Bhag Ke Shadi Kaise Kare?
भाइयों और बहनों! ऐसा बहुत लोगो के साथ होता है कि वह जिनसे शादी करना चाहते हैं, उनके फैमिली वाले उनसे उनकी शादी करवाना नहीं चाहते हैं। इसीलिए हम उन भाई बहनों के लिए आज की जानकारी लेकर आए हैं, जो शादी तो करना चाहते हैं, लेकिन अपनी फैमिली वालों के कारण शादी नहीं कर पाते हैं।
ऐसा बहुत से जोड़ों के साथ होता है, जो शादी तो करना चाहते हैं लेकिन शादी करने के क्या प्रोसेस है, नहीं जानते हैं। और पता ना होने के कारण शादी करने के इस ख्याल से डरते हैं और कभी कुछ जोड़ो को शादी करके भी बाद में बहुत तरह के Problems का सामना करना पड़ जाता है।
तो आइए जानते हैं, कि अगर आपके पैरेंट्स राजी नहीं है और आप शादी करने का फैसला ले चुके हैं तो, आप विवाह कैसे करें। लेकिन इस विषय में जानकारी देने से पहले हम आप सभी को एक निजी सलाह देना चाहते हैं कि आप लोग जब भी शादी करें तो कोशिश करें कि इसमें अपने माता-पिता की मर्जी शामिल हो।
क्योंकि अपने बच्चों की शादी करना हर माता-पिता का सपना होता है और हमें कोई अधिकार नहीं उनके उस अनमोल सपने को इस तरह तोड़ने का इसीलिए अगर आपको किसी से प्यार हो ही गया है तो हर संभव प्रयास करें कि आपके पेरेंट्स मान जाए और आपके शादी में उनका आशीर्वाद शामिल हो। लेकिन अगर परिस्थिति अधिक बदतर हो जाए तो भाग कर शादी करने के लिए इन तरीकों को अपना सकते हैं-
भाग के शादी कैसे करें? उपाय और सुझाव– Bhag Ke Shadi Kaise Kare?
1. आर्य समाज मंदिर में विवाह करें
आर्य समाज मंदिर में जो भी विवाह होते हैं। वह सभी हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत कराए जाते हैं। आर्य मंदिर वाले, ऐसे ही नहीं, बल्कि वह आमतौर पर विवाह की पंजीका रखते हैं और विवाह का प्रमाण पत्र भी जारी करते हैं।
और किसी भी युवक-युवती को विवाह के बंधन में बांधने से पहले कई तरह की जानकारीया भी लेते हैं जैसे, दोनों पक्ष विवाह के योग्य है कि नहीं या विवाह दोनों की पूर्ण सहमति से हो रही है कि नहीं इत्यादि।
आर्य समाज में वही विवाह कराए जाते हैं जो कानूनी तौर पर पूरी तरह वैध होता है। यही नहीं बल्कि आर्य समाज के मंदिरों में युवक-युवतियों की आयु की जानकारी के लिए प्रमाण पत्र भी देखे जाते हैं।
इसके अलावा यह भी देखा जाता है कि उनमें से कोई विवाह के लिए अयोग्य तो नहीं। यानी कि आर्य समाज मंदिर में किसी को भी विवाह के बंधन में बांधने से पहले आवश्यक सारी जानकारी हासिल की जाती हैं।
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उम्र सीमा
अगर आप आर्य समाज मंदिर में शादी करना चाहते हैं। तो अगर आप यूवती हैं, तो आपकी उम्र 18 साल से कम नहीं होनी चाहिए और अगर आप युवक हैं तो आपकी उम्र 21 साल से कम नहीं होनी चाहिए। अन्यथा आर्य मंदिर में आपकी शादी नहीं हो पाएगी।
यही नहीं बल्कि कहीं भी यह माना जाता है कि शादी के लिए लड़की की उम्र 18 साल और लड़कों की उम्र 21 साल से नीचे नहीं होनी चाहिए।
क्योंकि इससे छोटी उम्र के युवक-युवती नाबालिक माने जाते हैं और बालिक होने से पहले विवाह कराना अवैध यानी कि गैरकानूनी होता है। हालांकि यह पहले नहीं था। लेकिन कुछ सालों से सरकार ने इसे गैरकानूनी घोषित किया है।
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2 दिन पहले करें आवेदन
अपने आयु का प्रमाण के रूप में अपना डेट ऑफ बर्थ सर्टिफिकेट या फिर दसवीं की कोई भी सर्टिफिकेट आप दे सकते हैं।
जिससे प्रूफ हो सके कि आप बालिक हैं और विवाह करने योग्य है। इसके अलावा आपके साथ दो गवाह होने चाहिए।
आर्य मंदिर में शादी करने के लिए 2 दिन पहले ही आवेदन पत्र भरना होता है और उसके साथ डेट ऑफ बर्थ यानी जन्म प्रमाण पत्र अटैच करा कर जमा कराना होता है।
इस तरह मंदिर में विवाह कराने से पहले पूर्ण जानकारी लेकर सभी तरह के औपचारिकताओं को पूरा किया जाता है और आवेदन करने के 2 दिन बाद शादी कराई जाती है।
आज की परिस्थिति
आज के दौर में इस तरह से विवाह करना थोड़ा मुश्किल हो गया है। क्योंकि आजकल की युवक और युवतियां किशोरावस्था पार करते ही घर छोड़ देते हैं और विवाह के बंधन में बंध जाते है।
ऐसे में आर्य समाज मंदिर विवाह तो करा देते हैं जो कानूनी तौर पर वैध भी होता है, लेकिन ऐसी शादियां आने वाली परिस्थितियों में समाज और लोगों के लिए परेशानी का कारण बनती है।
इसी कारण 2013 में हाईकोर्ट ने, ग्वालियर ज्ञानपीठ ने इस मामले में सुनवाई के दौरान आर्य समाज मंदिरों के लिए एक गाइडलाइन तैयार किया था।
इससे होने वाली परेशानियों के कारण ही हाईकोर्ट ने ऐसी शादियों के नियम को अब थोड़ा कठिन कर दिया हैं और इसी कारण आर्य समाज पद्धति से विवाह करना आसान नहीं होता है।
अब आर्य मंदिर में विवाह करने से 6 दिन पहले युवक और युवती के परिवारवाले को सूचना देनी होती है और इसी के साथ उन्हें भी विवाह से संबंधित जानकारीआ देनी होती है।
शादी कराने से पहले युवक-युवती से लिखित स्वीकृति लेनी होती है और साथ ही यह भी सुनिश्चित कर लेना होता है, कि शादी के समय युवक युवती की ओर से पांच-पांच परिजन मौजूद रहेंगे।
यानी कि लड़की के तरफ से पाच परिजन और लड़के वालों की तरफ से भी पाच परिजन होने चाहिए।
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अदालत ने इस आदेश की कॉपी को थाने में चिपकाने का भी आदेश दिया है। यह नया आदेश भारत के मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान में लागू हो चुका है।
आर्य समाज मंदिर में शादी करने के तुरंत बाद ही आपको शादी का प्रमाण पत्र मिल जाता है।
फिर उसके दो-तीन दिन बाद आप हिंदू मैरिज एक्ट के तहत अपनी शादी को रजिस्टर करा सकते हैं। इसके बाद आपके शादी को कोई खारिज नहीं कर सकता है। वह कानूनी तौर पर लागू यानी कि मान्य हो जाएगा।
अगर कोई आपके शादी के खिलाफ कोई मामला भी दर्ज कराना चाहे तो वह मामला खारिज हो जाएगा।
मुस्लिम निकाह प्रथा
अगर कोई मुस्लिम लड़की 15 वर्ष या उससे ज्यादा उम्र की है।
और वह लड़की शारीरिक रूप से बालीक है तो वह शादी कर सकती है। ऐसी शादी को अवैध नहीं कहा जाता है।
मुस्लिम law के अंतर्गत निकाह सिविल कॉन्टैक्ट है और निकाह के लिए प्रस्ताव दिया जाता है। और जिसे युवती को स्वीकार करना होता है उसके तहत मेहर की रकम तय होती है।
यज रकम यूवती को दी जाती है और निकाह कुबूल करने के बाद निकाह पूरा हो जाता है। ऐसे निकाह काजी और गवाह की मौजूदगी में होते है। और यह निकाह मौलवी कहीं भी पढ़ा सकते हैं। वह चाहे तो घर में भी निकाह करवा सकते हैं।
लेकिन इसके लिए युवक और युवती को मुस्लिम जाति का होना जरूरी है।
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कोर्ट मैरिज
अगर आप शादी करना चाह रहे हैं और आपके पास समय नहीं है, तो आप ऐसे में कोर्ट मैरिज का रास्ता अपना सकते हैं। कोर्ट मैरिज विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत होने वाले विवाह को कहा जाता है।
कोर्ट मैरिज करने के लिए युवा और युवती को विवाह करने के आशय की सूचना, निर्धारित प्रपत्र में जिला विवाह अधिकारी के पास जमा करानी होती है। साथ ही नोटिस जारी करने का शुल्क भी जमा करवाना होता है।
शुल्क कोई ज्यादा नहीं होता बल्कि नाम मात्र होता है और साथ ही युवक और यूवती के फोटो पहचान पत्र भी जमा करवाने होते हैं।
आवेदन करने वाले यूवक और यूवती की सारी जानकारी आवेदन कलेक्टर के कार्यालय में जमा रहता है। जिसे जरूरत पड़ने पर कोई देख भी सकता है और इसे कार्यालय के किसी सार्वजनिक स्थान पर चिपका कर रखा जाता है।
अगर विवाह करने वाले दोनों युवक युवतियों में से कोई एक किसी दूसरे राज्य या जिले का है, तो वह नोटिस जिले के कलेक्टर को भेजा जाता है और वहां के सार्वजनिक स्थान पर चिपकाया जाता है।
नोटिस को जारी करने का मूल कारण उनके बारे में जानकारी लेना होता है। नोटिस इसी उद्देश्य से जारी किया जाता है, कि दोनों युवक यूवती विवाह के लिए पात्र हैं कि नहीं, कहीं विवाह में कोई कानूनी बाधा तो नहीं, इन सब की जानकारी ली जा सके।
आवेदन नोटिस जारी करने के 30 दिन के अंदर, बीमा अधिकारी के सामने युवक युवती का विवाह संपन्न कराया जाता है। और विवाह का प्रमाण पत्र जिला विवाह अधिकारी जारी करते हैं।
कोर्ट में युवक-युवती के जाति धर्म में किसी भी तरह के अंतर होने के बावजूद, बिना धर्म बदले शादी कराई जाती है।
वकीलों के द्वारा करें लव मैरिज
2013 में जून के महीने में आई एक खबर के अनुसार प्रेमी जोड़ों को विवाह के बंधन में बांधने का एक नया रूल आया है।
जो जोड़े अपने घरवालो के मर्जी के खिलाफ विवाह करने के लिए इच्छुक हैं उन जोड़ों को बकायदा वकील मैरिज पैकेज दे रहे हैं। पैकेज मैं शादी होने वाली मंदिर, पुजारी, कोर्ट मैरिज के साथ-साथ प्रेमी जोड़े की सुरक्षा के खर्च तक शामिल होते हैं।
अगर कोई प्रेमी जोड़ा शादी करने के लिए हाईकोर्ट में सुरक्षा मांगता है, तो वकील विवाह कराने के लिए पंडितो की सेवा लेते हैं।
विभिन्न मंदिर के पुजारी समेत अन्य कई धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधि, हाईकोर्ट के वकीलों के संपर्क में रहते हैं जो प्रेमी जोड़ो की शादी करवातें है।
शेल्टर होम की सुविधा
पिछले कुछ वर्षों में प्रेम विवाह करने वाले युवाओं के खिलाफ कई सारे हिंसक घटनाएं हो रही हैं। ऐसे में दोनों के परिवार वाले और समाज की ओर से आए दिन उत्पीड़न की खबरें मिलती है।
जितने भी Cases, अपहरण या गायब होने से पुलिस थाने में दर्ज की जाती है उनमें सबसे ज्यादा अपनी मर्जी से या तो घर छोड़ कर चले जाते हैं या फिर भी किसी से शादी कर लेते हैं।
यही वजह है, कि इस तरह के Couples के लिए सरकार शेल्टर होम बनवा रही हैं। शेल्टर होम के सुविधा के अनुसार सरकारी खर्च पर प्रेम विवाह करने वाले जोड़ों के रहने का इंतजाम किया जाता है। हरियाणा में भी ब्लॉक स्तर पर शेल्टर कपल होम बनाए गए हैं।
विचार –
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हम जल्द से जल्द उस विषय पर लेख तैयार करेंगे। इस आर्टिकल को पूरा पढ़ने के लिए आप लोगों का धन्यवाद। अपना प्यार और साथ इसी तरह बनाए रखे।