मैंने ये सवाल अपने एक दोस्त से किया तो इस सवाल पर अपनी जवाब देते हुए वह बोला- “आपको पूछना चाहिए था कि मैं अपने बच्चे को क्या बनाना चाहता हूं। मैं उसका पिता हूं, उसकी ज़िम्मेदारी मुझ पर है। इसलिए उसके भविष्य का लक्ष्य तो मुझे ही निर्धारित करना है।”
अपने बच्चों के बारे में ज्यादातर माता-पिता यही सोचते है। वे सोचते है कि बच्चे उनकी जागीर है, उनका वर्तमान और भविष्य उनकी मुट्ठी में है। इसलिए उनके बच्चों को वही बनाना चाहिए जो वह बनना चाहते है।
मैं इस धारणा से सहमत नही।
मेरा विचार है कि इस संदर्भ में बच्चे की इच्छा सर्वोपरि होनी चाहिए। आपको उससे पूछना चाहिए कि वह अपने जीवन में क्या बनना चाहता है। आप उसे अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करने दे।
हो सकता है आप मेरे इस सुझाव से सहमत ना हो। हो सकता है आप यह कहे की बच्चों में इतनी समझदार कहा होती है कि वे अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर सकें। अभी वे छोटे है। अभी तो हमें ही उनका मार्गदर्शन करना है और उन्हे यह बताना है की उन्हे क्या बनना है।
अगर आप ऐसा सोचते है तो मैं कहूँगा कि आप अपने बच्चे के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे है। बच्चे ने कुछ बनना चाहा और माता-पिता ने उसे कुछ ओर बनाया। इसका परिणाम यह हुआ कि बच्चा किसी भी क्षेत्र में सफल ना हो सका।
कारण स्पष्ट है – बच्चा जो कुछ बनना चाहता है, उसमे उसकी रूचि भी थी, उत्साह भी था और उस क्षेत्र के साथ उसकी भावनाएं भी जुड़ी थी। लेकिन आप उसे जो कुछ बनाना चाहते है, उसमे आपका स्वार्थ छिपा है और आपकी खुद की उम्मीद छिपी है। आप उस पर अपनी उम्मीद लाद देते है। बच्चे की उम्मीद से आपका कोई संबंध नही रहा, इसलिए बच्चा उस क्षेत्र में सफल ना हो सका।
मैने जब इस संबंध में एक पिता से बात की तो उन्हे भी मेरा सुझाव पसंद ना आया। वह बोले – मैं बच्चों को स्वायत्त (autonomy) देने के पक्ष में हूं। हमे उन्हे यह अधिकार देना चाहिए कि वे अपने ढंग से जिए और अपने जीवन का मार्ग खुद सुनिश्चित करे। मैं ऐसा हूं लेकिन मेरी एक समस्या है।
वह क्या?
मेरा बेटा इंजीनियर बनना चाहता है लेकिन वह पढ़ाई में उतना अच्छा नही है। वह उतने अंक से पास नही होता। जबकि इंजीनियर बनने के लिए बच्चे का अच्छे अंकों से पास होना बहुत जरूरी होता है।
क्या आपका बच्चा पढ़ने से जी चुरता है?
बिल्कुल नही। मैंने देखा है की वह मन लगाकर पढ़ता है। वह खेल-कूद में भी अपना समय बर्बाद नही करता।
फिर तो आपको उसे इंजीनियर नही बनाना चाहिए।
यह संभव है, मुझे विश्वास है कि वह इंजीनियर नही बन सकता।
यह आपका विश्वास है, किंतु बच्चे का आत्मविश्वास?
मैं उसके आत्मविश्वास को भी मूर्खता पूर्वक पूरा ही करूँगा। हालाँकि उसे पूरा विश्वास है कि वह इंजीनियर बन सकता है और जब मैं उसके सामने अपना नकारात्मक विचार रखता हूँ वह नाराज़ होता है। लेकिन फिर भी मैं उसके फैसले को मूर्खता पूर्ण ही मानता हूँ।
आपकी सिर्फ ये समस्या है कि आपका बच्चा अच्छे अंकों से पास नही होता। लेकिन आप ये क्यों नही सोचते कि इसके पीछे और भी कई कारण है। जैसे – उसे अपने स्कूल का वातावरण पसंद ना हो। या फिर उसके शिक्षक उतने काबिल एवं ईमानदार ना हो।
हाँ, इस प्रकार की शिकायत तो वह बार-बार करता है।
फिर तो मेरा सुझाव है कि आप उसके सपनों को ना तोड़े और उसे खुद ही अपने भविष्य के विषय में सोचने दे।
मेरे सामने एक उदाहरण ऐसा है, जिसमे बच्चा लेखक बनना चाहा और माता-पिता ने उसे पायलट बना दिया। आज वह बच्चा पायलट है, लेकिन किसी प्रकार भी खुश नही है।
उसका कहना है कि मुझे कल्पना की उड़ान अच्छी लगती है, वास्तविक उड़ाने नहीं। वह लिखना चाहता है। उसका मन करता है कि वह लिखें और लिखता रहे। लेकिन समस्या यह है कि आज उसके पास उतना समय नही है।
हमसे वह गंभीर हो जाता है और कहता है – माता-पिता को अपने बच्चे की उम्मीदों एवं भावनाओं को ज़रूर समझना चाहिए। बच्चा उसी क्षेत्र में महारत हासिल कर सकता है, जिसमे वह रूचि रखता है।
ऐसे व्यक्तियों की पीड़ा को आप भी भली भाती समझ सकते है।
लेकिन ज्यादातर माता-पिता, जो बच्चों को अपनी संपत्ति समझते है, जो ये समझते है कि बच्चों को उनके अधूरे सपनों को पूरा करना ही चाहिए, प्राय बच्चों का भविष्य बिगाड़ देते है।
अगर आपका बच्चा पढ़ाई में तेज है और प्राय उसे अच्छे अंक नही मिल पाते तब भी आप परेशान ना हों। जीवन में सफल होने के लिए अच्छे अंकों से पास होना अथवा पढ़ाई में तेज होना बिल्कुल जरूरी नही है। इस दुनिया में ऐसे अनेक व्यक्ति हुए है, जो ना तो पढ़ाई में तेज थे और ना ही अच्छे अंकों से पास होते थे, फिर भी वे जीवन में सफल रहे।
आप अपने बच्चे की शौक देखें ओर उससे पूछे कि वह अपने जीवन में क्या बनना चाहता है। हो सकता है, उसकी आदतों का आपकी उम्मीदों से कोई संबंध ना हो।
हो सकता है, उसका फैसले आपको अच्छा ना लगे। फिर भी आप दुखी ना हो। बच्चे की उम्मीद जानकार उसे प्रोत्साहित करें और पूरा-पूरा सहयोग दें।
आपके सहयोग से उसके हुनर को बल मिलेगा। उसे प्रसन्नता होगी और वह तेजी से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ेगा।
फिर आप देखेंगे। आने वाला समय बताएगा कि बच्चे ने अपने जीवन का जो लक्ष्य निर्धारित किया था, वह कितना अच्छा था।