शाही रामायण – अकबर बीरबल की कहानी

Muslim ramayan, urdu ramayan.. Akhbar birbal ki kahani.. बादशाह अकबर के दिमाग में तरह-तरह के विचार उठते रहते थे। एक दिन उनके दिमाग में यह बात आई कि मुगलों के इतिहास को लेकर भी शाही रामायण बननी चाहिए। यह सोचकर ही उन्होंने बीरबल को बुलाया और यह कार्य उन्हें सौंप दिया।

बीरबल आदेश का पालन करने के लिए फौरन तैयार हो गए।

अगले दिन रामायण की तमाम कठिनाइयों का बयाना करते हुए बीरबल ने बादशाह को बताया – जहाँपनाह, शाही रामायण तैयार करने के लिए फ़िलहाल बीस हजार रूपए की जरुरत है।

बादशाह ने कहा – बीस हजार रूपए?

जी हाँ, मेरा विश्वास है कि बीस हजार रुपये और 6 महीने की छुट्टी मिलने पर यह कार्य पूरा हो सकता है।

बीरबल के कहे मुताबिक उन्हें बीस हजार रुपये और 6 महीने की छुट्टी दे दी गई।

उन रूपए को बीरबल ने अपनी इच्छानुसार जनता की भलाई में खर्च कर दिया।

पांचवें महीने के अंत में बीरबल ने सादे कागज की एक मोटी जिल्द बनवाई और उसे एक आदमी के सिर पर रखकर बादशाह के पास पहुँच गया।

बीरबल कुछ कार्य शेष है, इसलिए मैं आपसे एक राय लेने के लिए आया हूँ।

बादशाह ने सिर हिलाया – कहो।

बीरबल ने कहा, जैसे रामायण में मुख्य नायक रामचंद्र थे, वैसे ही इस बादशाही के नायक आप हैं। रामायण की मुख्य नायिका सीताजी हैं। अब प्रश्न यह है कि आप इस शाही रामायण की सीता किसे बनाएंगे? मैं आपसे केवल यह राय लेने आया हूँ। आपकी बहुत सी बेगम है। किसको इस पद की प्राप्ति का शुभ अवसर मिलेगा? यह बात ज्ञात होते ही मैं वह कार्य शीघ्र ही समाप्त कर दूंगा। यह कहकर बीरबल अकबर बादशाह के बोलने की प्रतीक्षा करने लगे।

बादशाह ने प्रधान बेगम को ही नायिका बनाने का आदेश दिया।

इसके बाद बीरबल ने जिल्द को वैसे ही लेकर बड़ी बेगम साहिबा के भवन की ओर प्रस्थान किया।

वहां जाकर बीरबल ने बड़ी बेगम को सब बातें विस्तार से समझा दी और फिर पूछा, रामायण की प्रधान नायिका सीता को वर्षों देत्यराज रावण के पास रहना पड़ा था। आप कहाँ जाकर रहना पसंद करेंगी, बता दीजिए। इसके बारे में पता चलते ही मैं रामायण को संपूर्ण कर दूंगा।

बीरबल की इस बात को सुनकर बेगम इतनी आग-बबूला हो गई कि उन्होंने देखते ही देखते जिल्द को आग में फेंक दिया। कुछ देर में कोरे पन्नो की पूरी जिल्द जलकर भस्म हो गई। बीरबल वहां से लौट पड़े और मन की मन खुश होते हुए बादशाह के सामने पहुंचे। उनके चेहरे पर उदासी के भाव स्पष्ट नजर आ रहे थे।

उन्होंने बेगम से किया प्रश्न और उससे उपजे बेगम के क्रोध की बात का विवरण बताया। जिसका परिणाम यह हुआ कि शाही रामायण के किस्से का अंत हो गया।

बादशाह ने बीरबल से कहा, बीरबल, तुम्हें दिया गया धन बेकार नहीं जाता। बीस हजार रूपए का तुम्हें सदुपयोग किया है। मुझे सब पता चल गया है।

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