जहाँ चाह है वहाँ राह है- निबंध

चाह का मतलब है – प्रबल इच्छा या महत्वाकांक्षा। मानव-शक्ति की कहीं-न-कहीं सीमा होती है। इसलिए मनुष्य जितना सोच सकता है, उतना कर नहीं सकता। उसकी सारी इच्छाएं कभी पूरी नहीं हो सकती। उसकी वे इच्छाएं ही पूरी होती हैं जिनके पीछे उसके मन की शक्ति होती है। जब आदमी की चाहत उसका इरादा बन […]

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मेरे प्रिय शिक्षक (अध्यापक)- निबंध

मेरे प्रिय शिक्षक (teacher)- निबंध, Hindi essay: अपने छात्रजीवन में मुझे अनेक शिक्षकों से स्नेह तथा मार्गदर्शन मिला है, लेकिन इन सबमें सुरेंद्र शर्मा मेरे प्रिय अध्यापक रहे हैं। सचमुच, उनके जैसा अपार ज्ञान, असीम स्नेह और प्रभावशाली व्यक्तित्व बहुत कम अध्यापकों में पाया जाता है। शर्माजी का कद लंबा और रंग गोरा है। उनकी

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विज्ञान- वरदान या अभिशाप? निबंध

आज का युग विज्ञान के आविष्कारों और चमत्कारों का युग है। जीवन के हर एक क्षेत्र में विज्ञान ने क्रांति कर दी है। बिजली की खोज विज्ञान की एक बहुत बड़ी सिद्धि है। बिजली आज हमारा भोजन पकाती है, कमरा साफ करती है, पंखा चलाती है, प्रकाश देती है। अनेक कारखाने उसी की उर्जा से

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मेरा प्रिय त्योहार- निबंध

मेरा प्रिय त्योहार- निबंध, Hindi essay: होली, दिवाली, रक्षाबंधन, दशहरा आदि हमारे मुख्य त्योहार हैं। इन त्योहारों में रक्षाबंधन का त्योहार मुझे अधिक प्रिय है। यह त्योहार भाई-बहन ने शुद्ध और निस्वार्थ प्रेम का प्रतिक है। भाई-बहन के पवित्र प्रेम के साथ ही इसमें जो सादगी है, वह दूसरे किसी त्योहार में नहीं है। दिवाली

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विज्ञापन से लाभ है या हानी? निबंध

विज्ञापन से लाभ है या हानी? Hindi essay: आधुनिक दुनियाँ को विज्ञान का युग भी कहा जाता है। लेकिन अब ये विज्ञापन युग (advertisement era) भी बन गया है। Radio, TV, News paper और magazines – सब में विज्ञापन ही विज्ञापन नजर आते हैं। नगरों की दीवारें ही नहीं, गाँवों की दीवारें भी विज्ञापनों से

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मेरा प्रिय खेल- निबंध

मेरा प्रिय खेल- निबंध, Hindi essay: बचपन से ही मैं खेल-कूद का शौकिल रहा हूँ। हॉकी, बैडमिंटन, क्रिकेट, कबड्डी आदि सभी खेलों में मुझे दिलचस्पी है, किंतु इस तमाम खेलों में क्रिकेट का खेल मुझे अधिक प्रिय है। आज सारा विश्व क्रिकेट को ‘खेलों का राजा‘ मानता है। क्रिकेट ने लोगों के दिलों को जित

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एक पंछी की आत्मकथा

एक पंछी की आत्मकथा, Hindi essay: आपको अचरज होगा कि पिंजड़े का एक पंछी भी अपनी राम कहानी सुनाना चाहता है। अरे भाई! क्या मैं कोई निर्जीव खिलौना हूँ? मेरे शरीर में भी एक धड़कता हुआ दिल है। मैं भी सुख-दुख का अनुभव कर सकता हूँ। मेरा जन्म एक घने जंगल में हुआ था। मेरी

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बचपन के दिन कितने सुहाने होते है- निबंध

बचपन के दिन कितने सुहाने होते है- निबंध, Hindi essay: बचपन, जवानी और बुढ़ापा – जीवन की इन तीनों अवस्थाओं में बचपन सबसे प्यारी अवस्था है। जिस तरह सुबह सुहावनी होती है, उसी तरह बचपन भी बड़ा मधुर और सुहावना होता है। बचपन में किसी बात की चिंता नहीं होती। जिम्मेदारी नाम की चीज का

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सब दिन एक जैसे नहीं होते- निबंध

समय का पहिया बड़ी तेजी से घूमता रहता है। उसी के साथ जीवन में भी परिवर्तन होता रहता है। इसलिए यहाँ किसी के सब दिन समान नहीं होते। वनों-बागों में भी वसंत की बाहर आती है, तो कभी पतझड़ की मायूसी। कभी धरती ग्रीष्म के ताप से विकल होती है, तो कभी बारिश में शांति

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श्रम का महत्त्व- निबंध

श्रम का महत्त्व- निबंध, Hindi essay: श्रम का अर्थ है मेहनत। लगन और मेहनत से अपना काम करना ही श्रम कहलाता है। श्रम ही जीवन क आधार है और विकास की पहली शर्त है। श्रम सफलता की कुंजी है। अंग्रेजी में कहते है – Work is worship. सचमुच काम ही ईश्वर की सच्ची पूजा है

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