रिश्तों में दूरियां क्यों आती है? क्या है इसकी वजह? क्या करें?

क्या आपने कभी सोचा था कि कभी जिसे आपने इतना चाहा, इतना प्यार किया वही आपसे इतना दूर चले जाएँगे कि आप उन्हे सिर्फ़ याद करते रह जाओगे? आज हम acchibaat.com पर इस विषय में बात करेंगे और जानेंगे कि रिश्तों में दूरियां क्यों आती है? तो आइए जाने –

रिश्ते! क्या होती है ये रिश्ते जिसे हम समझने और निभाने में चूक जाते है. अक्सर यही होता है कि हम अपनी प्रोफेशनल लाइफ में इतनी व्यस्त हो जाते है कि कब कैसे रिश्तों में दूरियाँ आ जाती है, जब पीछे मुड़कर देखते है, तो यही लगता है कि सब कुछ ठीक तो था.

पर कुछ ठीक नहीं होता, ऐसा इसलिए होता है कि हम रिश्ते की बीच दूरियाँ को पनपने की जगह देते है और रिश्तों में कब दूरियाँ आ जाति है एहसास नहीं होता.

कैसे दूरियाँ पनपने लगती है?

आज कल तरक्की की भूख इस कदर बढ़ चुका है की लोग इस कदर इसके पीछे भाग रहे है, पर ये नहीं देख रहे की पीछे क्या छूटा है, जी हाँ बस अपनों का साथ तो कभी मन-मुटाव जिसकी नतीज़ा यही होता है.

रिश्तों में दूरियां क्यों आती है? क्या है इसकी वजह? क्या करें?
risto me kyun aati hai duriyan

रिश्तों के बीच कड़वाहट फिर दूरी पनपने लगते है, कभी रिश्तों के बीच करियर तो कभी इंटरनेट नाम का कीड़ा जो रिश्तों की जड़ को कमजोर कर रहा है.

इस से हमारी आने वाला कल प्रभावित तो होता है पर सबसे बड़ी नुकसान हमारी नयी पीढ़ी पर होती है.

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रिश्तों में दूरियां- क्या है वजह?

कामयाबी

मैने कही पढ़ा था कि ‘ दुश्मन हमें बनाने की ज़रूरत नही, बस कामयाब होने की देर है, दुश्मन अपने आप ही बन जाएँगे’. कहने का मतलब यही है कि ‘कामयाबी ‘ के साथ ‘ दुश्मनी ‘ भी मिलती है, जो की सबसे बड़ी वजह है रिश्तों में दूरियाँ आने की.

आज के समय में कोई किसी की भलाई नहीं चाहता, चाहे वो घर के क्यों न सदस्य हो. भाई-भाई को आगे बढ़ते हुए नहीं देखना चाहता, अपनों की तरक्की हमारे आँखो में ख़टकती है. जिस वजह से खुद अपने हमसे दूर-दूर रहने लगते है.

कौन नहीं कहता कि उसके अपने उनका ख्याल रखे, पर आज के दौर में जहाँ सफलता, कॅरियर और पैसा ही सब कुछ हो गया है, तो ऐसे में किसी के पास कहा समय है अपनों के साथ वक़्त बिताने का. जिसकी वजह से रिश्तों में दूरियाँ हो जाती है.

मेरा भाई क्यों मुझसे दो कदम आगे है? ऐसे कुछ सवाल है जो अपनों को अपनों से दूर कर रहे है. कोई नहीं चाहता कि कोई उनसे आगे बढ़े, पर ये कोई नहीं सोचता कि कामयाबी पाने के लिए काबिल बनना पड़ता है न की ईर्ष्यालु.

मॉडर्न होना कोई ग़लत नही, पर इसकी वजह से रिश्तों में दूरियाँ आ जाए तो क्या फायदा मॉडर्न होने का?

आज जहाँ एक क्लिक पर किसी के साथ भी, कभी भी बात या वीडियो कॉल कर सकते है, चाट कर सकते है, फोटो शेयर कर सकते है.

आज मोबाइल ने तो हमारा सारा समय ले लिया है, मोबाइल न हो तो जिंदगी अधूरी सी लगने लगती है, पर ये भी सच है कि इसकी वजह से हमारे रिश्तों में भी दूरियाँ होने लगती है.

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इसके परिणाम

कभी कभी जिंदगी में ऐसा समय आता है कि हम सोचते है हमारे साथ ग़लत क्यों होता है पर ये नहीं सोचते की क्यों होता है? और जब समझ में आता है तो बहुत देर हो चुकी होती है.

अपने हमसे दूर हो जाते है, कोई हमारा देखभाल करने की लिए नहीं होता. जिंदगी अकेलेपन से घिर जाती है.

सुझाव

वजह तो बहुत से है रिश्तों में दूरियाँ आने के, पर क्या आप जानते है कि ये स्तिथि आपके साथ न हो इसके लिए क्या करे? क्या करे की आपका परिवार, आपके दोस्त, आपके अपने कभी आपसे दूर न हो? आइए जानते है –

हमेशा अपनों के साथ संपर्क बनाए रखे 

ये बेहद ज़रूरी है, अगर आप सिर्फ़ सुख-दुख में अपनों को याद करते है तो ये सही तो है, पर हो सके तो महीने में एक बार उनका हाल-समाचार पूछे, इससे वो सोचेंगे की आपको उनकी फ़िक्र है. और हमेसा आपका रिश्ता बना रहेगा.

कभी भी अपनों को बोलने का मौका न दे कि तुम तो कभी कॉल ही नहीं करते, कभी हमें भी याद कर लिया करो, क्या मैं कॉल नहीं करूँगा तो तुम भी कॉल नहीं करोगे?

करियर अपनी जगह पर है और परिवार अपनी जगह पर. लेकिन अपनी करियर बनाने के चलते अगर आप अपने घर में समय नहीं बिताते तो ये ग़लत है.

ये समस्या ज़्यादातर कामकाजी माता-पिता को फेस करनी पड़ती है, दिन भर घर के बाहर काम करते है और शाम को देर रात घर लौटते है.

ऐसे में उनके पास अपने परिवार के लिए समय नहीं होता. ऐसी स्तिथि में अगर आपको अपने रिश्तों को बचाए रखना है तो अपनी करियर के साथ-साथ परिवार पर भी ध्यान दे.

आज मनोरंजन के इतने सारे साधन मौजूद है कि हम कभी बोर नहीं होते, इंटरनेट तो है ही ज्ञान गंगा का सागर जितनी डुबकी लगानी है लगा लो आप कभी डूबोगे नही, पर ये आपके रिश्ते को ज़रूर डुबो देगा.

उतना ही इन चीज़ो पर ध्यान दे जितना ज़रूरी हो, इन सब के पीछे addicted मत हो जाओ.

तरक्की के बाद पीछे देखना ज़रा मुश्किल होता है, ख़ुशी के मारे जी चाहता है कि सारी दुनिया आपके कदमों में है. पर ऐसा नहीं है आप ज़रा पीछे मुड़कर देखे आपके आपने नज़र आएँगे, उनके चेहरे को गोर से देखें, क्या वो आपकी कामयाबी से खुश है?

अपने तभी खुश होते है जब आपका रिश्ता उनके प्रति मजबूत हो. मतलब है कि अपनी कामयाबी को अपने परिवार वालों के साथ शेयर करे, उन्हे बताए कि आप जिस पोज़िशन पर है बस उनकी बदौलत है.

रिश्तों में नजदीकियां कैसे लाए?

रिश्तों में नजदीकियां कैसे लाए? जीवन भर का साथ निभाने वाला रिश्ता है पति-पत्नी का जिसमे हर पल एक ताज़गी भरा होता है, लेकिन शादी के कुछ सालों के बाद ही इस रिश्ते में उदासी आनी शुरू हो जाती है.

जबकि कुछ ऐसे पति-पत्नी भी होते हैं, जो उम्र बीत जाने पर भी एक-दूसरे के साथ हमेशा हँसते खिलखिलाते नजर आते है. इन tips की मदद से आप भी अपने रिश्ते में नजदीकियां ला सकते है.

1. एक-दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताए

पति-पत्नी को एक-दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहिए और उन्हें हर पल को पूरी तरह से आनंद लेना चाहिए.

2. एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करें

दोनों को चाहिए कि एक-दूसरे कि भावनाओं का सम्मान करते हुए अपने जीवन-साथी से कोई भी ऐसी बात न कहें जिससे आपस में मन-मुटाव की स्तिथि पैदा हो जाए.

3. हंसते रहें

ये कहना गलत होगा कि हँसने की कोई वजह नहीं होती क्योंकि बिना बात या परिस्थिति के कॉमेडी शो के जज हस सकते हैं लेकिन आम इन्सान के लिए बिना बात के हँसते रहना आसान नहीं है.

कभी ग़लतियों पर तो कभी रास्ते या ऑफ़िस में या funny jokes पर हँसते हुए वातावरण बनने की कोशिश करें.

4. अपने साथी के साथ enjoy करें

आपस में बैठकर कोई खेल या फिर उन पलों को enjoy करे जिन पर आपके साथी को हंसी आती हो. ऐसा करने से सारी तनाव आप भूल जाते हैं. घर में भी मस्ती करने और एक-दूसरे को हँसाने की अवसर खोजते रहें.

5. अपने रिश्ते में नजदीकियां लाए

हंसी से 2 लोगों के बीच एक सकारात्मक भावनात्मक वातावरण बनता है. यही नहीं इससे एक संबंध की भावना भी विकसित होता है.

जब कोई यह कहता है कि उसे अपने साथी की संगती पसंद नहीं तो इसका कारण ये है कि वो साथी उसे हँसने-मुस्कुराने का मौका देता नहीं. फिर यही हंसी रिश्ते में नजदीकियां लाती है.

6. अपने साथी को गले लगाये

जब हम अपने साथी को गले लगाते हैं तो दिल बिना बोले ही बहुत कुछ कह जाता है. अपने साथी को बाहों में भरना या समेटना ये व्यक्त करता है कि आप हर हाल में मुझे काबुल हो.

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