1. जब प्राण तन से निकले
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले।
गोविन्द नाम लेके जब प्राण तन से निकले।
श्री गंगाजी का तट हो जमुना का बंशी बट हो।
मेरा संवारा निकट हो जब प्राण तन से निकले।
तिताम्बर कासी हो छवि मन में ये बसी हो।
होंठों पे कुछ हंसी हो, जब प्राण तन से निकले।
जब कंठ प्राण आये कोई रोग न सताये।
यम दरस न दिखाये जब प्राण तन से निकले।
उस वक़्त जल्दी आना नहीं स्याम भूल जाना।
राधे को साथ लाना जब प्राण तन से निकले।
एक भक्त की है अर्जी खुदगर्ज की है गर्जी।
आगे तुम्हारी मर्जी जब प्राण तन से निकले।
2. जाग में सुन्दर है दो नाम
जाग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो या राम।
बोलो राम, राम, बोलो श्याम, श्याम, श्याम जाग में।
माखन ब्रज में एक चुरावे, एक बेर भिलनी के खावे
प्रेम भाव से भरे अनोखे, दोनों के है काम
चाहे कृष कहो या राम, जाग में सुन्दर है दो नाम
एक ह्रदय में प्रेम बढ़ावे, एक पाप सन्ताप मिटावे
दोनों सुख के सागर हैं और दोनों पूरण काम
चाहे कृष्ण कहो या राम। जाग में।
एक कंस पापी को मारे, एक दुष्ट रावण संहारे
दोनों दीन के दुखी हरते, दोनों बल के धाम
चाहे कृष्ण कहो या राम। जाग में।
एक राधिका संग साजे, एक जानकी संग विराजे
चाहे सीता राम कहो, या बोलो घन श्याम
चाहे कृष्ण कहो या राम। जाग में।
इसे भी पढ़ें- श्री राम भक्त शबरी की पूरी कहानी- रामायण कि कहानी
3. कैसी लगी लगन मीरा हो गई मगन
कैसी लगी लगन मीरा हो गई मगन
वो तो गली गली हारी गुन गाने लगी
महलों में पली बनके जोगन चली
मीरा रानी दीवानी कहलाने लगी कैसी लगी।
कोई रोके नहीं कोई टोके नहीं मीरा गोविन्द गोपाल गाने लगी
बैठी सन्तो के संग रंगी मोहन के रंग
मीरा प्रेमी प्रीतम को मानाने लगी वो तो गली गली।
राणा ने विष दिया मानों अमृत पिया
मीरा सागर में सरिता सामने लगी
दुख लाखों सहे मुख से गोविन्द कहेमीरा गोविन्द गोपाल गाने लगी वो तो गली गली।
4. श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया
श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया।
रन दे चुनरिया हो। रंग दे चुनरिया श्याम पिया।
लाल न रंगाऊँ, मैं हरी न रंगाऊँ
अपने ही रंग में रंग दे चुनरिया श्याम पिया मोरी।
बिना रंगाये मैं तो घर न जाउंगी
बीत ही जाये, चाहे सारी उमरिया, श्याम पिया मोरी।
जल से पतला कौन है ? कौन भूमि से भारी ?
कौन अगन से तेज है ? कौन काजल से काली ?
जल से पतला ज्ञान है। और पाप भूमि से भरी
क्रोध अगन से तेज है और कलंक काजल से काली
रंग दे चुनरिया हो रंग दे चुनरिया
‘ मीरा ‘ के प्रभु गिरधर नागर प्रभु चरणन में हारी चरणन में
श्याम चरण में लगी नजरिया श्याम पिया मोरी।
5. वो काला एक बांसुरी वाला
काला एक बांसुरी वाला सुध बिसरा गया मोरी रे
वो काला एक बांसुरी वाला माखन चोर जो नन्दकिशोर
वो कर गयो मन की चोरी रे सुद्ध विसरा गया मोरी रे।
पनघट में मोरी बैया मरोड़ी मैं बोली तो मोरी मटकी फोड़ी
पैया पडू करूँ विनती मैं पर माने ना इक मोरी रे
सुध बिसरा गया मोरी रे वो काला एक।
छुप गये फिर तान सुनाके कहां गयो एक बाण चलाके
गोकुल ढूंढा मथुरा ढूंढी कोई नगरिया ना छोड़ी रे
सुध बिसरा गया मोरी रे वो काला एक बांसुरी वाला।
जरुर पढ़ें- प्रार्थना कैसे करें? पूजा करने का तरीका
6. मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो – 2
भोर भयो गैयन के पाछे तूने मधुवन मोहे पठायो
चार पहर बंसी वट भटक्यो साँझ परे घर आयो
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
मैं बालक बहियन को छोटो ये छींका किस विधि पायो
ये ग्वाल पाल सव बैर पड़े हैं बरबस मुख लपटायो
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो ओ मेरी मैया।
आरी आरी ओ मेरी मैया।
आरी प्यारी मेरी मैया।
अरे भोली मेरी मैया।
तू जननी मन की अति भोली इनके कहे अतियायो
मैया ये ले अपनी लकुटी कमरिया
तूने बहुत ही नचायो मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो।
मैया मैं नहीं माखन खायो
जिय तेरे कछु भेद उपजी है तूने मोहे जानी परयो जायो
‘ सूरदास ‘ तब हंसी यसोदा ले उस कंठ लगायो
नयन नीर भर आयो कन्हैया तै नहीं माखन खायो – 4