गलतफहमी कैसे दूर करे? गलतफहमी दूर करने के उपाय

छोटी-सी भी गलतफहमी रिश्ते में कड़वाहट ला सकती है, इसलिए बेहतर होगा कि रिश्ते में गलतफहमियां न आने दें और अगर आ ही गई हैं तो उसे फौरन दूर कर लें. आमतौर पर गलतफहमी का अर्थ होता है- ऐसी स्थिति जब कोई व्यक्ति दूसरे की बात या भावनाओं को समझने में असमर्थ होता है और जब गलतफहमियां बढ़ने लगती हैं, तो वे झगड़े का रूप ले लेती हैं, जिसका अंत कभी-कभी बहुत भयावह होता है.

गलतफहमी कैसे दूर करे?

गलतफहमी कैसे दूर करे? गलतफहमी दूर करने के उपाय
how to clear up misconceptions

साथी की भावनाओं को न समझ पाना

गलतफहमी किसी कांटे की तरह होती है और जब वह आपके रिश्ते में चुभन पैदा करने लगती है, तो कभी फूल लगने वाला रिश्ता आपको खरोंचे देने लगता है.

जो जोड़ा कभी एक-दूसरे पर जान छिड़कता था, एक-दूसरे की बांहों में जिसे सुकून मिलता था और जो साथी की ख़ुशी के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता था, वो जब गलतफहमी का शिकार होने लगता है, तो रिश्ते की मधुरता व प्यार को नफरत में बदलते देर नहीं लगती.

फिर राहें अलग-अलग चुनने के सिवाए उनके पास कोई विकल्प ही नहीं बचता.

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जीवनसाथी को मेरी परवाह नहीं है या वह सिर्फ अपने बारे में सोचता है, इस तरह की गलतफहमी होना कपल्स के बीच एक आम बात है.

अपने साथी की प्राथमिकताओं और सोच को गलत समझना बहुत आसान है, विशेषकर जब बहुत जल्दी वह नाराज या उदास हो जाते हों और कम्यूनिकेट करने के बारे में केवल सोचते ही रह जाते हों.

असली दिक्कत यह है कि अपनी तरह से साथी की बात का मतलब निकालना या अपनी बात कहने में ईगो का आड़े आना, धीरे-धीरे फलता-फूलता रहता है और फिर इतना बड़ा हो जाता है कि गलतफहमी झगड़े का रूप ले लेती है.

एक बार जब हम कम्यूनिकेशन न करने के निगेटिव चक्र में फंस जाते हैं, तो उसमें से निकलने या उसे सुधारने में बहुत समय लग जाता है.”

धोखा-

यह सबसे आम वजह है. यह तब पैदा होती है, जब एक साथी यह मानने लगता है कि उसके साथी का किसी और से संबंध है.

ऐसा वह बिना किसी ठोस आधार के भी मान लेता है. हो सकता है कि यह सच भी हो, लेकिन अगर इसे ठीक से संभाला न जाए, तो निश्चिंत तौर पर यह विवाह के टूटने का कारण बन सकता है.

जब भी आपको महसूस हो कि आपका साथी किसी उलझन में है और आपको शक भरी नजरों से देख रहा है, तो तुरंत सतर्क हो जाएं.

हो सकता है आपका किसी से हंसकर बोलना या अपने कलीग की तारीफ करना गलतफहमी पैदा कर रहा हो. 

ऐसा संकेत मिलते ही साथी से बात करें और बताएं कि किसी को दोस्त कहना या उसके साथ ज़्यादा समय गुज़ारने का मतलब विवाहेतर संबंध नहीं होता.

याद रखें, चाहे पति हो या पत्नी- दोनों ही अपनी-अपनी तरह से साथी को लेकर पज़ेसिव होते हैं और इस बात का सम्मान करें.

स्वार्थी होना-

पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने और एक-दूसरे पर विश्वास करने के लिए जरूरी होता है कि वे एक-दूसरे से कुछ न छिपाएं और हर तरह से एक-दूसरे की मदद करें.

जब आपके साथी को आपकी जरूरत हो, तो आप वहां मौजूद हों. गलतफहमियां तब बीच में आ खड़ी होती हैं, जब आप सेल्फ सेंटर्ड होते हैं.

केवल अपने बारे में सोचते हैं. ज़ाहिर है, तब आपका साथी कैसे आप पर विश्वास करेगा कि जरूरत के समय आप उनका साथ देंगे या उनकी भावनाओं का मान रखेंगे.

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ज़िम्मेदारियों को निभाने से कतराना-

जब कभी साथी अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाने या उठाने से कतराता है, तो गलतफहमी पैदा होने लगती है.

ऐसे सवाल मन में उठना तब स्वाभाविक होता है- क्या वह मुझे प्यार नहीं करता? क्या उसे मेरा ख़्याल नहीं है? क्या वह मजबूरन मेरे साथ रह रहा है? गलतफहमियां आपके बीच न आएं इसके साथ पति-पत्नी दोनों को अपनी-अपनी ज़िम्मेदारियां ख़ुशी से उठानी चाहिए.

मैरिज काउंसलर्स मानते हैं कि रिश्ता ज़िंदगीभर कायम रहे, इसके लिए तीन मुख्य ज़िम्मेदारियां अवश्य निभाएं- जीवनसाथी से प्यार करना, उस पर गर्व करना और अपने रिश्ते को बचाना.

वर्क और कमिटमेंट-

आजकल जब महिलाओं का कार्यक्षेत्र घर तक न रहकर विस्तृत हो गया है और वह हाउसवाइफ की परिधि से बाहर निकल आई हैं, ऐसे में पति के लिए आवश्यक है कि वह उसके काम और कमिटमेंट को समझे और कद्र करे.

बदली हुई परिस्थितियों में उन्हें पूरा सहयोग दे.

रिश्ते में आए इस बदलाव को हैंडल करना पति के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि यह बात आज के समय में गलतफहमी की सबसे बड़ी वजह बनती जा रही है.

इसके लिए दोनों को ही एक-दूसरे के काम के कमिटमेंट्स के बारे में डिस्कस कर उसके अनुसार ख़ुद को ढालना होगा.

मेरी परवाह नहीं है-

पति या पत्नी किसी को भी ऐसा महसूस हो सकता है कि उसके साथी को न तो उसकी परवाह है और न ही वह उसे प्यार करता है.

सच्चाई तो यह है कि विवाह ‘loving और caring’ के आधार पर टिका होता है. जब जीवनसाथी के अंदर ‘नजरअंदाज’ किए जाने या गैरजरूरी होने की भावना आने लगती है, तब गलतफहमियों की दीवारें खड़ी होने लगती हैं.

दूसरों का हस्तक्षेप-

जब दूसरे लोग, चाहे वे आपके ही परिवार के सदस्य हों या मित्र या रिश्तेदार हों, आपकी ज़िंदगी में हस्तक्षेप करने लगते हैं, तो गलतफहमियां खड़ी हो जाती हैं.

ऐसे लोगों को कपल्स के बीच झगड़ा कराकर संतोष मिलता है और उनका मतलब पूरा होता है.

यह तो सर्वविदित है कि आपसी फूट का फ़ायदा तीसरा व्यक्ति उठाता है.

पति-पत्नी का रिश्ता चाहे कितना मधुर क्यों न हो, उसमें कितना ही प्यार क्यों न हो, पर असहमति या झगड़े तो फिर भी होते हैं और यह अस्वाभाविक भी नहीं है.

जब ऐसा हो, तो किसी तीसरे के हस्तक्षेप करने की बजाय स्वयं उन मुद्दों को सुलझा लें, जो आपको परेशान कर रहे हों. याद रखें, अपनी समस्याएं केवल आप ही सुलझा सकते हैं, कोई तीसरा नहीं.

से-क्स को नजरअंदाज न करें-

सेक्सुअल रिलेशन वैवाहिक जीवन में गलतफहमी की सबसे अहम वजह है. पति-पत्नी दोनों ही चाहते हैं कि उनका साथी उन्हें प्यार करे और उसका साथ उन्हें ख़ुशी देता है.

साथी को पास आने दें. सेक्स लाइफ को एंजॉय करें. जब आप दूरियां बनाने लगते हैं, तो शक और गलतफहमी दोनों ही रिश्ते को खोखला करने लगती हैं.

आपका साथी आपसे ख़ुश नहीं है या आपसे दूर रहना पसंद करता है, यह रिश्ते में आई सबसे बड़ी गलतफहमी बन सकती है.

ग़लतफ़हमियों को दूर करने के उपयोगी ट्रिक्स

* अपने साथी से नाराज़ होकर बोलचाल बंद करने की बजाय उससे बात करें. लेकिन उस समय जब वह सुनने के मूड में हो व परेशान या दुखी न हो. यदि वह क्रोधित हो, तो बात न छेड़ें और उनके तनाव मुक्त होने का इंतज़ार करें.

* दोष न दें. जो हुआ उसके लिए साथी को दोषी न ठहराएं. ऐसा करने से वह आपकी बात सुनेंगे ही नहीं. जो हुआ, उससे कैसे निपटा जाए, इस पर बात करें.

* गलतफहमी को कुछ समय की नाराज़गी समझ नजरअंदाज न करें. उसे तुरंत सुलझा लें.

* यदि ख़ुद सही ढंग से साथी से कम्यूनिकेट न कर पा रहे हों, तो मैरिज काउंसलर की मदद लें.

* अपने साथी की बात को बहुत ध्यान व धैर्य से सुनें. बेशक आपको बुरा लग रहा हो, पर बात पूरी होने के बाद ही कुछ कहें या निर्णय लें. संवादहीनता रिश्तों को सबसे ज़्यादा खोखला करती है. जीवनसाथी के मन की बात जाने बिना आप उसे दोषी कैसे कह सकते हैं.

* अगर ग़लती हुई है, तो ‘sorry’ कहने में हिचकें नहीं. इस तरह से आप यह बताते हैं कि अपनी गलतियों की ज़िम्मेदारी उठाने में आप पीछे नहीं रहते हैं.

* माफ़ करने की आदत डालें. साथी ने आपको ग़लत समझा, कोई बात नहीं. उसे माफ़ कर दें, क्योंकि आप दोनों ने बहुत अच्छा समय एक-दूसरे के साथ बिताया है.

* समझौतावादी बने. शादी की सफलता व ख़ुशी दोनों की ही यह चाबी है. एक-दूसरे की भावनाओं व इच्छाओं का अगर सम्मान करते हैं, तो गलतफहमी होने का सवाल ही नहीं उठता. लेकिन उसके लिए आपको ख़ुद की भावनाओं और इच्छाओं पर नियंत्रण रखना और समझौता भी करना होगा.

* जो हुआ उसे भूल जाएं. गलतफहमियां होती हैं, पर दूर भी हो जाती हैं, उन्हें याद दिलाकर जीवनसाथी को कोसे नहीं.

अगर आप की वाईफ नहीं समझती थो आप को समझ न होगा क्या पसंद क्या ना पसंद सब सब चीज़ का ध्यान रखे.

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