शादीशुदा जिंदगी को खुशहाल कैसे बनाये? 6 बेहतरीन उपाय

यह सच है कि अपनी शादी को लेकर कई सपने, कई ख्वाहिशें सभी के मन में होती है। लेकिन इनके साथ ही बहुत से डर और कई उलझनें भी कहीं न कहीं मन में किसी कोने में छिपे होती है। जिन पर शायद शादी के माहौल और ख़ुशी में उतना ध्यान नहीं दिया जाता, जितना देना चाहिए।

शादी एक तरह से एक नए जीवन की शुरुआत ही है। एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है। नए रिश्तों को सफलतापूर्वक निभाने की बड़ी चुनौती है।

ऐसे में अपने रिश्तों और अपनी जिंदगी को सरल और आसान बनाने के लिए कुछ बातें जान लेना और उसका पालन करना जरूरी है। यह संबंध मार्गदर्शक आपको सही दिशा दिखाएगी।

आपका व्यवहार कैसा होना चाहिए?

1. हमेशा सच बोले

जब तक कि आप कोई surprise plan न करें, अपने साथी से कुछ भी न छिपाएं।

अगर आप अपने दोस्तों के साथ मस्ती कर रहे है और अपने साथी से यह बहाना बनाते है कि आपको ऑफ़िस में देर रात काम करना है, तो आप अपनी नई-नई शादी को खतरे में डाल रहे है।

क्योंकि अगर चोरी पकड़ी गई, तो आपका साथी इस शंका के रहेगा कि न जाने आप उनसे और क्या-क्या छुपाते है।

2. भरोसेमंद बने

अगर वादे करते है, तो उन्हें निभाना भी सीखें।

बात छोटी हो या बड़ी, आपने अगर कोई वादा किया है, तो उसे पूरा करें, इससे आपका साथी आप पर जल्दी ही भरोसा करने लगेगा।

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3. अपनी सीमाएं तय करें

यह बात अब आप अच्छी तरह समझ लें कि अब आप अविवाहित नहीं है, ऐसे में हर किसी से बेतकल्लुफ होना ठीक नहीं।

अपने दोस्तों, सहेलियों से कितनी नज़दीकी रखने है और किस दायरे में रहकर बात करनी है, यह अब आपको गंभीरता से सोचकर तय करना होगा।

अगर आप सहयोगी से फ़्लर्ट कर रहे है और अपने साथी को यह पसंद नहीं आ रहा, तो बेहतर होगा अपना रिश्ता professional ही रखें।

4. खुद भी भरोसा करना सीखें

अगर आप चाहते है कि आपका साथी आप पर भरोसा करे, तो आपको भी उस पर भरोसा करना सीखना होगा। नए-नए रिश्ते में दोनों एक-दूसरे से अंजान होते है।

ऐसे में शुरुआत में जल्दबाजी में कोई गलत राय न बना लें। अपने रिश्ते को वक़्त दें।

5. साथी के साथ अन्याय न करें

अगर आपने जिंदगी में धोखा खाया है, तो उसकी सजा अपने साथी को न दें।

पूर्व अनुभव के अनुभव के आधार पर कोई राय न बना लें कि सभी पुरुष या सभी महिलाएं ऐसी ही होती है।

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6. अपने आप पर भरोसा करें

अगर आपने सब कुछ देखभाल के शादी का निर्णय लिया है तो खुद पर और अपनी पसंद पर भरोसा करें कि आपको अपने life साथी को प्यार और विश्वास देना है और उसका भी प्यार और विश्वास जितना है।

इन सब के अलावा आपने रिश्तों को मजबूत करने के लिए लगातार सुरक्षित भावनात्मक स्थान बनने के लिए प्रयास करते रहें। इसके लिए आपको इन बातों का ख्याल रखना होगा-

संवाद और बातचीत को बेहतर बनाएँ और उसका दायरा बढ़ाएं।

अच्छे श्रोता बने। सिर्फ अपनी ही बात न करें, अपने साथी की बातों को भी तवज्जो दें।

किसी भी बात पर तुरंत प्रतिक्रिया देने से पहले ये सोच लें कि आप अपने साथी की बात की पूरी तरह से समझ चुके है और तभी अपनी प्रतिक्रिया या राय दे रहें है।

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अपना निर्णय साथी पर थोपें नहीं, बल्कि उसकी राय को भी उतना ही महत्व दें।

अपनी इच्छाओं और सोच को सामने वाले पर साफतौर से जाहिर करने की आदत डालें।

अक्सर नए घर में, नए रिश्तों के बीच दुल्हन के लिए अपनी राय या अपनी इच्छा जाहिर करना इतना आसान नहीं होता, लेकिन आपके मन में क्या बात है या क्या डर है, यह आपसे बेहतर कौन जान सकता है?

ऐसे में आपको ही यह ज़िम्मेदारी लेनी होगी कि अपने साथी से अपने मन की बात share करें, इससे आप पर उसका भरोसा बनेगा और बढ़ेगा।

सकारात्मक रहें और ख़ुशियाँ बाटे। नए रिश्ते में यह बेहद ज़रुरी है कि हर बदलाव पर सकारात्मक रवैया अपनाएं। इससे नए माहौल में ढलने में मदद भी मिलेगी और सब आपको पसंद भी करने लगेंगे।

यही बात दुल्हे पर भी लागू होती है। आप भी अपनी साथी को comfortable feel करवाने के लिए सकारात्मक रहें और खुश मिज़ाज से उसका दिल जीत लें।

कोई भी जरूरी मुद्दा या बात यह सोचकर अधूरा न छोड़े कि वक़्त के साथ सब ठीक हो जाएगा। नए रिश्तों के बीच ग़लतफ़हमियाँ भी जल्दी ही पनपती है, ऐसे में हर बात को पूरा करें।

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सबसे जरूरी बात, यह सोच पूरी तरह से दिल से निकाल दें कि सफल शादियाँ वो होती है, जिनमें पति-पत्नी झगड़ते नहीं। यह बिलकुल गलत है।

थोड़ी-बहुत नोक-झोंक स्वाभाविक है। ऐसे में अगर आपस में थोड़ी बहस भी हो जाए, तो इसे गंभीर मुद्दा बनाकर तनाव न पाले और न ही किसी नतीजे पर पहुँचकर कोई निर्णय ले लें।

हाँ, एक बात का ख्याल ज़रुर रखें कि बहस के दौरान इस तरह से शब्दों के इस्तेमाल से बचे कि तुमसे तो कोई उम्मीद रखना ही गलत है। तुम्हारा खानदान ही ऐसा है।

तुमसे शादी का निर्णय ही गलत था इत्यादि। एक बार ज़ुबान से इस तरह की कड़वी बात निकाल जाती है, तो मन में घर कर जाती है। इनसे जितना संभव हो, बचे।

शादीशुदा जिंदगी को खुशहाल कैसे बनाये?

शादीशुदा जिंदगी को खुशहाल कैसे बनाये?

पति-पत्नी के बिच space भी होना जरुरी है

यह सच है कि शादी उम्र भर का साथ होता है। एक commitment होता है, लेकिन उसमे प्यार और विश्वास के साथ-साथ एक-दूसरे की स्वतंत्रता का सम्मान भी उतना ही ज़रुरी है। स्पेस किसी भी रिश्ते में उतना ही ज़रुरी है जितना कि प्यार और अपनापन।

याद रखें, आपके साथी को शादी प्यार भरा बंधन लगना चाहिए, न कि उम्र कैद।

हर वक़्त साथी के पीछे न लगे रहें। उसे अपनी तनहाई और खुद से बात करने का वक़्त ज़रुर दें, वर्ना रिश्ते में घुटन होने लगती है।

हर बात जानने की कोशिश न करें। ऐसे में यह संदेश जाएगा कि आप अपने साथी पर विश्वास नहीं करते।

क्या आपको पता ही कि सच्चा प्यार और आकर्षण में क्या फर्क होता है?

एक-दूसरे के समान अधिकारों का सम्मान करें। सिर्फ इसलिए कि आप पति है या पत्नी है, आपको अपने साथी को नियंत्रण करने का विशेषाधिकार मिल गया, यह सोच ही गलत है। जासूसी के उद्देश्य से एक-दूसरे पर बेवजह शंका करना या हर रहस्य जानने की कोशिश करना ठीक नहीं।

यह आपको तय करना है कि आपके लिए अपनी नई शादी और रिश्ता ज्यादा ज़रुरी है कि आपका अहंकार या आज़ादी। स्पेस का मतलब यह है कि दो लोग अपनी निजी ज़िदगी अलग-अलग जिएँ।

शादी को कामयाब बनाने के लिए समझौता करना सीखें।

एक और महत्वपूर्ण बात यह है ली स्पेस का अर्थ शारीरिक दूरियाँ या नज़दीकियों से नहीं है। इसका मतलब है मानसिक रूप से आपको, आपके निर्णय को, आपकी सोच को कितना आज़ादी और सम्मान मिलता है।

Finance कैसे हैंडल करें?

शादी से पहले भले ही आप अपने तरीके से money manage करते होंगे, लेकिन शादी के बाद सही व उचित planning ज़रुरी है, क्योंकि आपकी जिम्मेदारियां बढ़ जाती है।

Financial planning में budgeting, insurance, investment, tax, retirement planning और estate planning भी शामिल होती है।

आपको अपनी आमदनी, उम्र, ज़रूरतों और आर्थिक स्थिति के आधार पर planning करनी होगी, क्योंकि हर किसी की जरूरतें और आर्थिक स्थिति अलग-अलग होती है।

Financial planning का मतलब होता है अपने ख्वाबों को हकीक़त में तब्दील करने का व्यवस्थित तरीका।

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शादी के बाद आपकी जरूरतें बदल जाती है। अब दो लोग एक साथ किस तरह से सुखी और सुविधाजनक जिंदगी बिता सकते है, यही plan करना होता है।

Risk factor को भी ध्यान में रखना ज़रुरी है कि यदि किसी एक साथी का job छुट जाए या कभी कोई अनहोनी हो जाए या आर्थिक तंगी आ जाए, तो भविष्य के लिए किस तरह से पैसे जोडें कि इन स्थितियों में भी परेशानी न उठानी पड़े।

वैसे नए शादीशुदा जोड़ों के मन में financial planning को लेकर बहुत ही confusion बना रहता है, ऐसे में उनके लिए financial planning के कुछ टिप्स

Financial document update करें। सबसे जरूरी document तो marriage certificate ही होता है। Couples power of attorney भी लिख सकते है। ताकि भविष्य में एक-दुसरे को क़ानूनी उलझनों में न पड़ना पड़े।

Joint account रखना है या नहीं, यह प्रश्न बहुत ही महत्वपूर्ण है और पूरी तरह से couples की इच्छा पर निर्भर करता है कि वो दोनों क्या चाहते है।

खुलकर बात करें। दोनों को शादी से पहले ही कुछ बातों पर साफ-साफ बात कर लेनी चाहिए, जैसे – खर्च करने की आदतें, कोई loan या कर्ज है तो, घर की आर्थिक स्थिति व जरूरतें, अपने-अपने परिवारों के प्रति जिम्मेदारियां इत्यादि।

Financial matter पर नियमित बातचीत करें। समय और वक़्त के साथ जरूरतें बदलती रहती है, इसीलिए यह ज़रुरी है कि नियमित रूप से बातचीत करते रहें और आवश्यकतानुसार budget plan करते रहें।

Emergency fund बनाएँ। अचानक कोई problem आ जाए, तो emergency fund आपको काफी सहारा दे सकती है। Bank saving account के अलावा liquid mutual fund में भी आप invest कर सकते है, जिनमे इतनी saving हो जाए कि जरुरत पड़ने पर कम से कम 3 महीने तक का emergency fund इकट्ठा हो सके।

Monthly budget dairy maintain करें। Dairy बनाने से आपको बहुत से फायदे होंगे। आपको अपने ज़रुरी व गैरजरूरी ख़र्चों के बारे में पता चल जाएगा और budget plan करने में भी मदद मिलेगी।

सही समय पर और सही जगह पर invest करें। आपसी बातचीत से यह तय कर लें कि कब, कितना और कहां invest करना सही होगा और उसी के अनुसार saving करें।

Health insurance करें। Health cover भी plan करना उतना ही जरूरी है। Company द्वारा दिए गए health insurance के अलावा भी अपना और अपनी family का health insurance ज़रूर करवाए।

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