एक दिन बीरबल दरबार में देर से पहुंचे। अकबर ने पूछा – क्या बात है बीरबल, आज देर से क्यों आए ?
बीरबल ने कहा – जहाँपना, आज मुझे बच्चों को संभालना पड़ा।
बादशाह को यह सुनकर बहुत आश्चर्य हुआ, बोले – यह भी कोई काम हुआ ?
जहाँपना, बच्चों को संभालने का काम सबसे कठिन है। जब यह काम सिर पर आ पड़ता है, तो कोई भी काम समय पर नहीं हो पता।
बादशाह बोले – बीरबल, बच्चों को बहलाना तो सबसे आसान काम है। उनके हाथ में कोई खाने की चीज दे दो या कोई खिलौना थमा दो। बस, काम बन गया।
बीरबल ने कहा – बादशाह सलामत, आपको इसका अनुभव नहीं है, इसलिए आपको यह काम आसान लगता है। जब आप प्रत्यक्ष अनुभव करेंगे, तो आपको मेरी बात समझ में आ जाएगी। चलिए, मैं छोटे बच्चे का अभिनय करता हूं, और आप मुझे बहला कर देखिए।
बादशाह तुरंत राजी हो गए।
बीरबल छोटे बच्चे की तरह जोर-जोर से रोने लगे, पिताजी मुझे दूध चाहिए।
बादशाह ने फौरन दूध मंगवा दिया।
दूध पिने के बाद बीरबल ने कहा – अब मुझे गन्ना चुसना है।
बादशाह ने गन्ना मंगवाया और उसके छोटे-छोटे टुकड़े करवा दिए। मगर बीरबल ने उसे छुआ तक नहीं। वह रोता ही रहा। रोते-रोते वह बोला – मुझे पूरा गन्ना चाहिए।
बीरबल का रोना जारी रहा। हार कर बादशाह ने नौकर से दूसरा गन्ना मंगवाया। मगर बच्चा बने बीरबल रोते-रोते बोले – यह गन्ना नहीं चाहिए, मुझे तो पहले वाला गन्ना ही पूरा चाहिए।
यह सुनकर बादशाह झल्ला उठे। उन्होंने कहा – बकवास मत कर, चुपचाप चूस ले। कटा हुआ गन्ना अब पूरा कैसे हो सकता है ?
नहीं, मैं तो वो वाला गन्ना ही लूँगा।
बादशाह यह सुनकर क्रोधित हो उठे, अरे, है कोई यहाँ? इस बच्चे को यहाँ से ले जाओ।
बीरबल हंस पड़े।
बादशाह को स्वीकार करना पड़ा कि बच्चों को संभालना वास्तव में बहुत मुश्किल काम है।