Birbal ka anokha sawal.. Akbar birbil ki kahani.. एक बार बीरबल को दरबार में आने में देर हो गई। जब वह आए तो अकबर ने उनसे पूछा, बीरबल, आज आने में तुम्हें देर कैसे हुई? हम कब से तुम्हारा इन्तेजार कर रहे हैं। हमें तुमसे एक खास सवाल करना है।
बीरबल ने कहा – जहाँपनाह, रोज-रोज आप ही मुझसे सवाल पूछते हैं, यह तो बड़ा ही अन्याय है। आज मुझे आपसे एक सवाल पूछना है। अगर आप अनुमति दें, तो मैं आपसे प्रश्न पूछूं?
ठीक है, आज तुम हमसे प्रश्न पूछो। हम तुम्हें जवाब देंगे।
जहाँपनाह, सूर्य रोज पूर्व दिशा में ही क्यों उगता है?
अरे! यह भी कोई प्रश्न है? किसी मूर्ख को भी इस प्रश्न का जवाब मालूम होगा?
बीरबल को उनसे ऐसे ही जवाब की अपेक्षा थी। तुरंत ही उन्होंने सर झुकाकर कहा – श्रीमान, इसीलिए तो मैंने आपसे यह प्रश्न पूछा है।
बादशाह पहले तो कुछ समझे नहीं, पर दरबारियों को खामोश बैठे देख वह समझ गए। वह उठकर हंस पड़े। फिर दरबारी भी खिलखिलाकर हंसने लगे। बीरबल के जाल में बादशाह पूरी तरह फंस गए थे। बात को हंसकर टालने के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं था।
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