पूरा विश्व जब भूमंडलीकरण के कारण विकास के नए आयामों को छू रहा है और मानवीय अस्तित्व भी मजबूती के साथ इस विकास प्रक्रिया में कदमताल कर रहा है लेकिन इस गतिशील प्रक्रिया को लगातार जिस चीज से चुनौती मिल रही है वो है “आतंकवाद”। आतंकवाद समकालीन विश्व की सबसे जटिल समस्या है जिसने विश्व के अधिकांश राष्ट्रों चाहे वो विकसित हो या विकासशील, अपनी चपेट में ले रखा हैं।
आतंकवाद ने न सिर्फ वैश्विक सुरक्षा को चुनौती दिया है बल्कि इसने मानवीय अस्तित्व को भी सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है। आतंकवाद को अगर हम परिभाषित करे तो सामान्य अर्थों में इसका तात्पर्य एक ऐसी विचारधारा से है जो अपने हितों को पूरा करने के लिए हिंसा और भय का सहारा लेती है, चाहे वो हिंसा धार्मिक कट्टरतावाद के रूप में हो या नस्लीय हिंसा के रूप में हो।
आतंकवाद की हाल की घटनाओं ने भारत जैसे शांतिप्रिय राष्ट्र की राष्ट्रीय सुरक्षा को एक बार पुनः चर्चा में लाकर रख दिया है। मसला चाहे लंदन मेट्रों में हुए आतंकी हमले का हों या रोहिंग्या शरणार्थियों को भारत में प्रवेश के कारण उठा सुरक्षा का सवाल हो। भारत अपने अतीत के कारण आतंकवाद का भुक्तभोगी रहा है। सीमापार आतंकवादी सक्रियता एवं पाकिस्तान पोषित आतंकवाद ने भारत के लिए गंभीर समस्याएं पैदा की है।
ये भी जाने- निबंध कैसे लिखते हैं? How to write an essay?
भारतीय सीमा के अंदर कई बार आतंकी हमले हुये चाहे वो २६/११ का हमला हो या मुंबई सीरियल ब्लास्ट और ऐसे कई हमले हुए हैं जिसने भारतीय जन समुदाय को काफी क्षति पहुँचाया है और ये बात सर्व विदित है कि इन हमलों के पीछे पाकिस्तान पोषित आतंकी संगठनों का हाथ रहा है।
भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय मंचों से कड़ी चुनौतियां पेश की है और हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से आतंकवाद के खिलाफ एक नई मुहीम की शुरुआत की है और उन्होंने विश्व समुदाय से अनुरोध किया है कि वो आतंकवाद के खिलाफ एक साथ आएं और हाल ही में अमेरिकी ट्रम्प सरकार ने अपनी अफगान नीति की घोषणा के दौरान भारत के साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ मुहिम शुरू करने की बात की है।
आतंकवाद के बदलते स्वरूप के कारण इसकी जटिलताओं ने भी कई स्वरूप ग्रहण किये हैं। संचार तकनीक और सोशल मीडिया के तीव्र विकास ने साइबर आतंकवाद को बढ़ावा दिया है। आतंकी संगठनों ने इन तकनीकी विकासों को अपने हथियारों के रूप में अपना लिया है।
ये भी पढ़ें: सुभाष चन्द्र बोस के पास एक विद्यार्थी का पत्र
साइबर आतंकी हमलों से बचने के लिए भारत ने भी कई कड़े कदम उठाये हैं जिसमे आधार आधारित पहचान पत्र को तकनीकी सेवाओं के साथ जोड़ा गया है ताकि संदिग्ध व्यक्ति की आसानी से पहचान हो सके। भारत सरकार कई अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ मिल कर साइबर हमलों को रोकने के लिए काम कर रही है।
आतंकवाद जैसी समस्या के कारण न सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुँचता है बल्कि राष्ट्र की अर्थव्यवस्था भी कमजोर पड़ने लगती है क्योंकि अर्थव्यवस्था की रीढ़ होती है निवेश और खासकर वैश्विक निवेशक निवेश करते वक्त एक सुरक्षित वातावरण की उम्मीद करते हैं और ऐसी परिस्थितियों में जब राष्ट्र की सुरक्षा सवालों में हो तो निवेशक भी दूर रहते है और इसका परिणाम अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल पड़ता है।
आतंकवाद के गहराते जड़ों को कमजोर करने के लिए वर्तमान मोदी सरकार ने विमुद्रीकरण जैसे कठोर कदम उठाये है ताकि आतंकवादी संगठनों को मिल रहे अवैध पैसों पर नियंत्रण लगाया जा सके।
वर्तमान भारत बाह्य आतंकवाद के साथ – साथ आंतरिक आतंकवाद के साथ भी संघर्ष कर रहा जैसे – नक्सल समस्या और विभिन्न उग्रवादी संगठन जैसे उल्फा आदि की सक्रियता। इन संगठनों ने आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को कमजोर करने की कोशिशें की हैं लेकिन सरकार के दृढ संकल्प के कारण इन पर लगाम लगाया जा सका है। भारतीय गुप्तचर एजेंसियाँ जैसे RAW और IB राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाने में अपनी अहम भूमिका अदा कर रही हैं और इन संगठनों के कारण ही हम भारत को आतंकवाद से मुक्त बनाने की तरफ निरंतर अग्रसर हो रहे हैं।
जरुर पढ़ें: महात्मा गांधी मेरी नजर में – हिंदी निबंध
आज पुरे विश्व को आतंकवाद मुक्त बनाना मानवीय सभ्यता के लिए नितांत आवश्यक है और भारत इसमें अग्रणी भूमिका अदा करने के लिए सदैव तत्पर रहा है। आज पुरे मानव समुदाय को जरुरत है कि वो अपने साथ और अन्य समुदायों के साथ साहचर्य बनाकर रखे ताकि हम आने वाली पीढ़ियों को एक ऐसा समाज और वातावरण दे सके जिसमे भय का कोई स्थान न हो।
हर व्यक्ति को अपने विकास का पूरा अवसर मिल सके साथ ही हम वसुधैव कुटुम्ब्कम के सपने को साकार कर सके। भारत एक राष्ट्र के रूप अपनी एकता और अखंडता को तभी कायम रख पायेगा जब हम सब एक संवेदनशील प्राणी की तरह अपने पर्यावरण और मानवीय संबंधों को मजबूत बनाकर रखेंगे अन्यथा अलगाववाद की भावना पनपने लगेगी और परिणामतः आतंकवाद जैसी अमानवीय त्रासदी पूरी सभ्यता को नष्ट कर देगी।