Prerak kahani Hindi me.. Inspirational story in Hindi.. एक समय की बात है, एक राजा जो अपनी प्रजा से बेहद प्यार करता था, अपनी प्रजा को खुश देखना चाहता था। एक बार राजा ने सोचा के मेरे राज्य में काफी गरीब परिवार बड़ी कठिनाई से गुजरा करते हैं क्यों न उनके लिए अपने खजाने के द्वार खोल दिए जाए और जिसे जितना धन लेना है वो ले लाए, जिससे मेरे राज्य में कोई गरीब नहीं रहेगा और मेरा भी बड़ा नाम होगा।
उन्होंने ऐसा ही किया, अगले दिन से उन्होंने अपने खजाने के द्वार खोल दिए। धन लेने की लालशा में राज्य के लोग आए ही, पर राज्य के बाहर से भी लोग आए। बड़ी लंबी लाइन लगी।
लाइन में सबसे आगे एक फकीर खड़ा था, जब खजाने का द्वार खोला गया तो फकीर को लोगों के चेहरे के भाव देख बड़ी ख़ुशी हुई उसने अपने से पीछे वाले व्यक्ति को आगे कर दिया, की तुम पहले ले लो मैं बाद में ले लूँगा। ऐसे ही वो फकीर अपने से पीछे वाले को आगे करता रहा और खुद ही पीछे जाता रहा।
एक दिन बीत गए, प्रजा खुश थी। दूसरे दिन भी वैसा हुआ। फकीर सबसे पहले लाइन में खड़ा हो गया, और अपने से पीछे वाले व्यक्ति को आगे करता चला गया।
ऐसे ही दूसरा दिन बीत गया और फकीर को खाली हाथ जाना पड़ा। प्रजा के लोगों में ख़ुशी तो थी पर एक बात भी चर्चा में रही कि एक फकीर है जो सबसे पहले खजाने के द्वार में जाता है पर अपने से पीछे आए लोगों को आगे जाने देता है, कितना कृपालु है वो फकीर।
उस फकीर का नाम हो गया।
दोस्तों आज कल की भाग दौड़ भरी जिंदगी में ये ग़लतफहमी मन में रहती है कि अगर आपके पास पैसा है तो आपका नाम भी होगा, पर ये सही नहीं जिस प्रकार राजा अपना राज्य के लोगों में अपना नाम कमाने के लिए धन दान करना था पर नाम तो उस फकीर का हुआ जो सिर्फ अच्छे कर्म कर रहा था। इसीलिए दोस्तों अच्छे कर्म करो तो नाम ज़रुर होगा, नाम कमाया नहीं जाता। नाम तो पाया जाता है।