।
2. जब गोद लें दूसरा बच्चा
अपना बच्चा होते हुए अगर परिवार पूरा करने के लिए आप बच्चा बच्चा गोद ले रहे है, तो पहले खुद से ये सवाल करें कि क्या आप उसे उतना ही प्यार कर पाएंगे जितना अपने बच्चे को देते है? यदि आपका जवाब है हाँ, तो ही बच्चा गोद लेने का फैसला करें और पहले बच्चे को इस विषय में अच्छी तरह समझा दे।
उसे आने वाले भाई-बहन के बारे में अवश्य बताएं ताकी उसे इस बदलाव के लिए तैयार करना ज़रुरी है ताकि वो आने वाले बच्चे का ख़ुशी से स्वागत करे।
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि बच्चा 5 साल से कम उम्र का है, तो उसे तैयार करने का ये अच्छा समय है। बच्चे से कहें कि भगवान उनके लिए दोस्त भेज रहा है, वो आपका खास दोस्त है ओर आपको ही उसका ख्याल रखना होगा।
दरअसल, गोद लिए हुए बच्चे के प्रति माता-पिता को ज़्यादा संवेदनशील होना पड़ता है। अपने पहले बच्चे को गोद लिए हुए बच्चे के बारे में सहजता ओर सरलता के साथ सबकी मौजूदगी में ही बताएँ, जिससे उनके बीच मान-मुटाव या मतभेद की संभावना न पैदा हो।
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3. संतुलन बनाना ज़रूरी है
अगर आपकी कोई औलाद नहीं है और आप बच्चा गोद ले रहे है, तो आपको सिर्फ़ उस पर ही पूरा ध्यान देना होता है, मगर आप यदि दूसरा बच्चा गोद ले रहे है, तो दोनो की परवरिश चुनौतीपूर्ण हो जाती है।
दूसरे बच्चे के आने के बाद दोनो बच्चों के बीच संतुलन बनाए रखना बेहद मुश्किल होता है। ऐसे में माता-पिता होने के नाते आपका फर्ज़ बनता है की दोनो को समान प्यार दे। किसी एक की तरफ ज़्यादा लगाव दोनो में दूरियाँ पैदा कर सकता है।
गोद लिए बच्चे की ओर ज़्यादा ध्यान देने से पहला बच्चा अपेक्षित महसूस करने लगता है । मनिवेज्ञानिक के मुताबिक, अक्सर माता-पिता अपने बच्चे के प्रति ज़्यादा आलोचनात्मक और कठोर होने लगते है ताकि गोद लिए बच्चे को किसी बात का बुरा न लगे, मगर इस चक्कर में उनका पहला बच्चा धीरे-धीरे उनसे दूर होने लगता है। इसलिए बहुत ज़रूरी है की दोनो बच्चों को एक ही तरह से देखभाल करें।
4. हर पहलू को परखे
किसी भी जोड़े के लिए ये बहुत ज़रूरी है कि गोद लेने से पहले वो इससे जुड़े हर पहलू को अच्छी तरह परख ले। किसी बच्चे को गोद लेना बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है और निभाने में पूरे परिवार का योगदान होता है। बच्चे को माता-पिता के साथ ही परिवार के अन्य सदस्यों का भी प्यार, साथ, लगाव और अपनापन चाहिए।
यदि परिवार का कोई भी सदस्य उनके साथ रुख व्यवहार करता है तो बच्चे के कोमल मान को ठेस पहुँच सकती है। इसलिए पहले ये सुनिश्चित कर ले की क्या आपके गोद लेने के फ़ैसले से परिवार वाले सहमत है, वो नये को अपनाने के लिए तैयार है? यदि हाँ , तभी आगे बढ़े, वरना आपके परिवार के साथ ही उस बच्चे की जिंदगी भी मुश्किल हो जाएगी।
5. बदली है सोच
बच्चा न होने पर आम लोगों में गोद लेने का चलन पहले लोकप्रिय नहीं था। कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो घर के बड़े-बुजुर्ग इस बात के लिए राज़ी नहीं होते थे, मगर धीरे-धीरे ये सोच बदली है। अब लोग खुद का बच्चा न होने पर गोद लेने का विकल्प चुनकर अपने अधूरे परिवार को पूरा कर रहे है।
बॉलीवुड अभिनेत्री सुष्मिता सेन ने दो बेटियों को गोद लेकर एक मिसाल कायम की है। उनके इस कदम ने कई लोगों को प्रेरित किया।
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6. गोद लेने से पहले रखिए इन बातों का ध्यान
- यदि दूसरा बच्चा गोद ले रहे है, तो ध्यान रखिए की बच्चों के बीच उम्र का अंतर कम हो। हमउम्र होने पर आपसी तालमेल आसानी से बन जाती है।
- घर का माहौल ऐसा रखिए की बच्चा आसानी से वहां घुल-मिल सके, अक्सर बड़ी उम्र के बच्चे नये घर-परिवार और माहौल में जल्दी सेट नहीं हो पाते।
- प्यार-लगाव के साथ ही उन पर विश्वास भी रखिए, तभी वो नये परिवार में जल्दी adjust हो पाएँगे।
- बड़ी उम्र के बच्चे का सोचने-समझने और दुनिया को देखने का अपना नज़रिया होता है, जिससे उनके लिए नये माहौल और परिवेश में ढालना मुश्किल हो जाता है। इसलिए विशेषज्ञ हमेशा कम उम्र के बच्चों को गोद लेने की सलाह देते है।
क्या है बच्चा गोद लेने का कानून?
कई पति-पत्नी बच्चे के लिए तरस जाते हैं। किसी वजह से अगर उन्हें बच्चा नहीं होता, तो बच्चा गोद लेने का कानून भी है। बच्चा न होने का कारण सिर्फ महिला ही नहीं होती। पति या पत्नी दोनों की किसी शारीरिक कमी के कारण यह हो सकता है। ऐसी हालत में केवल महिला को दोषी ठहराना अनुचित है।
अगर पति-पत्नी चाहें तो बच्चा गोद ले सकते हैं। इससे जुड़े कानून को ‘ Hindu Adoption और Maintenance Act 1956 ‘ कहते हैं। एक शादीशुदा दंपति इस कानून के तहत बच्चा गोद ले सकता है।
एक विधवा या तलाक़शुदा औरत भी बच्चा गोद ले सकती है। यहाँ तक कि बच्चा गोद लेने के लिए लड़की का शादीशुदा होना भी जरूरी नहीं। एक बालिग लड़की या लड़का बच्चा गोद ले सकता है। कानून की निगरानी में परिवार के सदस्य बच्चा गोद दे सकते हैं। बच्चा अनाथालय या सरकारी मान्यता प्राप्त संस्था से गोद लिया जा सकता है।
बच्चा गोद लेने और देने में लेने वाले की माली हालत देखी जाएगी। उसके क़ानूनी कागज़ात बनाए जाएंगे। अदालत के जरिए बच्चा गोद लिया और दिया जाएगा।
गोद लिए बच्चे को वे सभी अधिकार मिले हैं जो माँ के पेट से जन्मे बच्चे को सहज प्राप्त होते हों।
बच्चा गोद लेने का यह कानून हिन्दू धर्म के लोगों पर लागू होता है।
ईसाई और मुसलमानों के लिए गोद लेने के कानून के तहत वे बच्चा गोद ले सकते हैं, पर वे ‘ संरक्षण ‘ के रूप में ही गोद ले सकते हैं। 21 वर्ष की आयु के बाद बच्चा आज़ाद हो सकता है। इस कानून को ” Guardians And Wards Act, 1890 ‘ कहते है। इसमें गोद लेने वाले पालक ही होंगे, माँ-बाप नहीं।