माता-पिता को हमेशा शिकायत करते हुए देखा गया है कि उनके बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है। ये सच में सोचने वाली बात है। किसी बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है, इसके कई कारण हो सकते है।
जैसे- बच्चों में सुरक्षा और स्नेह का अभाव, माता-पिता द्वारा उनपर कड़ा व्यवहार रखना, बच्चों का स्कूल के वातावरण में फिट न होना, आत्मविश्वास की कमी यदि।
बच्चों की क्षमता, योग्यता और बुद्धि स्तर के अनुसार विषय का चुनाव नहीं हो पता है, तो उसकी सकती का गिरावट होता है।
साथ ही आंतरिक प्रेरणा और दिलचस्पी के अभाव में बच्चे पढ़ाई की और मन को एकाग्र नहीं कर पाते है।
टीचर द्वारा उचित शिक्षण विधि को न अपनाएं जाने से भी बच्चों का मन पढ़ाई से ध्यान हटने लगता है। इसलिए कुछ बातों का ध्यान रखे ताकि बच्चे अपनी पढ़ाई में दिलचस्पी दे।
ऐसा क्या करे कि बच्चे पढ़ाई में अपना ध्यान लगाए
1. सिर्फ़ स्कूल भेजकर अपना ज़िम्मेदारी ख़तम न समझे
माता-पिता को अपने ज़िम्मेदारी ख़तम, इस बात से नहीं समझ लेना चाहिए कि उन्होने बच्चे को स्कूल में अड्मिशन करा दिया है।
अगर वो बच्चे में पढ़ाई के प्रति लगन और दिलचस्पी विकसित नहीं कर पाएँगे, तो बच्चे पढ़ाई में मन नहीं लगा पाएँगे। इसलिए ये ज़रूरी है कि उनकी पढ़ाई कि उन्नति को नियमित रूप से देखा जाए।
कभी-कभी बच्चे कुसंगति के कारण स्कूल न जाकर अपना समय कही और गुज़ारने लगते है।
इसलिए माता-पिता को चाहिए कि वो समय-समय पर जानकारी प्राप्त करते रहे कि उनका बच्चा स्कूल में नियमित रूप से जाता है या नही।
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2. बच्चों को पढ़ाई के प्रति जागरूक करे
बच्चों को योजना-पूर्ण तरीके से पढ़ाई के प्रति जागरूक बनाए और उनमें मजबूत संकल्प का विचार उत्पन्न करे। पढ़ाई में पड़ने वाले बाधा से बच्चों को बचाना का प्रयास करे।
बच्चों को संकोच से दूर रखे, जिससे वे अपनी बात को खुलकर आपसे कह सके।
ऐसा न करने से बच्चे समस्याओं से घिरे रहकर तनावपूर्ण हो जाएँगे और तनाव की स्तिथि में उन्हे पढ़ाई के प्रति ध्यान केन्द्रित करने में दिक्कत होगी।
3. बच्चों के लिए समय निकाले
बच्चों को समय दीजिए, उनके होम-वर्क को पूरा करने में मदद कीजिए।
माता-पिता बच्चों की गति-विधि को जानने का प्रयास करे, उनकी उन्नति और समस्याओं को सुलझाने के लिए उनके स्कूल से संपर्क बनाए रखना चाहिए।
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4. बच्चों को discourage न करे
बच्चों को कभी नज़रअंदाज़ न करे। उनमें हमेशा जागरूकता का विकास करे। बच्चों में संवेदनशीलता का विकास करके उन्हे खुद फैसला लेने योग्य बनाना चाहिए।
अगर आपके बच्चों में पढ़ाई को लेकर चिड़चिड़ापन है, तो उसे कभी discourage न करे, और उत्साहजनक रूप से सहयोग देकर उनके पिछड़ेपन को दूर करे।
प्रेम, सहयोग और सहानुभूति द्वारा उसे पढ़ाई के प्रति प्रोत्साहित करना अच्छा होगा।
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5. बच्चों के दोस्तों को जाने
बच्चों के दोस्तों पर भी खास नज़र रखे। देखे कि वो कुसंगति में तो नहीं पड़ गये। उन्हे ज़्यादा सुरक्षा न दे, क्योंकि इससे उनमें दूसरों पर निर्भरता का विकास होगा।
अच्छी पढ़ाई के लिए समय-समय पर उनकी तारीफ भी करे, इससे उनमें पढ़ाई के प्रति लगन का विकास होगा।
6. बच्चों की समस्याओं का कारण समझे
बच्चों के होम-वर्क और विकास के लिए सही जगह और समय देना चाहिए। याद रहे, पढ़ाई के समय उनसे घर का काम न करवाए और अन्य विषय पर बातें करके उनका ध्यान न भटकायें।
टाइम-टेबल के अनुसार बच्चों को पढ़ने के लिए कहे।
पढ़ाई से संबंधित किताबें दिलवाने में देर न करे, नहीं तो बच्चा होम-वर्क करने में असमर्थ रहेगा। होम-वर्क न करने पर आपका बच्चा क्लास में पनिशमेंट भी पा सकता है।
ऐसी स्तिथि में पढ़ाई से उसका मन हट सकता है। बच्चों में पढ़ाई के प्रति डर पैदा न होने दे।
यदि बच्चा पढ़ाई से जी चुराता है तो उसे सजा न दे। उसे समझाएं और पढ़ाई के प्रति रूचि विकशित करने में उसकी मदद करे।
7. तुलना न करे
समझदार बच्चों से कभी भी अपने बच्चों कि तुलना न करे, ऐसा करने से उनके अंदर हिन भावना उत्पन्न होती है।
स्कूल की एक आकर्षक कल्पना उसके अंदर संजोए, जिससे वह स्कूल से भागने का प्रयास न करे।