एक दिन बादशाह को बीरबल के साहस की परीक्षा लेने की सूझी। बहुत विचार करने के बाद उन्होंने एक योजना बनाई और बीरबल को बहाने से एक सुनसान महल में एक रात रुकने के लिए भेज दिया। रात को योजनानुसार अकबर ने बीरबल को डराने के उद्देश्य से बहुत भयंकर वेष बनाया और बीरबल के सामने आकर खड़े हो गए।
बीरबल ने उसकी वेषभूषा, सर और सिर्फ हो हाथ देखकर पहले तो प्रसन्नतापूर्वक उनका स्वागत किया, फिर कुछ ऐसा शक्ल बनाकर बैठे, जिससे यह मालूम होता था कि वह कुछ गंभीर विचार कर रहे हैं।
बादशाह ने बीरबल का रंग-ढंग देखा तो उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्हें विश्वास था कि अंधेरे सुनसान महल में उनका यह रूप देखकर बीरबल बुरी तरह डर जाएंगे, पर वह तो बिलकुल नहीं डरे और एकदम सामान्य लग रहे थे। हारकर बादशाह ने बीरबल से इसका कारण पूछा।
बीरबल ने शांतिपूर्वक उत्तर दिया, ‘महाराज, आपके दर्शन हुए, इससे प्रसन्नता हुई। लेकिन आपको बहुरूपिये के भेष में देखकर आश्चर्य हुआ कि आखिर किसके डर से आपको यह हुलिया बनाने की जरुरत पड़ गई।’
बीरबल का यह उत्तर सुनकर बादशाह समझ गए कि बीरबल ने उन्हें तुरंत पहचान लिया और उनकी योजना असफल हो गई।
ये भी पढ़े-
- बीरबल का सवाल – अकबर बीरबल की कहानी
- शाही रामायण – अकबर बीरबल की कहानी
- दो सवाल एक जवाब – अकबर बीरबल की कहानी
- दर्पण झूठ न बोले – अकबर बीरबल की कहानी
- अपमान का बदला – तेनालीराम की कहानी