ये बात कुछ अटपटी सी लगती होगी कि कामयाब बनना है तो पहले बेहरे बनो, मतलब सुनो नहीं। जी हाँ जब हम किसी positive advice को सुनते हैं तो हम motivate होते है लेकिन जब हम किसी negative advice को सुनते है तो हम demotivate होते हैं।
इसलिए जब आपको कोई negative advice दे तो बेहरा बनो। इसे अच्छे से समझने के लिए आइए एक कहानी सुनते हैं –
एक जंगल में दो मेंढ़क (frog) चल रहे होते हैं, अचानक आगे एक खाई आती है। वे दोनों उस खाई में गिर जाते हैं। गिरने के बाद वो दोनों कोशिश कर रहे हैं बाहर निकलने की, कूद कर रहें हैं। पत्तों के साथ, मिट्टी के साथ रगड़ खा रहे हैं खून निकल रहा है लेकिन वे दोनों कोशिश कर रहे हैं बहार निकलने की।
देखते ही देखते ऊपर में 5- 6 मेंढ़क जमा हो जाते हैं, और उन दोनों मेंढकों को सलाह देनी शुरू करते हैं और कहते हैं – बस कर भाई खाई बहुत गहरी है, तुम नहीं निकल सकते।कोशिश करना बेकार है, उछल-उछल के अपने आपको घायल मत करो, तड़प-तड़प के मरने से अच्छा है आराम से बैठ जाओ और शांति की मौत मर जाओ।
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उन दोनों मेंढकों में से एक मेंढ़क शांत हो जाता है और रुक जाता है कि अब कोशिश नहीं करना, पर दूसरा मेंढ़क और जोर से कोशिश करनी शुरू करता है। और जोर से कूदना शुरू कर देता है। ऊपर खड़े मेंढक और परेशान हो जाते हैं। क्योंकि किसी की सलाह न मानो तो लोग परेशान होते ही है।
कितनी बार कहूं तुझे? इतनी दर्द भरी मौत क्यूँ मरना चाहता है? रुक जा, मत कूद।
पर वो दूसरा मेंढ़क नहीं मानता है, और ओर जोरसे झालंग लगाना शुरू कर देता है।
फिर से बाहर खड़े मेंढ़क उसे डांटते है कि तू ये नहीं कर सकता, बेकार में क्यों तू इतनी दर्द भरी मौत चाहता है? रुक जा।
लाख मना करने के बाद भी वो मेंढ़क नहीं माना, उसने अपनी कोशिश जारी रखी।
बहार खड़े मेंढकों ने बार-बार उसे रोकना चाह पर जितनी बार उन्होंने उसे मना किया उतनी ही वो मेंढक ओर जोर से, अपनी पूरी ताकत से कूदता रहा। और देखते ही देखते वो मेंढ़क उस खाई से बाहर आ गया। और दूसरा मेंढ़क नीचे ही रह गया।
अब सबको परेशानी होने लगी कि इसने हमारी सलाह क्यों नहीं मानी? इसने हमारी सलाह क्यों नहीं मानी? ये हमारे हिसाब से क्यों नहीं चला? तो उसके पास जाते है ये जानने के लिए कि ऐसा क्या था उसके दिमाग में?
उससे बात करने की कोशिश करते हैं, जब बात करते हैं तो पता चलता है कि जो मेंढ़क कूद के बहार आया वो मेंढ़क बेहरा था, वो सुन नहीं सकता था।
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जब मेंढ़क उसको discourage कर रहे थे, जोर-जोर से चिल्ला रहे थे कि तू नहीं कर सकता, तेरे बस की नहीं है तब उस मेंढ़क को लग रहा था कि उसको encourage किया जा रहा है, हौसला दे रहे है। इसलिए वो और जोर से कूद रहा था। मेंढ़क कह रहे थे कि मत कर – मत कर, और उसको लगता था की वो कह रहे है – कर, तू कर पाएगा, तू कर पाएगा।
जब आस-पास की negativity तंग करे तो ऐसे लोगों के आगे बेहरा होना ही अच्छा है। हर achiever, हर कामयाब लोगों को देख लो, जितना वे बेहरा हुआ negativity के आगे उतना वो grow किया।
ये चीज हमारे साथ भी होती है, negativity आएगी आपको रोकेगी, लोग डरायेंगे, लोग रोकेंगे-टोकेंगे, situation irritate करेगी, कदल बार-बार डगमगायेंगे लेकिन हमे चलते रहना होगा, हमे बढ़ते रहना होगा।
People will rate you.
People will hate you.
People will shake you.
People will break you.
But it is you who is going to make you.
हर किसी को रोका गया था —
- Steve Jobs को उसकी अपनी कंपनी से निकाला दिया था कि तू अच्छा लीडर नहीं है और उन्होंने निकल के दो company खड़ी कर दी NEXT और PIXAR. अगर वो उनके आगे बेहरा नहीं होते, उनकी मान लेते तो वो रुक जाते।
- लोगों ने कहा लड़कियों के बस की नहीं है Boxing करना। और कंगेथाई गांव मणिपुर के छोटे से गांव से निकलकर Mary Kom ने 5 world championship जीती क्योंकि वो लोगों के आगे बेहरी हो गई थी।
- Dhirubhai Ambani 150 रूपए महिना कमाते थे, कहते थे कि कड़ोरो रूपए की जायदाद खड़ी करूँगा। लोगों ने कहा ‘ पागल हो गया है ‘। लेकिन बेहरा होना ही बेहतर था उनके लिए।
- Boman Irani ने 44 year की उम्र में acting career शुरू किया। लोगों ने discourage किया, 44 साल की उम्र में acting।
- Nawazuddin Siddiqui UP के छोटे से गांव से निकले, लोगों ने कहा तेरे looks में glamour नहीं है। वो बेहरे हो गए। जिगर में दम होना चाहिए looks में glamour हो या न हो।
- Rameshwaram का लड़का अख़बार बेचता था घर-घर में जा के। उसने कहा कि मुझे scientist बनना है। लोगों ने कहा छोटे शहर में सपने छोटे ही होने चाहिए और वो निकले APJ Abdul Kalam जो India के one of the best scientist बने और president बने।
- क्योंकि शहर छोटे होने से फर्क नहीं पड़ता, सपने छोटे नहीं होने चाहिए।
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हर मंजिल होगी अपनी एक ऐसे सफर का इरादा कर लो।
न हारेंगे हौसला उम्र भर खुद से ये वादा कर लो।
Don’t Let Others Define You.
Be Deaf To Their Negativity,
DEFINE YOURSELF